नई दिल्ली,6 मार्च (शोभना जैन,वीएनआई) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिंद महासागर के \'भू्ले बिसरे \'दोस्तो के साथ रि्श्तों की पुरानी डोर फिर से थाम उन रिश्तों को नई उर्जा और मजबूती देने लिये के अब वहाँ का रूख किया है.प्रधानमंत्री इस साल की अपनी पहली विदेश यात्रा मे आगामी 10 मार्च को हिंद महासागर द्विपीय देशो ,सेशेल्स,मॉरीशस तथा श्री लंका की यात्रा पर जा रहे है.प्रधानमंत्री की इस यात्रा को \'भौगोलीय और सांस्कृतिक नजदीकीयो वाले पुराने दोस्तो\' के साथ समुद्रीय आर्थिक संबंध और समुद्रीय सुरक्षा संबंध बढाने, जलवायु परिवर्तन जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा के साथ इस क्षेत्र के बदलते अंतरराष्ट्रीय परिपेक्ष्य मे इनके साथ आपसी समझ बूझ बढाने की दिशा मे एक अहम पहल माना जा रहा है.2005 मे पूर्व प्रधानमंत्री की मॉरीशस को छोड्कर , किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की लगभग तीन दशक बाद सेशल्स और 28 बरस बाद श्रीलंका की द्विपक्षीय यात्रा होगी. पहले इन तीन देशो की यात्रा के साथ प्रधान मंत्री का माल्दीव जाने का भी कार्यक्रम था लेकिन वहा राजनैतैक अस्थिरता के वर्तमान घटनाक्रम के चलते अब प्रधान मंत्री वहा नही जा रहे है.
यात्रा के पहले पड़ाव् मे वे 11 मार्च को सुरम्य देश सेशल्स जायेंगे, 11-12 मार्च को वे मॉरेशस जायेंगे, जहां बड़ी तादाद मे भारत वंशी रहते है.यात्रा के अंतिम पड़ाव् में वे 13-14 मार्च को श्रीलंका जायेंगे. विदेश मंत्रालय के अनुसार प्रधान मंत्री की भारत के समुद्रीय पड़ोसी देशो के साथ रिश्ते और प्रगाढ बनाने के मकसद् से हो रही यह यात्रा हिंद महासागर क्षेत्र मे भारत के रिशते और मजबूत करने की भारत की प्रबल इच्छा का सूचक है. इस दौ्रान प्रधान मंत्री इन देशो के शीर्ष नेतृत्व के साथ उभयपक्षीय संबंधो को मजबूत बनाये जाने के साथ क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय मुद्दो पर भी चर्चा करेंगे. विदेश नीति के जानकार प्रधान मंत्री मोदी की इन द्विपीय यात्राओ को चीन द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र मे अपनी पैंठ बठाने की भरसक कोशिशो की प्रृठभूमि मे भारतीय कूटनीति की एक अच्छा \'तोड़\' मान रहे है. चीन ने हिंद महासागर में भारत को घेरने के लिए ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ का जो जाल बिछाया है, और इस क्षेत्र के देशो को अपने प्रभाव क्षेत्र मे लेने की जो पैतरेबाजी की है, भारत के इस कदम् को उस का तोड़ माना जा सकता है । । पिछले एक दशक में चीन ने इस क्षेत्र के देशों से निकटता बढ़ाई है। उसने बड़े पैमाने पर यहां निवेश भी किया है। हिंद महासागर में अपनी पकड़ और पहुंच बनाने के लिए भी चीन इनसे सहयोग कर रहा है।
हिंद महासागर के 90,000 की आबादी वाले छोटे से बेहद खूबसूरत द्वीप सेशल्स की संक्षिप्त यात्रा के दौरान प्रधान मंत्री वहा के राष्ट्रपति एलिक्स मिशेल के साथ \'समुद्रीय संबंधो \'को और मजबूत बनाने के साथ सेशल्स को विकास मे सहयोग बढाने पर विशेष चर्चा करेंगे. गौरतलब है कि वर्ष 1981 मे तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी के बाद किसी भी भारतीय प्रधान मंत्री ने सेशल्स की यात्रा नही की, दोनो देशो के पुरखो की डोर से बंधे मॉरीशस मे प्रधान मंत्री मोदी वहा के स्वतंत्रता दिवस समारोह मे मुखय अतिथि होंगे. गौरतलब है कि राजग सरकार मे तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी ने भी वर्ष 2000 मे मॉरेशस की यात्रा की थी. प्रधान मंत्री मोदी प्रधान मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ के साथ मॉरीशस के साथ भारत के विशेष और अनूठे रिशते को और मजबूत करने पर व्यापक चर्चा करेंगे. वे वहा भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे.गौरतलब है कि मॉरीशस मे भारतीय मूल के लोगो की आबादी लगभग 68 प्रतिशत है किसी भारतीय प्रधान मंत्री की 2005 के बाद यह पहली बार मॉरेशस यात्रा होगी. तब तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिह मॉरीशस गये थे.
श्रीलंका मे भी किसी भारतीय प्रधान मंत्री की 28 बरस बाद श्री लंका की द्विपक्षीय यात्रा होगी. श्री लंका की नव निर्वाचित मैत्रीपाला सिरीसेना सरकार के भारत के साथ रिश्ते और प्रगाढ बनाने की इच्छा और पहल के मद्देनजर प्रधान मंत्री मोदी की इस यात्रा को दोनो देशो के बीच रिश्तों के नये अध्याय की शुरूआत बतौर देखा जा रहा है. श्री लंका के राढ्ट्रपति मैत्रीपाला ने इस जनवरी हुए चुनाव के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिये भारत को ही चुना था और इस दौरान गत माह अपनी भारत यात्रा के दौरान भारत पर भरोसा जताते हुए श्रीलंका ने भारत के साथ द्विपक्षीय असैन्य परमाणु सहयोग संधि की, जो श्रीलंका की किसी देश के साथ पहली इस तरह की संधि थी.वे उत्तरी श्रीलंका में जाफना भी जाएंगे जहां 1980 के दशक में गृहयुद्ध चला और लिट्टे और श्रीलंका सरकार के बीच कभी भीषण युद्ध हुआ था। श्री मोदी जाफना जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। वे जाफना में भारत की सहायता और सहयोग से चलाए जा रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार इस यात्रा से दोनो देशो को शीर्ष स्तर पर निकट राजनैतिक संपर्क बढाने,सहयोग बढाने के साथ समान हित वाले प्रमुख मुद्दो पर आपसी समझ बूझ कायम करने का मौका मिलेगा. ततकालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने 1987 मे श्री लंका का दौरा किया था जिस दौरान उन्होने भारत श्री लंका शांति करार किया था, वी एन आई