एथेंस /नई दिल्ली 06 जुलाई (अनुपमा जैन वीएनआई) ग्रीस की जनता ने देश के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास की अपील स्वीकार करते हुए जनमत संग्रह में यूरोपियन यूनियन और आईएमएफ की कड़ी शर्तों को नकार दिया है,सिप्रास ने जनता से \'नो\' पर वोट डालने की अपील की थी अब ग्रीस का यूरो जोन से बाहर जाना लगभग तय हो गया है.
सनद रहे कि यूरोपियन यूनियन और IMF ने ग्रीस से कर्ज के बदले खर्चों में कटौती की कड़ी शर्तें रखी थीं. कर्ज के लिए कड़ी शर्तों को अस्वीकार कर ग्रीस की जनता ने प्रधानमंत्री सिप्रास में विश्वास जताया है. इन शर्तों को माना जाये या नहीं, इसी मुद्दे पर जनमत संग्रह कराया गया ग्रीस में जनमत संग्रह पर पूरी दुनिया की नजर थी. आज सुबह अनेक एशियाई शेयर बाज़ार के खुलने पर उनके तेज़ी से गिरने की खबरें है, भारत समेत दुनिया भर केमे भी शेयर बाजारों में आज ग्रीस संकट का असर दिख सकता है.
ग्रीस के गृह मंत्रालय के अनुसार ग्रीस में बेलआउट पैकेज को लेकर जनमत संग्रह की वोटिंग ख़त्म होने के बाद दो तिहाई वोटों की गिनती पूरी होने तक जितने वोट ्किया उनमें से 61 प्रतिशत लोगों ने \'ना\' के हक में वोट दिया है. वहीं दूसरी तरफ बेलआउट पैकेज का समर्थन केवल 39 प्रतिशत लोगों ने ही किया.
वोटरों ने बेलआउट पैकेज को \'ना\' ्करने से पहले आर्थिक संकट में फंसे ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस त्सिप्रास ने पहले ही बेलआउट की शर्तों को नकार दिया था. साथ ही लोगों से भी अपील की थी कि वो \'ना\' के ही समर्थन में वोट करें.
ग्रीस के उप विदेश मंत्री युक्लिड स्कालोटोस द्वारा दिये गये एक साक्षात्कार के अनुसार, \'\'सरकार के पास अब एक लोकप्रिय जनादेश है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि ग्रीस इस स्थिति में ज़्यादा दिन तक नहीं रह सकता है, \'ऐसे में हमारे पास अब ऐसी दो वजह हैं जिसके चलते हमें जल्द से जल्द इस स्थिति से निपटने के लिए रास्ता निकालना पड़ेगा जो आर्थिक रूप से मज़बूत हो.
गौरतलब है कि ग्रीस को 2018 तक 50 अरब यूरो यानी 5.5 अरब डॉलर के नये आर्थिक पैकेज की जरूरत है. यूरोपियन यूनियन और IMF ने इसके लिए खर्चों में कटौती की कड़ी शर्तें रखी थीं. ग्रीस के वित्त मंत्री यानिस वैरॉफकिस का दावा है कि ग्रीस यूरोजोन से हटा तो यूरोप को एक हजार अरब यूरो का नुकसान होगा. हालांकि यूरो जोन के देश इसे खारिज कर रहे हैं.
ग्रीस के जनमत संग्रह के बाद अब आगे की रणनीति तय करने के लिए कल यानि ७ जुलाई को यूरोजोन के देशों के वित्तमंत्री करेंगे बैठक. ग्रीस के पीएम सिप्रस ने जनमत संग्रह के बाद कहा, ग्रीस अपनी बैंकिंग व्यवस्था का बहाल करने की इरादे के साथ बैठक में शामिल होगा.
उधर यूरोपियन यूनियन के प्रेसिडेंट से जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्कल और फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद ने कहा, \'\'ग्रीस के जनमत संग्रह का सम्मान होना चाहिए.\'
ग्रीस एक अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा है क्योंकि देश के गृह मंत्रालय ने आज अनुमान जताया है कि जनमत संग्रह में 60 प्रतिशत से ज्यादा वोटरों ने राहत कर्ज के लिए बदले में ज्यादा मितव्यता की कर्जदारों की मांग को नकार दिया है.
उल्लेखनीय है कि पांच महीने पुरानी वामपंथी सरकार की बागडोर संभाल रहे प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने जोर देकर कहा था कि ‘ना’ वोट से उन्हें बेहतर समझौता करने में मदद मिलेगी जबकि ‘हां’ के पक्ष में परिणाम रहा तो इसका मतलब होगा कि उन्हें कठोर मांगों के आगे झुकना पड़ेगा.
उल्लेखनीय है कि ग्रीस के प्रधानमन्त्री सिप्रास ने ग्रीस कर्ज़ संकट के तहत आर्थिक आपात्कालीन परिस्थितियों के मद्देनज़र गत सोमवार को 05 जुलाई तकसभी बैंकों को अस्थाई तौर पर बंद रखने को कहा था. इसके साथ ही एटीमएम मशीनों से पैसा निकालने निकालने पर भी पाबंदियां लगा दी गईं थीं, सरकार का कहना था कि हफ्ते भर तक बैंकों में कामकाज नहीं होगा. इस दौरान खाता धारकों को दिन में 60 यूरो से ज़्यादा निकालने की अनुमति नहीं होगी. लोग बिना पूर्व अनुमति के अपने पैसे को देश के बाहर भी नहीं भेज सके..
विपक्ष ने सिप्रास पर यूरो का इस्तेमाल करने वाले 19 सदस्यीय देशों के समूह में देश की सदस्यता खतरे में डालने का आरोप लगाया है और कहा है कि ‘हां’ वोट एक समान मुद्रा बरकरार रखने के बारे में है.