नई दिल्ली, 18 सितंबर (विश्वास कुमार/वीएनआई) क्या आप जानते हैं आज विश्व बांस दिवस हैं ? बांस हमारे जीवन के बाल्य काल से लेकर जीवन के अंतिम काल तक जुड़ा रहता है और यह किसी न किसी रूप में हमारे घरों में दैनिक जीवन में उपयोग भी होता है, लेकिन क्या हमने कभी इसके बारे में विस्तार से जानने की कोशिश की? हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होने के बावजूद हम लोगो ने इसको उतनी महत्वता कभी दी नहीं। आईये जाने विश्व बांस दिवस क्यों और कैसे मनाया जाता है और कब इसकी शुरुआत हुई।
विश्व बांस दिवस पहली बार औपचारिक रूप से 18 सितंबर 2009 को बैंकॉक में आयोजित किया गया था। विश्व बांस संगठन ने 18 सितंबर को बैंकॉक में 2009 को पहली बार विश्व बांस दिवस मनाने की घोषणा की थी। विश्व बांस संगठन ने 8वीं विश्व बांस कांग्रेस में इस बात का ऐलान किया था। तब से हर वर्ष 18 सितम्बर को दुनियाभर में विश्व बांस दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य है इसकी जागरूकता को बढ़ाना और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना है। वहीं इस दिन लोगो को इसकी खेती करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे इसका विस्तारपूर्वक उपयोग किया जा सके और प्राकृतिक संतुलन को स्थापित किया जा सके। हर वर्ष विश्व बांस दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता है, इस वर्ष इसका थीम है बांस के पौधे लगाएं।
अब जानते है बांस के बारे में विस्तार से और हमने जीवन में इसका क्या उपयोग होता है, बांस का वैज्ञानिक नाम बम्बूसाइडी है। बांस धरती पर गर्म उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय भागों में पाया जाता है और ये एक प्राकृतिक वनस्पति है। वहीं बांस का उपयोग सबसे ज्यादा मुख्य रूप से पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया किया जाता है। बांस के बारे में एक सबसे अच्छी बात यह है कि एक बार लगाने के बाद फिर शायद ही इसे कभी दोबारा लगाने की आवश्यकता होती है। यह बहुत तेजी बढ़ने वाले घास के पौधों में से एक है।
बांस प्रकृति के सबसे अनमोल खजाने में से एक है और इसका हमारे जीवन में कई तरह से उपयोग होता है, इसका प्रयोग गांव-देहात में पहले कच्चे घर बनाने में सबसे अधिक होता था, आज भी कहीं कहीं छप्पर डाले जाता है तो उसमे भी इसका प्रयोग होता है। शहरी जिंदगी भी इससे अछूती नहीं है, शहरी घरों में लकड़ी के फर्नीचर में इसका उपयोग होता है। इसके आलावा इसका उपयोग बच्चो के खिलौने, बांसुरी, हाथ गाड़ी, बुजुर्गो की लाठी, पुलिस वालो के डंडे, घरों में उपयोग होने वाली सीढ़ी, घर की चारपाई, शादी विवाह में मंडप और दुल्हन की डोली अन्य बहुत तरीको से यह हमे जीवन में जुड़ा हुआ है, और तो और जब आप कभी गर्मी की छुट्टियां बिताने नानी के घर गांव गए होंगे और ऊँचे ऊँचे पेड़ो पर लदे आम देखकर आपका मन जरूर ललचाया होगा, तब बांस की लग्गी से अपने आम भी तोड़ा होगा। जीवन के साथ तो यह हमारे साथ किसी न किसी उपयोग में जुड़ा है, लेकिंन जीवन के अंतिम समय में भी यह हमारे जीवन के साथ ही रहता है जब शमशान में अर्थी के रूप में इसे इस्तेमाल किया जाता है। इसके आलावा इससे जैव ईंधन और कागज भी बनाये जाते है, कई जगह इसके कपड़े भी बनाये जाता है। सबसे आश्चर्य के बात है पूर्वोत्तर भारत और अधिवासी क्षेत्रो में इसके माध्यम से स्वादिष्ट और लजीज भोजन भी तैयार किया जाता है। तो देखा अपने यह किस तरह से हमारे जीवन में जुड़ा हुआ है, तो हमे भी इस प्राकृतिक सम्पदा की आवश्यकताओं को बनाए रखने के लिए बांस की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए। वहीं एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते इसका संरक्षण करना भी हमारा कर्तव्य है। जिसे इसका उपयोग मानव कल्याण के लिए हो सके।
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