अमेरिका ने कहा नई अफगानिस्तान नीति से क्षेत्रीय स्थिरता कायम होगी

By Shobhna Jain | Posted on 26th Sep 2017 | विदेश
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संयुक्त राष्ट्र, 26 सितम्बर (वीएनआई)| अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि अफगानिस्तान पर उसकी नई नीति देश में स्थिरता लाने के लिए पूरे क्षेत्र को अहम मानती है। यह नीति पिछले 16 सालों से इस मामले में केवल पाकिस्तान पर भरोसा करने की अमेरिकी नीति से अलग है। 

अमेरिका के उप स्थायी प्रतिनिधि माइकल सिसोन ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान पर एक चर्चा के दौरान कहा, हमारी नई दक्षिण एशियाई नीति का मूल तत्व यह है कि अफगानिस्तान की सुरक्षा और स्थिरता पूरे क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा से जुड़ी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने अफगानिस्तान पर नई नीति की घोषणा करते हुए कहा था कि दक्षिण एशिया के लिए अमेरिका की नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है। उन्होंने कहा था कि वह अफगानिस्तान के मामले में खासतौर पर आर्थिक सहयोग और विकास के क्षेत्र में भारत की मदद चाहते हैं। मूल रूप से अफगानिस्तान पर केंद्रित होने के बावजूद ट्रंप और अन्य अमेरिकी राजनयिकों द्वारा नई नीति में 'दक्षिण एशिया' शब्द का प्रयोग किया जाना अमेरिका के नए नजरिए को रेखांकित करता है।

सिसोन ने नई अफगान नीति के अन्य घटकों के बारे में भी बताया और कहा कि इसमें मसले का राजनीतिक समाधान शामिल है जिसमें तालिबान भी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने नई अफगानिस्तान नीति के अन्य प्रमुख बिंदुओं को स्पष्ट करते हुए कहा, "दक्षिण एशिया के लिए अमेरिका की नई क्षेत्रीय रणनीति समयानुकूल है और स्पष्ट करती है कि अफगानिस्तान के मामले में अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र का समान लक्ष्य है और यह है स्थायी शांति लाने के लिए स्थिर राजनीतिक समाधान तलाशना। उन्होंने कहा, हम क्षेत्र की सभी सरकारों से तालिबान को बातचीत के मंच पर लाने में अफगानिस्तान सरकार की मदद का आग्रह करते हैं। सिसोन ने हालांकि स्पष्ट किया, तालिबान और उनके समर्थकों को हमारा स्पष्ट संदेश है कि वे युद्धभूमि में जीत नहीं सकते। शांति के लिए एक ही रास्ता है और वह है बातचीत। आपको हिंसा छोड़कर अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से नाता तोड़ना चाहिए और अफगानिस्तान के संविधान को स्वीकार करना चाहिए।

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री सलाहुद्दीन रब्बानी ने नई नीति का स्वागत करते हुए कहा कि इससे देश की जनता में एक नई उम्मीद जगी है और अफगानिस्तान के नागरिक इस बात को लेकर आशावान हुए हैं कि आखिरकार अफगानिस्तान और आसपास के क्षेत्र में आतंकवाद और चरमपंथ के खतरे से सही प्रकार से निपटा जाएगा। आतंकवाद के समर्थन के खिलाफ अमेरिका के सख्त रुख के संभावित परिणाम की बात करते हुए रब्बानी ने कहा, "हम मानते हैं कि इस मामले में बुनियादी बदलाव से तालिबान के साथ शांति प्रयासों में सकारात्मक रूप से गहरा प्रभाव पड़ेगा। लेकिन, उन्होंने साथ ही तालिबान पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के साथ मिलकर सार-ए-पुल प्रांत में स्थित मिर्जा उलंग गांव में नरसंहार और काबुल और हेरात में मस्जिदों पर हमलों का भी आरोप लगाया। रब्बानी ने कहा कि अफगानिस्तान आक्रामक गतिविधियों का शिकार रहा है जिसमें पाकिस्तान द्वारा डूरंड लाइन का लगातार किया जाने वाला उल्लंघन शामिल है।


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