नयी दिल्ली 1 जुलाई( अनुपमाजैन/वीएनआई) भारत में निर्मित स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान एल सी ए तेजस आज भारतीय वायुसेना में विधिवत शामिल हो गया. बेंगलुरू में दो विमानों के इस स्क्वाड्रन को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया. यह पहला मौका होगा जब किसी स्वदेशी युद्धक विमान को सेना के बेड़े में शामिल किया जा रहा है.इन विमानो से निश्चय हे भारतीय वायु सेना को नयी शक्त मिली है. बेंगलुरू स्थित हिदुस्तान अयरोनॉटिक्स कंपनी ने इसे विकसित किया है इसे तैयार करने मे लगभग तीन दशक का समय लगा. इस अवसर पर एक सर्व धर्म प्रार्थना हुई, जिसके बाद तेजस वायु सेना बेडे मे शामिल हुआ और उसके बाद तेजस ने अपनी पहली सफल उड़ान कलाबाजियो के साथ भरी. वायु सेना सूत्रों के अनुसार, मार्च 2017 तक छह और तेजस को बेड़े में शामिल किया जा सकता है. कॉर्बन फाईबर कम्पोजिट से निर्मित यह विमान मात्र 6560 किलो ग्राम वजनी है, इन विमानो को बनाने मे 55,000 करोड़ खर्च आया है, तेजस स्क्वार्डन को'फ्लाईंग डेगर्स'का नाम दिया गया है यह मिग 21 विमानो का स्थान लेंगे जिन्हे पुराने पड़ने के वजह से वायु सेना मे चरण बद्ध धंग से हटाया जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक तेजस दुनिया में उत्कृष्ट विमान के रूप में उभर रहा है. विकसित होने के दौरान विमान ने ढाई हजार घंटे के सफर में तीन हजार बार उड़ान भरी है और इसका प्रदर्शन बेहतरीन रहा है.
तेजस में अभी हथियार फिट नहीं किये गये हैं. अगले साल के अंत तक इसे हथियारों से लैस कर दिया जायेगा. वायुसेना के बेड़े में कुल 120 तेजस विमानों को शामिल किया जाना है. सरकारी क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की ओर से पहले दो तेजस विमान वायुसेना को सौंप दिया गयाजाने हैं.
वैसे तेजस की कुछ तकनीक आयातित भी है जिसमे इज़रायल अमरीका तथा इंग्लैंड से ली गयी तकनीक शामिल है लेकिन बहुत बड़ा हिस्सा भारतीय ही है ,स्क्वाड्रन पहले दो साल बेंगलुरु में ही रहेगी. इसके बाद तमिलनाडु के सुलुर स्थानांतरित कर दी जाएगी. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने 17 मई को स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस को उड़ाया था.वीएनआई