नई दिल्ली 04 मई (शोभना जैन/वीएनआई) कोरोना के कहर और लॉक डॉउन में आर्थिक बदहाली के शिकार दुधमुंहे शिशुओं को कंधें पर लादें बेघर प्रवासी, दिहाड़ी मजदूर,अबोध बच्चों और कृशकाय देहों के सैंकड़ों किलो मीटर पैदल चल दूर देहात में अपने घरों की और लड़खड़ातें, घिसटते कदमों से बढते लोगों के हुजूम के मंजर के बीच एक और मंजर।।। घरों से हजारों किलो मीटर दूर, सात संमदर पार रोजी रोटी कमाने गये भारतीय क़ामगार और सुनहरे भविष्य की तलाश में विदेशों में पढने गये भारतीय छात्र और ऐसे ही दूर देश में फंसे अन्य भारतीय।।। बेघर, बदहाल दुरूह हालात में पल पल पर लौटने का इंतजार कर रहे हैं, गुहार कर रहे हैं। चिंताजनक खबरे आ रही हैं कि कोरोना के इस वैश्विक संकट की वजह से दुनिया भर में बढ्ती आर्थिक बदहाली से इन प्रवासी भारती्यों में से काफी का रोजगार खत्म हो गया हैं,इन के काम धंधे वाले देश इन की जगह अपने लो्गों की बढती बेरोजगारी के चलते अपने लोगों को रोजगार देने की जुगत में हैं। काफी जगह मालिकों ने काम धंधा बंद कर दिया हैं।बदहाली की आलम में सिर्फ इंतजार ही इन प्रवासी अपनों का आसरा हैं।देश में इस संकट से निबटने के हर संभव प्रयासों की तरह भी सरकार हालात के अनुरूप होने पर इन लोगों की स्वदेश वापसी तक वहा इन लोगों की देखभाल करने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। अपने दूतावासों के साथ साथ सरकार इन देशों से निरंतर संपर्क बना कर वापसी तक इन की सुध लेने का आग्रह कर रही हैं। अनेक देश इस बारे में मदद भी कर रहे हैं। कोरोना ने ऐसे सभी लोगों की फौरी वापसी के लियें स्थतियॉ विषम कर दी हैं।देश विदेश में फंसे कामगारों को ले कर उच्चतम न्यायालय में सरकार ने कहा हैं" जो जहा हैं वही रहें, धर्य रखें"। हालात ऐसे विषम बने हैं कि लॉक डॉउन खत्म होने या ढील दिये जाने तक उन की वापसी संभव नही हैं।फिलहाल तो इन की स्वदेश वापसी सरकार के सम्मुख एक विषम चुनौती हैं, सरकार इस के लिये एक महत्वाकांक्षी योजना को अंतिम रूप दे रही हैं ।विदेश मंत्रालऔन सभी नागरिकों की स्वदेश वापसी के लियें नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एयर इंडिया, राज्य सरकारों और विदेशों में स्थित भारतीय मिशन , स्थानीय दूतावासों से संपर्क कर रहा है जो वापस स्वदेश लौटना चाहते हैं।नियम प्रक्रियों के तहत स्वदेश वापसी के बाद इन लोगों के देश में पुनृवास/ रोजगार मुहैया कराना एक और बड़ी चुनौती होने जा रही हैं।्लेकिन, फिलहाल फौरी प्रथमिकता इन की स्वदेश वापसी पर हैं जो एक विषम चुनौती हैं।
कोरोना को फैलने से रोकने के लिए भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन लागू है। भारत में 3 मई तक लॉकडाउन लागू है। रेलगाडियों के साथ राष्ट्रीय और अंतर राष्ट्रीय उड़ानें बंद हैं। जैसा की कहा गया हैं कि स्वदेश में फंसे इन अपनों को वापस लाने के लिए सरकार ने महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। विदेश मंत्रालय इसके लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एयर इंडिया, राज्य सरकारों और विदेशों में स्थित भारतीय मिशन से संपर्क कर उन भारतीयों को वापस लाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है जो वापस स्वदेश लौटना चाहते है, लेकिन देशव्यापी लॉकडाउन के खत्म होने के बाद ही इन्हें वापस लाया जाएगा।
गौरतलब हैं कि बीते 24 मार्च से लॉक डॉउन ्लागू होने के बाद से हजारों भारतीय विदेशों में फंसे हैं। विदेश में रोजगार के लिये गये लोगों की वापसी के लिए भारत में विशेष रूप से राजनीतिक मांगें आई हैं खासतौर पर केरल से। केरल के मुख्य मंत्री विजयारी पिनाराई का कहना हैं कि केरल से परदेस गये लगभग 56,000लोगों ने स्वदेश वापसी के लिये अपना पंजी करण करा दिया हैं। उम्मीद हैं कि जल्द ही सरकार विदेशों मे अपने दूतावासों के माध्यम से ऐसे लोगों के पंजी करण का काम शुरू कर सकती हैं जो लॉक डाउन के हटने के बाद सरकारी निर्देशों को पूरा करते हुए देश लौट सकते हैं इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय राज्य सरकारों और विदेश में स्थित भारतीय मिशन के साथ मिलकर काम कर रहा है और जो भारतीय वापस लौटना चाह रहे हैं।
ऐसी खबरें चिंता और भी बढाती हैं कि इस वैश्विक संकट की वजह से दुनिया के काफी देशों की तरह बढें आर्थिक दुष्चक्र की वजह से खाड़ी देश ओमान ने सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों से विदेशी कामगारों को जल्द से जल्द नौकरियों से हटा कर उन की जगह ओमानी नागरिकों को काम पर रखने का दिशा निर्देश जारी किये हैं। कोरोना की वजह से दुनिया भर में आर्थिक संकट आ रहा हैं, बेरोजगारी बढ रही हैं। ऐसे में देशों की प्राथमिकता अपने देश के कामगारों को काम देने की रहेगी।गौरतलब हैं कि खाड़ी देश ओमान में ही लगभग46लाख विदेशी कामगार हैं जिन में से अकेले 8 लाख भारतीय हैं। हालांकि अभी यह फैसला सरकारी क्षेत्र ने ही लिया है लेकिन लगता यही हैं कि बढ्ते आर्थिक संकट और बेरोजगारी के चलते निजी क्षेत्र भी इसे लागू करेगा। हालांकि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्री वास्तव के अनुसार“ ये दिशा निर्देश खास तौर पर न/न तो भारत को और न/न ही भारतीयों को ध्यान में रख कर दिये गये हैं।खाड़ी देश भारत के साथ अपने रिश्तों को बहुत अहमियत देते हैं, वे इस क्षेत्र के विकास में भारतीय मूल के लोगों के योगदान की बहुत कद्र करते हैं" इस से पूर्व प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को ओमान के सुल्तान हातिम बिन तआरिक आश्वासन दे चुके हैं कि कोविड 19 की वजह से आ रहे आर्थिक संकट में भारतीय प्रवासियों की खैरियत का ख्याल रखा जायेगा। विदेश मंत्री एस जय शंकर भी खाड़ी देशों के नेताओं के साथ भारतीय मूल के लोगों की खैरियत के बारे में और स्थानीय दूतावास निरंतर संपर्क में हैं लेकिन ये भी जमीनी हकीकत हैं कि कोरोना की महामारी जहा सरहदों को रौंदती हुई दुनिया भर के देशों मे फैल रही हैं वही इस दौर में सभी देशों के लिये इस बीमारी से जूझने में अंतर राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करने के साथ अपनी सरहदों के दायरें में अपनी घरेलू प्राथमिकतायें सर्वोपरि है। इन हालात में भारत में खास तौर पर खाड़ी देशों से बड़ी तादाद में कामगार वापस लाने की बड़ी चुनौती हैं।एक विशेष्ज्ञ के अनुसार मुद्दा सिर्फ इन की स्वदेश वापसी का ही नही हैं बल्कि देश के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहे प्रवासी मजदूरों की ही तरह इन के वापस आने पर इ्न के लिये क्वारटाएन सुविधायें उपलब्ध कराने से भी जुड़ा हैं।
गौरतलब हैं कि दुनिया भर के 180 से अधिक देशों में1 करोड़ 26 लाख भारतीय पास पोर्ट धारक हैं जिस में से लगभग 89 लाख छह खाड़ी देशों संयुक्त अरब अमीरात, सउदी अरब,कुवैत, ओमान, कतर और बहरीन में हैं। दुनिया भर में रहने वाले कुल भारतीयों का २७ प्रतिशत हिस्सा संयुक्त अरब अमीरात में हैं। ऐसे भी समाचार हैं कि संयुक्त अरब अमीरात दक्षिण एशियायी देशों को अपने उन कामगारों को वापस लौटने की इजाजत देने पर जोर दे रहा हैं, जो वापस लौटना चाहते हैं। इन में वे भी शामिल हैं जिन का रोजगार नही रहा।इसी तरह अमरीका और इंगलेंड सहित अनेक देशों में फंसे भारतीयों/ छात्रों ने स्वदेश वापस आने देने की अनुमति देने को कहा हैं।
सरकार ने विदेशों में फंसे इन भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिये समुद्री जहाज, विमानों और व्यवासायिक उड़ानों के जरिये खाड़ी तथा अन्य क्षेत्रों मे फंसे भारतीयों की वापसी के लिये व्यापक योजना तैयार की हैं। राज्य सरकारों के साथ भी विभिन्न एजेंसियों के साथ मिल कर इन सभी की क्वार्टाईन सहित अन्य व्यवस्थायें किए जाने के बारे में भी बातचीत चल रही हैं सरकार का कहना हैं कि भारतीयों की स्वदेश वापसी पर उस का पूरा ध्यान हैं।इन भारतीयों को वापस लाने की "योजना ऑपरेशन राहत" जैसी ही होगी जब कि 2015 में संघर्ष रत यमन से लगभग 6700 लोगों को वापस लाया गया था जिस में से अनेक विदेशी भी थे।एक तरफ जहा सरकार विदेशों में फंसे भारतीयों की स्व देश वापसी की तैयारियों में जुटी हैं वहीं इस वैश्विक आपदा की घड़ी में भरत में फंसे लगभग 72देशों के 60।000 विदेशी नागरिकों को भी उन के देश विमानों के जरियें भेज चुकी है, उम्मीद की जानी चाहियें कि जल्द ही हालात ऐसे बहेंगे जब कि देश में जो प्रवासी बेघर दिहाड़ी मजदूर अपने गॉवो, घरों को वाप्स लौटना चाहते हैं और विदेश में फंसे हमारे अप नें जो यहा लौटना चाहते हैं , उन सभी के लिये हालात जल्द ऐसे बने जब कि वे अपने अपने घरों को जा सकें।समाप्
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