नई दिल्ली,एक मार्च (शोभना,अनुपमा जैन वीएनआई )अच्छे दिनो की उम्मीदो के बीच वर्ष 2015-16 का आम बजट अब \'आम\' हो चुका है लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली का यह बहुप्रतीक्षित आम बजट 2015-16 मध्यम वर्ग की उम्मीदों पर बहुत ज़्यादा खरा नहीं उतरा, उसने फौरी तौर पर खोया ज्यादा है, पाया थोड़ा कम है लेकिन इसमें कॉरपोरेट जगत जरूर खुश है उसने पाया ज्यादा है। मोदी सरकार के इस पहले पूर्ण बजट ने \'बिग बैंग\' यानी बड़े आर्थिक सुधारों की आस लगाए बैठे अर्थशास्त्रियों एवं विदेशी रेटिंग एजेंसियों को कुछ हद तक निराश ही किया है, लेकिन बजट मे दीर्घकालिक विकास व निवेश बढ़ाने पर जोर दिये जाने से घरेलू अर्थव्यवस्था पर अपनी नजरें जमाए निवेशकों को उत्साह से लबरेज कर दिया है।
आईये, जानते है बजट मे क्या खोया, क्या पाया. इसके कर प्रावधानों की चर्चा करे तो वित्त मंत्री ने कर छूट सीमा में कोई फेरबदल न करते हुए इसे व्यक्तिगत करदाताओं के लिए 2.50 लाख रुपये पर यथावत ही रखा है। इसी तरह आयकर की दरों एवं स्लैबों में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। निशचय ही मध्यम वर्ग इससे थोड़ा निराश हुआ है, वित्त मंत्री का तर्क है कि वह इस कदम के जरिये वे देश मे बचत् को बढावा देना चाहते है, लेकिन सीमित संसाधनो मे गुजर बसर करने वाला यह वर्ग बचत की कैसे सोच पायेगा यह एक यक्ष प्रशन है. यही नहीं, सेवा कर की दर को ‘12.३६ फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया गया है। इससे रेस्टोरेंट का खाना, हवाई यात्रा, घर खरीदना, केबल टीवी, वाई-फाई. जिम. ब्युटी पार्लर, फोन बिल आदि महंगा हो जाएगा। जाहिर है, इससे उपभोक्ताओं को मिलने वाली तरह-तरह की सेवाओं पर कर बोझ अब और ज्यादा बढ़ गया है। इससे करदाताओं के साथ-साथ आम जनता की जेबें भी अब और ज्यादा हल्की हो्ने की आंशका है । उधर, एक करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना आमदनी वालों को दो प्रतिशत सरचार्ज देना होगा। इसी तरह लेन-देन को पारदर्शी बनाने के लिए अब एक लाख रुपये से ज्यादा की खरीदारी पर ‘पैन’ देना अनिवार्य करने का प्रावधान किया गया है। अच्छे दिनो की उम्मीदो के बीच दीर्घकालिक विकास पर जोर देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश बजट मे 2022 तक देश से गरीबी हटाने का संकल्प है ,लेकिन बजट मे सामाजिक सुरक्षा की अनेक अहम घोषणाओ, आधारभूत क्षेत्र मे भारी निवेश बढाने,कृषि क्षेत्र मे विस्तार की सकारात्मक घोषणा के साथ \'सर्विस कर\' बढाने की घोषणा के साथ ही कल डीजल और पेट्रो के बढाई गई कीमतो ने आम आदमी की मुसीबते और बढा दी है, जबकि आय कर दाता कल आय कर सीमा नही बढाये जाने पर पहले से ही निराश हो गया था. हालांकि कॉरपोरेट जगत कॉरपोरेट कर के अगले चार वर्षो मे 30 प्रतिशत से घट कर 25 प्रतिशत किये जाने पर खुश है और उसने कहा कि इससे उद्योगो मे निवेश बढने से देश मे रोजगार के नये अवसर पैसा होंगे, जिससे आम आदमी को कालांतर मे लाभ मिलेगा.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले पूर्ण बजट भाषण मे वित्त मंत्री ने अर्थ व्य्वस्था मे सुधार लाने को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए पहली बार गरीबो के लिये समाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के साथ सामाजिक सुरक्षा की अनेक घोषणाओ के साथ ही,काला धन से निबटने के लिये प्रभावी कदम उठाने व सख्त कानून बनाने, निवेश जुटाने के लिये रेलवे, सड़क तथ सिचाई के लिये कर मुक्त इंफ्रास्ट्रक्चर बॉड, गॉल्ड बोंड जारी किये जाने से दूरगामी परिणाम वाले उपायो की घोषणा की .बजट मे कर प्रक्रिया सरल बनाने की अनेक घोषणाओ के साथ बजट मे उन्होने गरीबो,किसानो पर केन्द्रित अनेक योजनाओ की घोषणा की साथ ही उद्योगो के लिये अनुसूचित जाति/ जनजातियो के लिये मुद्रा ्बैंक बनाने की घोषणा की.बजट मे अब एक करोण से अधिक आमदनी वालों को दो प्ररिशत सरचार्ज देना होगा।फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार भारत में अमरीका और चीन के बाद सबसे ज्यादा अरबपति हैं. इसके बावजूद सरकार को संपत्ति कर से सिर्फ 1008 करोड़ रुपए मिलते हैं.
वित्त मंत्री चाहते हैं कि ये संपत्ति टैक्स खत्म किया जाए और उसकी जगह अमीरों पर 2 फ़ीसदी अतिरिक्त कर लगाया जाए. जहां तक देश के कॉरपोरेट जगत का सवाल है, बजट में कॉरपोरेट टैक्स को अगले चार साल में घटाकर इस स्तर पर लाया जाएगा, इसके साथ ही आम बजट में कुछ अन्य अहम प्रस्ताव भी किए गए हैं। लेकिन बजट के बाद एक पेंच इसमे भी देखने को मिला, बजट के फौरन बाद बाजार जिस तरह से लुढका उससे इसके कोरपोरेट् ्जगत पर असर को लेकर भी सवाल खड़े ्हुए है वित्त मंत्री ने टैक्स चोरी और काले धन को वापस लाने के लिए नया कड़ा कानून बनाने की बात कही है। वित्त मंत्री का कहना है कि इस कानून के तहत टैक्स चोरी करने वालों को 10 साल और विदेश में काला धन छिपाने वालों को सात साल की कड़ी सजा देने का प्रावधान है। जिस तरह से मोदी सरकार ने काले धन को देश विदेश मे छिपी तिजोरियो से बाहर र्निकालने को लेकर् मुद्दा बनाया है, देखना दिलचस्प होगा कि इस जटिल मुद्दी पर यह सरकार क्या कुछ नतीजे दिखा पायेगी.
अगर हम बातें अर्थशास्त्रियों और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों की करें तो उन्हें आम बजट 2015-16 से कुछ निराशा हाथ लगी है। दरअसल, कुछ आर्थिक विश्लेषक यह उम्मीद कर रहे थे कि इस बार के आम बजट में ‘बिग बैंग’ सुधारों को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। मसलन, यह माना जा रहा था कि सरकार भारी-भरकम सब्सिडी में कटौती करने का प्रस्ताव बजट में करेगी, लेकिन सरकार ने इससे परहेज किया। इस क्षेत्र के कुछ जानकारों का कहना है कि दिल्ली में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों ने ही मोदी सरकार के हाथ बांध दिए हैं। दरअसल, आने वाले समय में कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सरकार इस बजट मे अलोकप्रिय फैसलो का जोखिम मोल लेने से बचना चाहती है, लेकिन यह भी सच है कि इस बार मोदी सरकार के सम्मुख फौरन किसी राज्य मे विधान सभा चुनाव का सामना करने की चुनौती नही थी ऐसे मे वह बड़े आर्थिक सुधार लागू करने की चुनौती ले सकती थी जबकि अगले वर्ष फिर उसे कुछ विधान सभा चुनाव का सामना करना है ऐसे मे उसे अगले वर्ष लोक लुभावन घॉषणाओ पर ज्यादा ध्यान देना पड़ सकता है.इसी तरह वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे को कम करके जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 3 फीसदी के स्तर पर लाने के लक्ष्य को एक साल पीछे धकेल दिया है। मतलब यह कि इस लक्ष्य को अब वर्ष 2016-17 के बजाय वर्ष 2017-18 में पाने की कोशिश की जाएगी। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ के एक अधिकारी ने आम बजट पर ठंडी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उनका कहना है कि इसके जरिए राजकोष की हालत में बेहतरी को भविष्य के आर्थिक विकास के भरोसे छोड़ दिया गया है।
वैसे, आम आदमी के लियेयह एक अच्छी बात रही कि इसमे स्वास्थ्य सेवाओं पर ख़र्च की सीमा को 15 हजार प्रति वर्ष से बढ़ा कर 25 हजार किया गया है जबकि बुजुर्गों के लिए यह छूट 30 हजार रुपये होगी।, और उनके घर पर रखे सोने पर ब्याज़ कमाने योजना की भी घोषणा की गई है. कुल मिलाकर आम आदमी की जेब में वित्त मंत्री ने ज्यादा पैसा नहीं छोड़ा है पर उनकी उम्मीद है कि निवेश में आने वाली तेजी से विकास दर को रफ्तार मिलेगी
उद्योग जगत की लंबे समय से मांग थी कि कॉरपोरेट टैक्स को घटाया जाए ताकि ये दूसरे एशियाई देशों के बराबर हो जाए. वित्त मंत्री ने इसे 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने की घोषणा की.
टैक्स छूट के नियमों में बदलाव के प्रस्ताव को दो साल के लिए टाल दिया गया है. उद्योगपति इसे अच्छा मानते हैं क्योंकि इससे निवेश के माहौल को सुधारने में मदद मिलेगी. साथ में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे जिसका भाजपा ने वादा किया था.
काले धन पर नए क़ानून का जो प्रस्ताव है, उससे उद्योगपति थोड़े सहमे हुए हैं. विदेशों में काला धन रखने पर 10 साल तक की सज़ा और 300 फीसदी तक अर्थदंड को लेकर का प्रस्ताव भी बजट में रखा गया है. जिसके पास विदेशों में पैसा पाया गया, वो सेटलमेंट आयोग के पास जाकर गुहार नहीं लगा सकेगा.आम बजट ने देश में निवेश बढ़ाने के प्रयास जरूर किए हैं। इससे खासकर विदेशी निवेशक उत्साहित नजर आ रहे हैं। आम बजट में एक अहम प्रस्ताव यह है कि जिस क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी निवेश की मंजूरी है वहां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) का फर्क हटेगा। इससे विदेशी कंपनियों को भारतीय कंपनियों में ज्यादा हिस्सेदारी हासिल करने में सहूलियत होगी। इसी तरह घरेलू कंपनियों को विदेश के बजाय अपने देश में ही निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
बजट में एक प्रस्ताव यह है कि अत्यंत वरिष्ठ नागरिकों की गंभीर बीमारी के कारण होने वाले खर्चों पर कटौती की सीमा 60 हजार रुपये से बढ़ाकर 80 हजार रुपये कर दी जाए। इसके अलावा, सुकन्या समृदि्ध योजना में निवेश किए जाने पर 80सी के तहत रियायत मिलेगी और इस योजना के तहत किए जाने वाले भुगतान पर टैक्स नहीं लगेगा। आम बजट में ‘प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना’ शुरू करने की घोषणा की गई है। इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों को बीमा कवर दिया जाएगा। इसमें 12 रुपये के सालाना प्रीमियम पर दो लाख रुपये का बीमा कवर मिलेगा। उधर, सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अप्रैल, 2016 से लागू करने का इरादा व्यक्त किया है।
बड़ी संख्या में रोजगारों के सृजन हेतु घरेलू विनिर्माण एवं ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहन देने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट 2015-16 में सीमा शुल्क एवं उत्पाद शुल्क में अनेक रियायतों की घोषणा की। कुछ खास कच्चे माल जैसे धातु पुर्जे, इन्सुलेटेड वायर एवं केबल, रेफ्रिजरेटर कम्प्रेशर के कलपुर्जों, वीडियो कैमरा के कंपाउंड्स इत्यादि पर सीमा शुल्क घटा दिया गया है। इसी तरह परिवहन भत्ते को 800 रुपये से बढ़ाकर 1600 रुपये कर दिया गया है। इसी तरह लेथ मशीनों में इस्तेमाल होने वाले कुछ खास कच्चे माल पर देय बुनियादी सीमा शुल्क को 7.5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी और एलसीडी/एलईडी टीवी पैनलों पर बुनियादी सीमा शुल्क को 10 फीसदी से घटाकर शून्य किया जा रहा है। पेसमेकर के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले विशेष कच्चे माल पर सीवीडी और एसएडी से पूरी तरह छूट दी जा रही है। इसी तरह आम बजट में स्वच्छ भारत अभियान को नए सिरे से आगे बढ़ाने का प्रयास भी किया गया है। इसके तहत स्वच्छ भारत कोष में किए जाने वाले अंशदान पर शत-प्रतिशत कर कटौती का प्रावधान किया गया है।
बजट पर वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है, उन्होंने वर्ष 2015-16 का आम बजट लोकसभा में पेश करने के दौरान अपने बजट भाषण में देश की आर्थिक स्थिति पर संतोष प्रकट करते हुए कहा कि जीडीपी वृद्धि दर इस साल 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है। जेटली ने यह भी कहा कि दुनिया में आर्थिक मंदी का दौर है, ऐसे में सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर अच्छा काम किया है। वित्त मंत्री ने सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य गरीबों तक लाभ पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि सरकार की तीन बड़ी उपलब्धियां हैं- जन धन योजना, स्वच्छ भारत अभियान और कोयला खदानों की पारदर्शी नीलामी। अरुण जेटली ने कहा कि युवाओं के लिए रोजगार उपलब्ध कराना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए बड़े पैमाने पर स्किल डेवलपमेंट योजना शुरू की गई है। उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होने की उम्मीद है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘मेरे सामने पांच प्रमुख चुनौतियां हैं। पहला- कृषि से कम आय, दूसरा- घाटे को काबू में रखना, तीसरा- राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखना, चौथा-मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को पटरी पर लाना और पांचवां -गरीबों तक सब्सिडी पहुंचाना।‘ उम्म्मीद है मोदी सरकार इन चुनौतियो पर पूरा उतरने की कौशिश करेगी ताकि दीर्घकालिक विकास् के एजेंडे को कार्य रूप दिया जा सके.