वाशिंगटन 11 मई(अनुपमा जैन/वीएनआई) अपनी चर्चित जापान यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा हिरोशिमा का भी दौरा करेंगे। यह दौरा श्री ओबामा की यात्रा से पहले बड़ी बहस का मुद्दा बन गया है. उनके विरोधियो की आशंका है कि कही यह दौरा अमरीका के माफीनामे बतौर नही देखा जाये जबकि अमरीकी प्रशासन का कहना है कि दौरा मिल कर काम करने, साझी भागीदारी का है, इसे इसी भावना से लिया जाना चाहिये.गौरतलब है कि अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 में हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था जिसमें लगभग 14 लाख लोग मारे गए थे इसके अलावा अमरीका ने जापान के शहर नागासाकी पर भी दूसरा परमाणु बम गिराया था और इ्न भयावह हमलो के बाद दूसरा विश्व युद्ध खत्म हो गया था लेकिन परमाणु युद्ध की विभीषिका वहा अभी तक पीढियॉ झेल रही है. पीढियॉ दर पीढियॉ अपंग,बीमार पैदा हो रही ह यह दौरा ओबामा की 21 मई से 28 मई तक प्रस्तावित एशिया यात्रा का हिस्सा होगा. बराक ओबामा जापान के आइसे-शिमा प्रायद्वीप में जी-7 देशों के सम्मेलन में भी भाग लेंगे ,
व्हाईट हाऊस की तरफ से जारी एक बयान मे कहा गया है कि राष्ट्रपति के इस दौरे को अमरीका के माफीनामे के तौर पर नही देखा जाना चाहिये.अमरीका के उप राष्ट्रीय सलाहकार बेन रोड्स ने कहा कि हिरोशिमा के दौरे मे श्री ओबामा बमबारी की चर्चा करने की बजाय दोनो देशो के मिल कर काम करने की बात करेंगे. उन्होने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध मे हमारे शहीद हुए सैनिको के योगदान को अमरीका कभी भी भुला नही सक्ता है. जानकारो का मानना है कि दर असल श्री ओबामा का हिरोशिमा जाने का फैसला बड़ा चुनौती पूर्ण फैसला है क्यों कि उनके विरोधी आगामी राष्ट्रपति चुनाव मे उनके डेमोक्रेट प्रतिद्वंदी के खिलाफ इसका इस्तेमाल अमरीका की ढीले और कमजोर रवैये के रूप मे प्रचारित करेंगे. गौरतलब है ओबामा ने 2009 मे ही परमा्णु तबाही के शिकार इन दो शहरो मे से एक जाने की इच्छा व्यक्त की थी. उनके विरोधियों का तो यहा तक कहना है ओ्बामा दुनिया भर मे अमरीका की पूर्व नीतियो के लिये माफी मॉग रहे है जो उदार कूटनीति की बजाय अमरीका की कमजोरी ही मानी जा रही हैकरेंगे. ओबामा इस दौरान वह वियतनाम भी जाएंगे।