नई दिल्ली, 02 मई, (वीएनआई) जाने माने भारतीय पत्रकार, लेखक, अर्थशास्त्री, राजनेता और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन वाली अटल विहारी वाजपेयी सरकार में अहम पदो पर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने बीजेपी की मोदी सरकार के एक साल पूरा होने के बाद मोदी पर निशाना साधा और जमकर आलोचना की है। आगे उन्होंने कहा की मौजदा बीजेपी सरकार को नरेंद्र मोदी, अमित शाह और अरुण जेटली की त्रिमूर्ति चला रही है और साथ ही उन्होंने मोदी सरकार को अगले बचे चार साल के कार्यकाल के लिए सही से काम करने की सलाह भी दी है।
हेडलाइंस टुडे को दिए एक खास साक्षात्कार के दौरान अरुण शौरी ने मोदी सरकार के लगभग एक साल पूरा होने पर आलोचना करते हुए अपनी बात सामने रखी और सरकार को बाकी के बचे कार्यकाल के लिए सही से काम करने की सलाह भी दी। अरुण शौरी ने एक एक करके सरकार की सभी मोर्चे पर आलोचना की।
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर बोलते हुए उन्होंने कहा की सरकार की आर्थिक नीति दिशाहीन रही है, अभी तक आर्थिक नीति पर सरकार की कोई बड़ी तस्वीर नहीं है, आर्थिक नीति पर मोदी एक मूख्यमंत्री की तरह फोकस कर रहे है, उन्हें परियोजना की बजाय नीतियों पर ज्यादा फोकस करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा की सरकार अपनी सोच को लेकर स्पष्ट नहीं है, सरकार के पास आइडिया तो अच्छे है लेकिन उनको लागू करने में वो पीछे है, समझ और वायदों तथा प्रोजेक्शन और परफॉरमेंस में बड़ी खाई है, सरकार को पूरी तरह लो प्रोफाइल रहना चाहिए।
शौरी ने आगे कहा देश में निवेश नहीं बढ़ रहा है, सरकार को इंडिया इंक की चेतावनी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, सरकार को जगाने की की जरुरत है निवेशक अभी भी उम्मीद लगाये हुए है। लेकिन इंडस्ट्रियल सेक्टर भी मजबूत कदमों का इंतजार कर रहा है. विकास दर के दावे सिर्फ हेडलाइंस में आने के लिए किए जाते हैं और सरकार सिर्फ हेडलाइंस में आने की कोशिश करती है । टैक्स व्यवस्था को लेकर भी असमंजस की स्थिति बानी हुई है, सरकार के फैसलों से निवेशक भटक रहे है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत को मजदूर व्यवस्था को लेकर सुधार करने की आवश्यकता है. भूमि अधिग्रहण बिल पर विवाद नहीं होने देना चाहिए था, बीजेपी ने अपने सहयोगियों को भरोसे में नहीं लिया। मोदी को विपक्ष को भरोसे में जरूर लेना चाहिए था, विपक्ष के सहयोग के बिना कोई भी सुधार नहीं किया जा सकता. पूरा विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट हो गया है। रोजगार पर भी उन्होंने कहा कि जरूरी पदों पर खली पदो को लेकर हालात भयावह हैं. समझ नहीं आता कि इन पदों को भरा क्यों नहीं गया. इससे महत्वपूर्ण संगठनों को मुसीबत झेलनी पड़ रही है।
मोदी सरकार की विदेश नीति पर भी उन्होंने आलोचना करते हुए कहा की मोदी की विदेश नीति तो सफल रही, लेकिन मोदी को नीतियों को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए। चीन भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, मोदी को ज्यादा तेज होना पड़ेगा, कोई हमारे लिए इंतज़ार नहीं करेगा। अमेरिका पहले से ही इस बेसब्री को महसूस कर रहा है। पडोसी मुल्क पाकिस्तान को लेकर भी उन्होंने कहा की सरकार पाकिस्तान को लेकर स्पष्ट नहीं है, हमे पाकिस्तान की तरफ स्थिरता से नज़र बनाये रखनी चाहिए।
अरुण शौरी ने धर्मांतरण और धर्मिक हमलो को लेकर भी कहा कि सरकार को अल्पसंख्यकों का डर दूर करना चाहिए, सरकार अल्पसंख्यकों को भरोसा दिलाने में नाकाम रही है. ईसाई धर्म के लोग बहुत नाराज हैं। प्रधानमंत्री मोदी को सबसे बात करनी चाहिए, मोदी को इन जटिल मुद्दों पर जरूर बोलना चाहिए, उनकी चुप्पी से नैतिक सवाल खड़े होते हैं। आगे उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान मोनोग्राम वाला सूट नहीं पहनना चाहिए था, मैं समझ नहीं पाया कि मोदी ने वो सूट क्यों स्वीकार किया? आप गांधी जी का नाम लेकर ऐसी चीजें नहीं पहन सकते।