बीजिंग, 13 जुलाई (वीएनआई) दक्षिण चीन सागर जल क्षेत्र की संप्रभुता पर चीन के दावो को कल हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण द्वारा खारिज किय जाने के फैसले से तमतमाये चीन ने इस फैसले के खिलाफ का दुष्प्रचार और तेज कर दिया है. आरोपो की झड़ियो के बीच हुए अपने दावो को सही ठहराते हुए आज एक श्वेत पत्र भी जारी कर दिया .इस श्वेत पत्र में दावा किया गया है कि दक्षिण चीन सागर के रणनीतिक क्षेत्र पर बीजिंग का दावा 2000 साल पुराना है.
चीन की न्यूज वेबसाइट चाइनाडेली ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि चीन में साउथ चीन में चीन को ब्लॉक करने के फैसले में फिलीपीन के पीछे अमेरिका का हाथ है. वेबसाइट ने लिखा है कि इस क्षेत्र में फौजी व कूटनीतिक सक्रियता बढ़ेगी. चाइनीज एकेडमी में अमरीकी अध्य्यन शोध से जुड़े ताओ वेनझाओ के हवाले से वेबसाइट ने लिखा है कि वाशिंगटन ने स्वयं कभी समुद्र के संबंध में नियमों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों की कभी पुष्टि नहीं की, वह इस मुद्दे पर काफी लंबे अरसे से इस मुद्दे पर व मध्यस्थता मामले में फिलीपीन का समर्थन व प्रोत्साहित करता रहा है.
गौरतलब है कि चीन को कूटनीतिक तौर पर एक बड़ा झटका देते हुए स्थायी मध्यस्थता अदालत ने कल रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों को निरस्त कर दिया था.
हेग स्थित अदालत ने कहा है कि चीन ने फिलीपीन के संप्रभुता के अधिकारों का उल्लंघन किया है. उसने कहा कि चीन ने कृत्रिम द्वीप बनाकर ‘‘मूंगे की चट्टानों वाले पर्यावरण को भारी नुकसान' पहुंचाया है.चीन ने न्यायाधिकरण में शामिल जापानी न्यायाधीश को तो कोसा ही है, साथ ही अमेरिका को भी खरी-खोटी सुनाई है. चीन की मीडिया ने फैसला आने से पहले ही अपने सेना को इस मुद्दे पर एक्टिव मोड में आने की नसीहत दे दी थी, जिसका असर फैसला आने के साथ दिखा जब चीन के रक्षा मंत्रालय ने भी अपनी सेना को हर परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार रहने को कहा. उधर कुछ अमेरिकी सांसदों ने अपनी सरकार ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को लागू करवाने के लिए हर प्रयास करे और जरूरत हो तो सैन्य ताकत का भी इस्तेमाल किया जाये. जानकारो ने अंदेशा जताया है कि चीन व अमेरिका के बीच इस मुद्दे पर नये सिरे से संघर्षपूर्ण स्थिति बनेगी और यह शीतयुद्ध वाली स्थिति भी हो सकती है. चीन द्वारा जारी किये गये श्वेत पत्र में कहा गया कि चीन का 2000 साल से दक्षिण चीन सागर पर दावा है और याचिका दायर करने वाला फिलीपीन चीनी क्षेत्र पर कब्जा कर रहा है. इसमें कहा गया कि दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपीन के बीच विवादों के मूल में वे क्षेत्रीय मुद्दे हैं, जो 1970 के दशक में शुरू हुई फिलीपीन की घुसपैठ और कुछ द्वीपों एवं चीन के नांशा कुंदाओ :नांशा द्वीपसमूहों: पर अवैध कब्जे के कारण पैदा हुए हैं.
‘‘चीन और फिलीपीन के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर उपजे प्रासंगिक विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने को तैयार है चीन' शीर्षक वाले दस्तावेज में कहा गया, ‘‘फिलीपीन ने इस तथ्य को छिपाने के लिए और अपने क्षेत्रीय दावे बरकरार रखने के लिए कई बहाने गढ़े हैं.' स्टेट काउंसिल इन्फॉर्मेशन ऑफिस की ओर से जारी श्वेत पत्र में कहा गया कि फिलीपीन का दावा इतिहास और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार आधारहीन है. .वी एन आई