वाशिंगटन, 7 जून (वीएनआई)प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान आज राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाक़ात करेंगे। ये मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है. माना जा रहा है कि इसमें भारत औऱ अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र में कई अहम समझौते हो सकते हैं लेकिन सबकी नजर इस पर होगी कि एनएसजी यानी न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता में चीन जो रोड़े अटका रहा है तो क्या अमेरिका उसको दूर कर पाएगा? चीन इसमें पाकिस्तान के भी शामिल होने की वकालत कर रहा है. अभी दुनिया के 48 देश इस संगठन के सदस्य हैं. ये वो देश हैं जो परमाणु ऊर्जा से जुड़ी टेक्नोलॉजी और उसके व्यापार को नियंत्रित करते है. भारत इसमें शामिल होने के लिए दुनिया भर में समर्थन जुटा रहा है. इस बात की संभावना कम है कि अमेरिका खुल कर चीन का नाम ले या उसका विरोध करे, लेकिन चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए अमेरिका भारत को मजबूत करना चाहता है. मुलाक़ात के बाद प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रेस वार्ता को भी संबोधित करेंगे।
इससे पूर्व पीएम ने वाशिंगटन पहुंचने के बाद अर्लिंग्टन राष्ट्रीय समाधिस्थल जाकर अज्ञात सैनिकों के स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और अमेरिकी थिंक टैंक के साथ मुलाकात भी की। इस मुलाकात में ऐसी हस्तियां शामिल थीं, जो अमेरिका की विदेश नीति में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी कोलंबिया अंतरिक्ष यान स्मारक भी गए और वहां उन्होंने कोलंबिया यान दुर्घटना में मारे गए लोगों की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसी कड़ी में भारत की संस्कृतिक विरासत से चुराई गई दुर्लभ मूर्तियों को अमेरिका ने एक समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपी।
गौरतलब है कि साल 2014 में सत्ता संभालने के बाद २ साल मे नरेन्द्र मोदी की यह चौथी अमेरिका यात्रा है। जानकारों के मुताबिक इन मुलाकातों की वजह से अमेरिका और भारत के रिश्ते बेहतर हुए हैं.अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का कार्यकाल अगले साल जनवरी में पूरा हो रहा है और अमेरिका में इस साल राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है. बराक ओबामा अपने दोनो कार्यकाल पूरे कर चुके हैं औऱ वो इस बार रेस में नहीं हैं इसलिए व्हाइट हाउस में उनकी वापसी न होना तय है.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से आज होने वाली मुलाकात से पहले व्हाइट हाउस ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में भारत की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की है।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कल यानि सोमवार को कहा कि मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के मुद्दे पर भारी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है।
मोदी और ओबामा की मुलाकात से पहले अर्नेस्ट ने कहा, "निश्चित तौर पर यह वैसे हालात हैं, जहां मोदी ने अपने नेतृत्व को साबित किया है। उन्होंने भारत के लिए ऐसे मानदंड के प्रति बचनबद्धता दिखाई है, जो भारतीयों तथा दुनिया के बाकी लोगों के लिए अच्छा होगा।"
अर्नेस्ट ने कहा कि पेरिस में हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रतिबद्धता जताने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को ओबामा ने स्वीकार किया है।
मोदी ने मुद्दे से जिस तरीके से निपटा, उसके प्रति अमेरिका के राष्ट्रपति के दिल में बेहद आदर है और दोनों नेता इस बात पर चर्चा करेंगे कि अमेरिका और भारत जलवायु एजेंडे के लिए और क्या कर सकते हैं।
अर्नेस्ट ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मोदी और ओबामा अमेरिका तथा भारत के बीच आर्थिक संबंधों पर चर्चा करेंगे।
उन्होंने कहा, "अमेरिका तथा भारत के बीच आर्थिक संबंध महत्वपूर्ण हैं और यह ऐसा संबंध है, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को फायदा होता है।"
अर्नेस्ट ने कहा, "हमने हाल के वर्षो में देखा है कि अमेरिका तथा भारतीय सुरक्षा अधिकारियों के बीच समन्वय में काफी इजाफा हुआ है। राष्ट्रपति संबंधों को गहरा व मजबूत करने के प्रयासों के प्रति निश्चित तौर पर दिलचस्पी रखते हैं, क्योंकि यह हमारे दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा में इजाफा करेगा।"
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या ओबामा भारतीय नेताओं पर समझौते को मंजूर करने को लेकर दबाव डालने के लिए कड़ी मेहनत करने जा रहे हैं, अर्नेस्ट ने कहा, "मैं नहीं जानता कि राष्ट्रपति कोई विशेष अनुरोध करेंगे या नहीं।"
उन्होंने कहा कि समझौते को अंजाम तक पहुंचाकर भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मदद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अमेरिका उम्मीद करता है कि नई दिल्ली दिसंबर 2015 में हुए समझौते के बाद भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में महत्वपूर्ण भूमिका जारी रखेगा।
उल्लेखनीय है कि भारत ने मार्च 2022 तक एक बेहद महत्वाकांक्षी 175 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा की प्राप्ति का लक्ष्य रखा है।