बाहुबली महामस्तकाभिषेक के प्रथम कलश की अलौकिक अनुभूति और जन कल्याण...

By Shobhna Jain | Posted on 20th Feb 2018 | VNI स्पेशल
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श्रवणबेलगोला, 20 फरवरी(शोभना जैन/अनुपमा जैन /वीएनआई) विन्धगिरि पर्वत पर वीतरागी भगवान बाहुबली की 57 फुट ऊंची भव्य प्रतिमा पर पड़ते सुबह की सुनहरी किरणों से विशाल मुर्ति आलोकित हो रही है..नीचे विशाल प्रतिमा के आस पास और दूर दूर तक अपार जन समूह टकटकी लगाये ऑखे उपर कर भव्य प्रतिमा के 2018 के महामस्तकाभिषेक समारोह शुरू होने का आह्लाद से प्रतीक्षा कर रहा है, अभिषेक जो 2006 के बाद बारह वर्ष बाद होने जा रहा है. जय घोष के नारो से वातावरण और भी पवित्र हो रहा है, भव्य प्रतिमा  के लिए बनी विशेष विशाल मचान पर विद्वान मंत्रोच्चार के साथ विधि विधान कर रहे है.चारो और आध्यात्मिक सुगंधि फैली है. तभी  विद्वत जनो से संकेत मिलने पर  देश के जाने माने उद्द्योगपति  और आर के मार्बल समूह के अध्यक्ष अशोक पाटनी अपनी पत्नि सुशीला और अपने परिवार् के साथ  भगवान बाहुबली की प्रतिमा पर  पहले कलश से  पवित्र जल  समर्पित करते है और  जैसे ही प्रतिमा पर पवित्र जल उंचाई पर बहने वाली हवा का स्पर्श  को बूंदो की फुहारो मे बदलता  है, पूरा वातावरण जय कार से गूंज उठता है.और फिर शुरू हो जाता है अभिषेक का सिलसिला...दर्शनार्थी जयघोष कर रहे है,पवित्र जल, द्व्य,सोने चॉदी के प्रतीक पुष्प और माणिक मोती प्रतिमा पर समर्पित कर रहे है.इस सब के बीच  ऐसा लगता है इस अभिषेक के आयोजन से बेखबर भगवान बाहुबली उसी वीतराग मुद्रा मे खड़े है और चारो और आशीर्वाद बरसा रहे है । 
श्रवणबेलगोला के भट्टारक जगदगुरु स्वस्तीश्री चारुकीर्ति भट्टारकजी के सान्निध्य में होने वाले जैन धर्म का महाकुंभ कहे जाने वाले इस महामस्तकाभिषेक समारोह के अभिषेक का शुभारंभ  होते ही  धीरे धीरे इस विशाल प्रतिमा का अभिषेक श्रद्धालुओं के जयकार के बीच, पवित्र जल, केसर, चंदन, गन्ने का रस, दूध और पुष्पों के कलशों से शुरू हो जाता है।  इस विशाल प्रतिमा के मस्तक से फुहारों के रूप में आते इन द्वयों से पूरा आसमान सतरंगी सा हो जाता है और केसर और चंदन की खुशबू पूरे माहौल को सुगंध से सराबोर कर देती है, केसर ,पुष्पो, चंदन और अन्य द्व्यों के अभिषेक से आसमान सतरंगी हो जाता है.प्रतिमा के विशाल चरणो के आस पास खड़े श्रद्धालु भी केसर और पवित्र द्व्यो के रंगो से नहा उठते है। 
जैन परिपाटी के अनुसार प्रतिमा के अभिषेक का पहला कलश श्री पाटनी और उनके परिवार ने 11 करोड़ 61 लाख समर्पित कर प्राप्त किया. इस राशि से  वहा 200 बिस्तरो वाला बाहुबली अस्पताल बनाया जायेगा,बारह वर्ष पूर 2006  मे हुए मस्तकाभिषेक का पहला कलश भी श्री अशोक पाटनी ने दान की राशि से ग्रहण किया तब उस राशि से यहा बच्चो का अस्पताल बनाया गया. इस अवसर पर श्री पाटनी ने वी एन आई से बात करते हुए कहा ' उन के लिये प्रतिमा के अभिषेक की अनुभूति अलौकिक  है,पवित्र जल  जब मस्तक से होते हुए भगवान के उन्नत मस्तक से होती हुई विशाल नयन, नासिका से होते हुए उन के विशाल चरणो को स्पर्श करते है तो उस द्र्श्य को  शब्दो मे नही बॉधा जा सकता है, इसे वे अपना  और अपने परिवार का सौभाग्य मानते है कि उन्हे और उन के परिवार को  प्रथम अभिषेक का यह सौभाग्य मिला और इस के जरिये इस अस्पताल के निर्माण से मानवता की सेवा हो सकेगी. धर्म का सार ही मानवता की सेवा जन कल्याण की भावना है' उन्होने बताया 'दर असल  पूरा माहौल आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था.प्रतिमा के पीछे बने विशाल मंच पर अभिषेक के लिये खड़े होने पर  लग रहा था, सब कुछ कितना छोटा, अकिंचन, 620 सीढ़ियां चढ़कर बाहुबली की प्रतिमा के विशाल चरणों के पास आकर भी यही एहसास होता है, सृष्टि की विशालता के आगे छोटे बहुत छोटे होने का एहसास..मान, अंहकार, दुनियादारी से दूर एक अजीब सी शांति का अनुभव वहा खड़े होने पर लगता है..। 
श्री पाटनी ने कहा ' समारोह शांति पूर्ण सह अस्तित्व की भावना,शांति और जैन धर्म के अहिंसा के सिद्धांत को प्रतिपादित करता है। जिसमें जीयो और जीने दो के सिद्धांत का सार है जिसमे न केवल सभी मनुष्य बल्कि सभी जीवो के एक साथ  शांति पूर्ण सह अस्तित्व की भावना से रहने की कामना है, एक ऐसे आदर्श समाज की कल्पना  ्है जहा समता वाले आदर्श समाज की कल्पना  है, जहा शेर और बकरी एक ही घाट से पानी पीयें. समारोह में लगभग 500 साधु साध्वी, मुनि आर्यिका देश के सुदूरवर्ती इलाकों से पैदल विहार करते हुए यहां पहुंचने शुरू हो गए हैं। अभिषेक के लिए जर्मन प्रौद्योगिकी से निर्मित मचान (प्लेटफार्म) बनाया गया है। इस पर लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत आई है, इस पर लगभग 5,000 श्रद्धालु बैठ सकते हैं और अभिषेक कर सकते हैं।  इसके लिए तीन एलिवेटरों का उपयोग कियाजा रहा है  , जिसमें से एक एलिवेटर का उपयोग अभिषेक सामग्री व दो एलिवेटरों का उपयोग श्रद्धालुओं को पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
इस वर्ष के महामस्तकाभिषेक का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया । प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कल इस समारोह मे हिस्सा  लिया 8 फरवरी से लेकर 16 फरवरी तक पंचकल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन किया गया और 17 फरवरी को अभिषेक समारोह शुरू होने से लेकर 25 फरवरी तक भगवान गोमटेश्वर बाहुबली का भव्य रूप से महामस्तकाभिषेक किया जाएगा। अभिषेक समारोह के बाद  किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन और किशनगढ़ के नागरिकों की ओर से किशनगढ़ एयरपोर्ट पर आर.के. मार्बल परिवार  के सदस्यों का जोरदार स्वागत करते हुए उन के द्वारा किये गये जन कल्याण कार्यो की भूरि भूरि प्रंशसा की गई।   पाटनी परिवार की जैन तीर्थ स्थलों के विकास के साथ साथ अनेक जन कल्याण कारी परियोजनाओ के लिए सहयोग करने में अग्रणी भूमिका रही है। अजमेर के नारेली तीर्थ के विकास में भी श्री अशोक पाटनी की महत्वपूर्ण भूमिका है। वी एन आई

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