सभी को स्कूल - एनसीईआरटी की एक पहल

By Shobhna Jain | Posted on 11th Mar 2015 | VNI स्पेशल
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देश में कई जगह शिक्षा के क्षेत्र में जाति, लिंग, वर्ग, असामाजिकता और धर्म आदि के आधार पर हो रहे भेदभाव जैसे घटनाओं में सुधार के लिए राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईंआरटी) ने देश में भारत की वर्तमान शिक्षा स्थिति में परिवर्तन के लिए एक प्रारूप तैयार किया है! जिसके अंन्तर्गत स्कूल फॉर आल ( सभी को स्कूल) नाम की योजना चलाने की घोषणा की है! योजना के अनुसार, सभी स्कूलों को सभी के लिए स्कूल के तहत अवधारणा के कुछ मापदंड को पूरा करने की जरुरत है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि स्कूल ने अपना दृष्टिपत्र तैयार करके इसे सभी समुदायो के साथ साझा किया है या नहीं। स्कूल का दृष्टिपत्र मिशन, लक्ष्य और समझ सभी समुदाय के कितने अनुरूप हैं। स्कूल को छात्रों की विभिन्नताओें असमानताओं को स्वीकार करके उन्हें महत्व देना चाहिए और सभी को बराबर का अधिकार देना चाहिए! साथ साथ स्कूल को सभी का समुदायों को प्रतिनिधित्व करने का एक संदेश देना चाहिए। स्कूलों को गरीब परिवार के बच्चो को सहयोग करने और अलग से नीति और कार्यक्रम तैयार करने की जरुरत है! स्कूलों को शिक्षको, अभिभावकों और सभी समुदायों को शिक्षा नीति के अंतर्गत विश्वास में लेने की जरुरत है जिससे बच्चो के शिक्षा स्तर को बढ़ाया जाये और अधिक से अधिक बच्चो को शिक्षित किया जाये! एनसीईंआरटी ने बताया की आजादी के बाद से हमारे देश में करीब 10 लाख स्कूलों में अभी 55 लाख शिक्षक लगभग दो लाख छात्रों को पढाते हैं और भारत की 80 प्रतिशत आबादी के अंतर्गत प्राथमिक स्कूलों की व्यवस्था है। फिर भी प्राथमिक स्तर पर बहुत से बच्चे किसी न किसी कारण से अपनी शिक्षा बीच में छोड़ देते है किसी के माता पिता गरीबी और धन के आभाव में बच्चो की पढाई बीच में चुदवा देते है तो किसी बच्चे को धर्म, समुदाय और जाति के आधार पर पढ़ाई से विमुख होना पड़ता है! हमारे देश से बहुत सा वर्ग ऐसा है जो बड़े बड़े जमीदारो और साहूकारों से शोषित है जिस कारण उनके यहाँ काम कर रहे लोग अपनी गरीबी और धन के आभाव में बच्चो को पूरी शिक्षा नहीं दे पाते और आगे चलकर उनके बच्चे भी उनकी राह पर साहूकारों, जमीदारो और अमीर लोगो के हाथो शोषित होते है! कहीं कहीं से जाति और धर्म के नाम पर इतनी समानता है की लोग दूसरे समुदाय के बच्चो के साथ अपने बच्चो को पढ़ाना पसंद नहीं करते और तो जातिगत शब्द से उनको सूचित कर उनको अपमानित करते है! भारत के शहरों में शिक्षा में समय के साथ स्थिति में परिवर्तन और भारी सुधार तो हुआ है लोग एक दूसरे के साथ सहयोग और तालमेल बिठाने लगे है और शिक्षा के स्तर में वृद्धि भी हुई है! परन्तु भारत के ग्रामीण क्षेत्रो में अभी भी शिक्षा की स्थिति दयनीय है लोग अभी भी लड़कियों को पूर्ण शिक्षा नहीं देते क्योकि उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए बड़े बड़े विधालय और महाविधालय बहुत कम है और गावं से बहुत दूर होते है! देश में अगर शिक्षा में परिवर्तन कर सबको स्कूल और शिक्षा तक ले जाना है तो सरकार और स्कूली संस्थानों को इसमें तेज़ी से बदलाव और अच्छी पहल करने की जरुरत है, तभी भारत के भविष्य स्कूल जाकर पूर्ण रूप से शिक्षित और काबिल बन पाएंगे!

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