नई दिल्ली 20 अप्रैल(शोभना जैन,वीएनआई) \'यमन\' मे जारी भारी उथल पुथल और हिंसा के बीच भारत सरकार ने बेहद खराब हालात मे वहा फंसे पांच हजार भारतीयो के अलावा पाकिस्तान और पड़ोसी देशो सहित 48 देशो के लगभग 2000 विदेशियो को भी सुरक्षित निकाला, साथ ही सरकार ने आज स्पष्ट किया कि यमन मे हालात सामान्य हो जाने तक यमन का भारतीय दूतावास पड़ोसी देश \'जिबुती\' से कार्य करता रहेगा।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज लोक सभा मे \'यमन\' में हाल के घटनाक्रम और वहां से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए चलाये गए अभियान\" पर अपनी पहल पर दिये गये एक बयान मे कहा \'यद्धग्रस्त यमन से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए चलाया गया अभियान \"राहत\" अत्यंत सफल रहा है और इसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने खूब सराहा है इस \'निकासी प्रक्रिया\' के दौरान भारत द्वारा इस तरह के तमाम प्रयास \"वसुधैव कुटुम्बकम्\" की भावना से किये गये.\'
उन्होने कहा \'भारतीय दूतावास वहा हवाई हमले प्रारंभ होने के बाद सना में कार्यरत कुछेक विदेशी मिशनों में से एक था, इसलिए हमें पड़ोसी तथा पश्चिमी देशों सहित 33 देशों से उनके नागरिकों की निकासी हेतु औपचारिक अनुरोध प्राप्त हुए। हमने जमीनी सच्चाईयों के आधार पर इन अनुरोधों पर यथासंभव सकारात्मक कार्रवाई की। कुल मिलाकर हमने 48 देशों के नागरिकों को निकालने में मदद की जबकि वहा फंसे भारत के 27 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाया गया.
विदेश मंत्री के बयान के दौरान कॉग्रेस सहित विपक्ष चर्चित भूमि विधेयक को लेकर लगातार नारेबाजी और हंगामा करते रहे.
श्रीमति स्वराज ने बयान मे कहा कि सना में सुरक्षा की बदतर होती जा रही स्थिति के मद्देनज़र निकासी प्रक्रिया के सफलता से पूरी होने के बाद भारत ने अपने यमन स्थित अपने दूतावास को गत 15 अप्रैल को \'जिबुती\' में स्थानांतरित कर लिया है. उन्होने कहा \'भारत सरकार यमन के घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखे हुए है। यमन के बिगड़ते आंतरिक हालात से न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ा ,अपितु इससे वहां रहने वाले हमारे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा एवं कल्याण पर भी असर पड़ा ।\' इन राहत कार्यो का सिलसिलेवार विस्तृत ब्योरा देते हुए श्रीमति स्वराज ने कहा कि 18 अप्रैल, तक 4,741 भारतीय और 1,947 विदेशियों सहित कुल 6,688 व्यक्तियों को इस कार्रवाई में हवाई तथा समुद्री मार्गों द्वारा सुरक्षित निकाला जा चुका था। इस अभियान से जुड़े विदेश मंत्रालय सहित सभी विभागो के राहत कर्मियो के कठिन परिस्थतियो मे किये गये राहत कार्यो की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए उन्होने कहा कि यह विदेश मंत्रालय की देखरेख और समन्वयन से अनेक भारतीय मंत्रालयों और एजेंसियों का संयुक्त प्रयास था अभियान के तहत भारत के 27 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाया गया.
बयान मे कहा गया है कि उत्तरी यमन से \'हूती\' के \'जैदी शिया गुट\' और \'राष्ट्रपति अब्दु रब्बो मंसूर हादी\' के नेतृत्व में संघीय सरकार के बीच गंभीर मतभेद के कारण इस देश में सितंबर 2014 से ही राजनैतिक अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है और सुरक्षा व्यवस्था दिनोंदिन बदतर होती जा रही है।
इसमे कहा गया है कि यमन में सुरक्षा माहौल के बिगड़ने की आशंका को देखते हुए विदेश मंत्रालय और सना स्थित भारतीय दूतावास ने इस वर्ष 21 जनवरी, 19 मार्च तथा 25 मार्च को तीन परामर्शी जारी करके वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों को उपलब्ध वाणिज्यिक साधनों की सहायता से स्वेच्छा से यमन छोड़ने का आग्रह किया था, क्योंकि उस समय सुरक्षित निकला जा सकता था,किन्तु तब किसी ने इस सलाह पर ध्यान देते हुए यमन नहीं छोड़ा ।
उन्होने कहा कि स्थति बिगड़ने के बाद सरकार ने स्थानीय सुरक्षा स्थिति का आंकलन करने के बाद बेहद खराब हालात मे स्थानीय यमनी एजेंसियों तथा क्षेत्र की अन्य सरकारों के साथ संपर्क साधा, ताकि इन लोगों को सुरक्षित एवं समय पर निकाला जा सके। गठबंधन सैन्य बलों द्वारा यमनी हवाई क्षेत्र पर लगाए गए नो फ्लाई जोन तथा समुद्री मार्गों को बाधित किए जाने के कारण निकासी प्रक्रिया अत्यंत जटिल हो गई और यह एक बहुत कठिन कार्य बन गया । वे स्वयं इस पूरे राहत अभियान से निरंतर जुड़ी थी. विदेश राज्यमंत्री जनरल वी के सिंह स्वयं जिबुती जा कर शिविर कार्यालय से इन प्रयासों का निरीक्षण करते रहे.प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने \'सऊदी अरब\' नरेश सलमान बिन अब्दुल अजीज अस्सऊद से टेलीफोन पर बात कर के वहा फंसे अपने लोगो को निकालने मे सहयोग मांगा जिसके जवाब मे सऊदी नरेश ने उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया ।
सुश्री स्वराज के अनुसार इस निकासी के लिए गृह, रक्षा तथा नागर विमानन मंत्रालयों के साथ सहयोग करके आवश्यक व्यवस्थाएँ की गई। सरकार ने 5 समुद्री जहाजों तथा 7 हवाई विमानों के माध्यम से निकासी के लिए पर्याप्त क्षमता का उपयोग किया। भारतीय नौसेना के तीन युद्धपोतों –आई.एन.एस. सुमित्रा, आई.एन.एस. मुंबई और आई.एन.एस. तरकश और दो भारतीय कमर्शियल समुद्री जहाजों कावारात्ती और कोरल का उपयोग किया गया। 7 हवाई विमानों में से 3 इंडियन एयर फोर्स के सी-17 ग्लोबमास्टर्स और एयर इंडिया के 4 व्यावसायिक विमान शामिल थे।
एयर इंडिया के तीन हवाई जहाजों ने भारतीय तथा विदेशी नागरिकों को सना से जिबुती पहुंचाया। एक एयर इंडिया 777 का उपयोग भारतीय नागरिकों की कोच्चि तथा मुंबई पहुंचाने में किया गया। युद्धरत गुटों के बीच भारी गोलाबारी तथा लड़ाई के बावजूद हमारी नौसेना के जहाजों ने यमन में अदन, अल-हुदायदाह तथा अल-मुकल्ला बंदरगाहों से लोगों को सुरक्षित निकाला।
इस राहत अभियान के तहत आस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, बहरीन, कनाडा, क्यूबा, जिबुती, मिस्र, एल् सेल्वाडोर, इथियोपिया, फ्रांस, ग्रीस, जर्मनी, हंगरी, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, आयरलैंड, इटली, जॉर्डन, केन्या, किर्गीस्तान, लेबनान, , मोरक्को, म्यांमार, मेक्सिको, माल्दीव, नेपाल, न्यूजीलैंड, फिलीपिन्स, पाकिस्तान, रोमानिया, रूस, सोमालिया, स्वीडन, श्रीलंका, सूडान, स्पेन, स्विटजरलैंड, सीरिया, तंजानिया, ब्रिटेन, उजबेकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, युगांडा, यूक्रेन तथा यमन के अनेक नागरिकों की सहायता कर उन्हे वहा से सुरक्षित निकाला। इसकी विश्वभर में सराहना की गई । वी एन आई