समस्तीपुर 26 नवम्बर (वीएनआई) बिहार के समस्तीपुर से निकला एक छोटा सा बालक, जिसने पांच साल की उम्र में बल्ला थामकर क्रिकेट का सफर शुरू किया, आज पूरे देश में गर्व का प्रतीक बन गया है। 13 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने अपनी मेहनत, लगन और अपार प्रतिभा के दम पर आईपीएल के 2025 ऑक्शन में इतिहास रच दिया। राजस्थान रॉयल्स ने इस नन्हे सितारे को 1.1 करोड़ रुपये में खरीदकर न सिर्फ उनकी काबिलियत को सम्मान दिया, बल्कि हर छोटे गांव के उस सपने को भी उड़ान दी, जो बड़े मंच तक पहुंचने की उम्मीद करता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वैभव के कोच बृजेश झा का कहना है कि वैभव ने 5 साल की उम्र में बल्ला थामा ,जब वैभव ने समस्तीपुर के पटेल मैदान में प्रैक्टिस शुरू की, तब वह महज 7 साल के थे। दिन के ढाई बजे से लेकर शाम तक वह मैदान में डटे रहते। यही नहीं, बड़े होते-होते उन्होंने सुबह के बैच में भी प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया। अनुशासन और मेहनत का यह स्तर किसी सामान्य बच्चे में कम ही देखने को मिलता है।
क्रिकेट की बारीकियों को समझने के लिए वैभव ने पटना की जेन एक्स क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग ली। वहां उन्होंने हर मौके का भरपूर इस्तेमाल किया और अपने प्रदर्शन से हर किसी को प्रभावित किया। एक साल में 49 शतक और 3 दोहरे शतक बनाना किसी चमत्कार से कम नहीं। लेकिन यह चमत्कार उनकी मेहनत और कोच बृजेश झा के मार्गदर्शन का नतीजा था।पिछले साल हेमंत ट्रॉफी में उनके बनाए 670 रन और वीनू मांकड़ अंडर-19 टूर्नामेंट में किए गए 393 रन उनकी प्रतिभा का प्रमाण हैं।
कोच बृजेश झा के लिए यह गर्व का क्षण है कि जिस बच्चे को उन्होंने छोटी उम्र में खेलते देखा था, वह आज राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज के मार्गदर्शन में खेलेगा। उन्होंने कहा, "राहुल द्रविड़ जैसे अनुभवी कोच की देखरेख में वैभव और भी निखरेंगे। उनके पास वह काबिलियत है, जो उन्हें भारतीय क्रिकेट का भविष्य बना सकती है।"
वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किया। अपनी जमीन बेचकर, मुंबई में बाउंसर और शौचालय के देखरेख जैसे काम कर, उन्होंने कभी अपने संघर्ष की परवाह नहीं की। उनके लिए यह सबसे बड़ा सुख है कि उनका बेटा अब केवल उनका नहीं, बल्कि बिहार और पूरे देश का बेटा बन गया है।
वैभव सूर्यवंशी की कहानी उन लाखों बच्चों के लिए एक प्रेरणा है, जो छोटे शहरों और गांवों से निकलकर बड़े मंच तक पहुंचने का सपना देखते हैं। यह कहानी बताती है कि अगर आपके पास सपने देखने की हिम्मत और उन्हें पाने का जुनून है, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती। बिहार का यह लाल न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय बन गया है।
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