सपनो को पूरा करने मे पूरी लगन से जुट जाओ, सपने पूरे होंगे ही- सुंदर पिचाई के गुरू मंत्र

By Shobhna Jain | Posted on 17th Dec 2015 | VNI स्पेशल
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नयी दिल्ली,17 दिसंबर (अनुपमाजैन/वीएनआई) गूगल के भारतीय मूल के सीईओ सुंदर पिचाई ने आज इस कंपनी के प्रमुख के रूप मे अपनी पहली भारत यात्रा मे भारतीय छात्रों को गुरू मंत्र दिये. उन्होने कहा ' सपनो को पूरा करने मे पूरी लगन से जुट जाओ,सपने पूरे होंगे ही. वह करो जो तुम्हे सबसे अच्छा लगे और देखना तुम वो कर लोगे जो तुम करना चाहते हो.' सुंदर आज दिल्ली के श्रीराम कॉलेज में छात्रों से बातचीत कर रहे थे. उन्होने कहा ' जीवन में रिस्क लेना चाहिए, रिस्क ले्ने से इंसान जीवन में सफल होता है. यह संभव है कि एक बार उन्हें सफलता ना मिले लेकिन बाद में वह सफल होता है.' ्सुंदर का एक और गुरूमंत्र' अगर आप सपने देखेंगे, तो उसे पूरा करने के लिए प्रयास भी करेंगे. इसलिए अगर जीवन में सफल होना है , तो हमेशा दिल की सुनो.' गौरतलब है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स उन्हें छात्रो के साथ एक सेशन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जिसमें छात्रो ने पूरे उतसाह से उनसे सवाल-जवाब पूछे और सुंदर ने भी उन्हे अपनी जीवन यात्रा विशेष तौर पर गूगल मे अपने सफर के अनुभवो को साझा करते हुए उनका हौसला बढाने वाली सीख दी. यह इंटरेक्टिव सेशन का नाम 'आस्क सुंदर' रखा गया , इसके लिए छात्रों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया सुंदर पिचई कल से भारत की दो दिन की यात्रा पर हैं उन्होंने कल ही यह घोषणा की कि वे तीन लाख गांवों को भारत में इंटरनेट से जोड़ेंगे. साथ ही सौ रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध करायेंगे.सर्च इंजन गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ्की गूगल के सीईओ बनने के बाद यह पहली भारत यात्रा है अपनी इस यात्रा के दौरान ुन्होने कल राष्‍ट्रपति व प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी. गौरतलब है कि 43 वर्षीय पिचाई गत सितंबर में सिलिकॉन वैली में मोदी से मिले थे. उन्होंने भारत के माहौल में बात करते हुए कहा कि एक अच्छी बात भारत के बारे में यह है कि आप एक चाय की दुकान पर जाएं और वहां भी आपको एक उद्यमी मिल जाता है. तो उद्यम की जो प्रवृत्ति देश में पहले से ही. हमारा सर्वाधिक फोकस यह सुनिश्चित करना है कि हम भविष्य को ध्यान में रखते हुए लगातार कुछ नया बनाते रहे . सुंदर पिचाई ने कहा ' व्यवसाय के लिए जोखिम लेना पड़ता है. जोखिम लेना अच्छा होता है. आज की पीढ़ी जोखिम लेने से पहले की पीढ़ी के मुकाबले कम घबराती है. खुद को खोजने के लिए लगातार अवसरों की तलाश करते रहें.अवसर तो आते जाते रहेंगे लेकिन फोकस बना रहना चाहिए' सुंदर ने कहा 'तकनीक की दुनिया में सबकुछ बहुत तेजी से बदलता है. 80 के दशक में कंप्यूटर्स की बस शुरुआत हुई थी. 10 साल बाद इंटरनेट आया. फिर 10 साल बाद स्मार्टफोन आए. इससे आप देख सकते हैं कि कैसे चीजें बदल रही हैं. उन्होंने कहा कि आई आई टी खड़गपुर के दिनों में, कोई इंटरनेट नहीं था. मेरे अंकल यूएस गए हुए थे और मैं सेमी-कंडक्टर्स में रुचि रखता था. मैं स्कूल में कुछ खास अच्छा लड़का नहीं था. हम भारत को लेकर ज्यादा दिलचस्पी इसलिए भी रख रहे हैं क्योंकि यह युवाओं का देश है और कई मामलों में ट्रेंड्स (चलन) की बात करें तो वे भारत से ही आएंगे. मुझे याद है जब मैंने काम करना शुरू किया तब लोग आइडियाज़ को डिस्कस करते और इन पर काम करते. यह एक प्रकार से कल्चर का ही हिस्सा है. मैं फुटबॉल का फैन हूं. मैं क्रिकेट और फुटबॉल फॉलो करता हूं. 1986 में, इंडिया-ऑस्ट्रेलिया मैच में मैं स्टेडियम में था. मुझे बताया गया कि मैच ड्रॉ होने वाला है. मेरे पास यह मैच देखने का समय भी था. कई चीजों पर काम करना बाकी है. भविष्य में कई जबरदस्त चीजें आना बाकी है. मैंने अपना पहला फोन 1995 में लिया था, अब, मुझे लगता है कि मेरे पास 20 स्मार्टफोन हैं.सुंदर पिचाई ने कहा कि गूगल बहुत ही मजेदार जगह है. जब मैं वहां गया था तब मैं किसी टॉफी की दुकान में एक बच्चे की तरह महसूस करता था.उन्होंने कहा कि आप यहां वहां घूमिए और लोग गजब की चीजों पर काम कर रहे होते थे. गूगल में हम लोग हमेशा समस्याओं को सुलझाने की सोचते है.वी एन आई

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