मोदी की \'त्रिवेणी\' श्रीलंका यात्राः जाफना के सत्ताईस हजार \'बेघरो\' को आज मिला \'बसेरा \',दूध उबालने की रस्म के साथ हुआ \'गृह प्रवेश\'

By Shobhna Jain | Posted on 14th Mar 2015 | VNI स्पेशल
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कोलंबो, श्रीलंका, 14 मार्च ( शोभना जैन,वीएनआई) प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कभी \'भीषण जातीय हि्ंसा\' का शिकार रहे तमिल बहुल \'जाफना\' की भूमि से आज श्री लंकावासियो को एकता और अखडंता के साथ प्रगति करने और देश के सभी नागरिको को समान अवसर और सम्मान मिल पाने की भारत की शुभकामनाये दी और वहां की हिंसा मे बेघर हुए 27,000 लोगो को भारत द्वारा बनाये गये\'बसेरे\' सौंपें .आज श्रीलंका की अपनी दूसरे व अंतिम दिन \'संघर्ष से पुनर्निर्माण व शांति यात्रा\' के दौरान प्रधान मंत्री ने एक भावुक समारोह मेआठ परिवारो को इन घरो के स्वामित्व के दस्तावेज प्रतीतात्मक स्वरूप सौपे, और एक नये घर मे उस परिवार के साथ \'दूध उबालने की पारंपरिक गृह प्रवेश की रस्म\' के साथ उनके नये निर्माण किये गये नीड़ मे प्रवेश किया. गौरतलब है कि कल ही प्रधानमंत्री ने श्रीलंका की नई सरकार् से देश की तमिल अल्पसंखयक समुदाय को अधिक स्वायत्तत्ता दिये जाने के 13वें संवैधानिक संशोधन को पूरा करने और मेल मिलाप की प्रक्रिया को और गति देने का आग्रह किया था. इस समारोह मे प्रधान मंत्री ने कहा\' जाफना आज दुनिया भर मे नई पहचान बना रहा है,और दुनिया को प्रेम और शांति का संदेश दे रहा है.\' उन्होने कहा कि यहा के लोगो ने जीवन मे बहुत उतार चढाव देखे है, बहुत कठिनाईया भोगी है, भारत कभी भी श्रीलंका की प्रगति मे हाथ बंटाने मे, उसका साथ देने मे पीछे नही रहेगा,दोनो की दोस्ती सदियो पुरानी है और सदियो तक बनी रहेगी.श्री नरेंद्र मोदी जाफना जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री है.गौरतलब है कि शांति व अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने भी कस्तुरबा व राजा गोपालचारी के साथ जाफना का दौरा किया था, तब गांधी जी ने यहा अनेक सभाओ को भी संबोधित किया था उत्तरी श्रीलंका के तमिल बाहुल्य इस क्षेत्र में गांधी जी 27 नवंबर 1927 को गये थे । प्रधान मंत्री ने आज सुबह अपने दिन की शुरूआत प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थली और शांति स्थल अनुराधापुरा के दर्शन से् की ,बाद मे उन्होने उत्तरी क्षेत्र मे भारत के सहयोग से बनी तलाईमन्नार से मधु रोड रेल सेवा का हरी झंडी दिखा कर उद्घाटन किया.इसके जरिये अब यह क्षेत्र राजधानी कोलंबो से जुड़ जायेगा. बाद मे प्रधान मंत्री ने जाफना मे भारत द्वारा निर्मित किये जाने वाले सांस्कृतिक केन्द्र का भी शिलान्यास किया और भरोसा जताया कि सांस्कृतिक विरासत और रिश्तो की डोर से बंधे इन दोनो देशो के आपसी रिश्ते इस केन्द्र से और मजबूत होंगे. समारोह मे उत्तरी प्रांत के मुख्यमंत्री श्री सी वी वि्घ्नेश्वरन भी मौजूद थे. प्रधान मंत्री ने आज अपनी श्रीलंका यात्रा के समापन दिवस की यात्रा को \'त्रिवेणी यात्रा \'बताते हुए कहा \'जाफना के इस केन्द्र का शिलान्यास करने ,तलाईमन्नार से मधु रोड रेल सेवा का उदघाटन करने, और बाद मे \'बेघरो को घर दे कर उनके आंसू पौंछने के कार्यक्रम मे हिस्सा लेने से उनकी यह यात्रा \'त्रिवेणी यात्रा\' बन गयी है और जिसे ले कर वे भाव विह्वल है. इन भावनाप्रद कार्यक्रमो मे बड़ी तादाद मे स्थानीय लोगो ने उत्साह से हिस्सा लिया. बाद मे प्रधानमंत्री ने जाफना के प्रसिद्ध\'नगुलेश्वरम मंदिर\' मे भी पूजा अर्चना की| जातीय हिंसा के शिकार इन बेघर लोगो को भारत द्वारा \'घर\' बना कर दिये जाने की यह पहली खेप है. भारत का उन्हे कुल 50,000 घर दिये जाने का कार्यक्रम है जिनमे से 42,000 उत्तरी प्रांत मे,व 4,000-4,000 क्रमश पूर्वी तथा मध्य और उलवा प्रांत मे दिये जायेंगे.प्रधान मंत्री हिंद महासागर क्षेत्र के तीन देशो, सेशल्स, मॉरीशस व श्री लंका की दो दिवसीय यात्रा के समापन के बाद आज रात स्वदेश लौट रहे है. प्रधान मंत्री ने जातीय हिंसा के शिकार रह चुके इस तमिल बहुल इइलाके के लोगो से कहा \'भारत की शुभकामना है कि श्रीलंका एकता और अखडंता के साथ प्रगति करे, श्रीलंका का कोई भी नागरिक चाहे यहां किसी भी भू क्षेत्र मे रहे, उसे समान अवसर मिले. बाद मे प्रधान मंत्री ने ये \'घर\' उन्हे सौंपते हुए कहा \'यह परियोजना जाफना के दुखियारो के दुख ,दर्द बांटने और उनके जीवन मे खुशहाली लाने का भारत का एक विनम्र प्रयास है, और सेवा परमोधर्म की भारतीय संस्कृति का एक विनम्र उदाहरण है\'| उल्लेखनीय है कि यह इलाका लिट्टे के खिलाफ बरसो बरस चले युद्ध में पूरी तरह से तबाह हो गया था. उसके बाद लगभग एक लाख श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियो ने भारत के शरणार्थी शिविरो मे शरण ली. इन क्षेत्रो मे अब स्थति सामान्य होने के मद्देनजर पिछले कुछ दिनो से भारत तथा श्री लंका सरकार के बीच इन शरणार्थियो की \'स्वैच्छिक स्वदेश वापसी\' के लियी बातचीत शुरू हुई है. गृह युद्ध से तबाह हुए श्री लंका के पुनर्निर्माण कार्यक्रम् मे भारत द्वारा दिये जा रहे सहयोग की श्रंखला मे तलाईमन्नार से मधु रोड रेल सेवा को एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है. इससे न/ न केवल देश के दो हिस्सो मे आवाजाही हो सकेगी बल्कि इसे भारत और श्री लंका की आपसी संबंधो मे एक \'नयी यात्रा\' का प्ररंभ माना जा रहा है, प्रधान मंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र भारत के रामेशवर से इतना निकट है इस सेवा से दोनो देशो के जनता और नजदीक आयेगी तथा क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी. इस क्षेत्र मे रेल सेवाओ के विस्तार के लिये प्रधान मंत्री ने कल 31.80 करोड़ डॉलर की सहायता भी देने की घोषणा की थी. प्रधान मंत्री ने आज सुबह ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के शांति स्थल और पवित्र नगरी अनुराधापुरा की तीर्थ यात्रा के दौरान पवित्र \'महाबोधि वृक्ष\' की पूरे \'विधि विधान\' से पूजा अर्चना की. श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना भी इनके साथ अनुराधापुरा आये और उन्होने भी वहा श्री मोदी के साथ पूजा की. प्रधान मंत्री ने बौद्ध भिक्षुको के\' श्लोक मंत्रोच्चार \'के बीच वहा पवित्र वृक्ष पर पवित्र कमल और लाल रंग् का वस्त्र अर्पित किया. इस अवसर पर वहां के मठ के मुख्य भिक्षुक ने उन्हे पवित्र वृक्ष के बारे मे एक पुस्तिका भी भेंट की. प्रधान मंत्री ने पूजा अर्चना के बाद भिक्षुओ को \'दान दक्षिणा\' भी अर्पित की. बाद मे प्रधान मंत्री ने वहा के \'रूनावेल्सिया चेतिया \'स्तूप के भी दर्शन किये. कोई भारतीय प्रधान मंत्री पहली बार अनुराधापुरा के दर्शन पर आया है इतिहास की सबसे प्रसिद्ध राजधानियों मे से एक पवित्र नगरी अनुराधापुर तकरीबन 2500 पुरानी है तथा \'बुद्ध नगरी\'के नाम से प्रसिद्ध है| सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र व पुत्री संघमित्रा द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु बो्धिगया से लाई गयी बोधिवृक्ष की टहनी अनुराधापुर में स्थित महा विहार में लगायी गयी थी। विश्व के सबसे पुराने पेड़ों में से एक पवित्र श्री महाबोधि वृक्ष है, माना जाता है कि भारत स्थित बोधिगया वृक्ष (बिहार राज्य के गया जिले मेँ बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर मेँ स्थित पीपल का पेड , इसी पेड के नीचे 531 ई.पू. भगवान बुद्ध को \'बोध\' प्राप्त हुआ था) इसी की शाखा से उगाया गया था, जिसकी दक्षिणी भाग की एक टहनी वे दोनो भाई, बहन अपने साथ ले गए थे। चौथी शताब्दी ईस्वी में महात्मा बुद्ध का एक दाँत दंतपुरा (पुरी) से अनुराधापुर लाया गया था, जिसे अशोक द्वारा निर्मित धूपाराम स्तूप में रखा गया था। अनुराधापुर मे प्रधान मंत्री ने रूआवेलिसिया स्तूप के भी दर्शन किये।, प्रधान मंत्री हिंद महासागर क्षेत्र के तीन मित्र पड़ोसी देशो सेशल्स, मॉरीशस और श्रीलंका यात्रा के अंतिम चरण मे कल दो दिवसीय यात्रा पर यहा पहुंचे. 28 वर्ष बाद किसी भारतीय प्रधान मंत्री की यह \'पहली द्विपक्षीय श्री लंका यात्रा\' है, भौगोलिक नजदीकियो, ऐतिहासिक सांस्कृतिक संबंधो और साझे मूल्यो की डोर से बंधे भारत तथा श्रीलंका मे इस यात्रा को खासा अहम माना जा रहा है . श्रीलंका मे नागरिको द्वारा श्री मोदी का स्वागत किये जाने के साथ यहां के मीडिया मे भी यह यात्रा खासी सुर्खिया बना रही है. इस यात्रा खासियत यह रही है कि दोनो देशो के बीच आर्थिक, रक्षा, सुरक्षा, विकास मे साझीदारी बढाने पर सहमति के साथ दोनो देशो की जनता के बीच आपसी संपर्क बढाने के बारे मे अनेक महत्वपूर्ण फैसले और चार अहम समझौते किये गये गौरतलब है कि प्रधान मंत्री कल कहा था कि स्थिर तथा शांतिपूर्ण पड़ोस हम सभी के लिये जरूरी है उन्होने कहा \'निश्चय ही जब देश प्रगति करते है तो पूरा क्षेत्र आगे बढता है\' श्री लंका के राष्ट्रपति सिरिसेना ने भी प्रधान मंत्री मोदी की इस यात्रा को आपसी संबंधो मे एक नये अध्याय का सूत्रपात बताया. निश्चय ही पिछली राजपक्षे द्वारा भारत के साथ भरोसेमंद और सहयोग पूर्ण रिश्तों को दरकिनार रख चीन की तरफ लगातर बढते कदमो से हट कर श्रीलंका की नई मैत्रीपाला सरकार भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने की पहल कर् रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्रीलंका दौरे ने एक बार फिर श्रीलंका से रिश्तों की कमजोर पड़ती डोर को मजबूत करने की कोशिश की है. वी एन आई

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