नई दिल्ली, 07 अप्रैल, (वीएनआई) चैत्र नवरात्रों की बीते शनिवार शुरुआत हो गई है। इस बार की नवरात्रि मान्यता के आधार पर केवल 8 दिन की ही हैं। इसमें 12 अप्रैल को अष्टमी की पूजन की जाएगी। इस दिन श्रद्धालु माता के महागौरी रूप की आराधना करते हैं। इसके बाद 13 तारीख को श्रीराम नवमी मनाई जाएगी, साथ ही माता की नवमी पूजन भी की जाएगी।
आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है और आज नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप की पूजा की जा रही है। नवरात्र के दूसरे दिन भगवती मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। ब्रह्मचारिणी देवी भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या से है और ब्रह्मचारिणी अर्थात् तप की चारिणी – तप का आचरण करने वाली। शास्त्रों ने कहा भी है कि वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म। माता का स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय एवं अत्यंत भव्य है। उनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमण्डलु है।साधक एवं योगी इस दिन अपने मन को भगवती मां के श्री चरणों मे एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और मां की कृपा प्राप्त करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार माता अपने पूर्व जन्म में हिमालय की पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थी। तब नारदजी के उपदेश से भगवान शंकरजी को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। ऐसी तपस्या करने के बाद इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। तपस्या कई हजार वर्षों तक करने के बाद बिना खाये-पिये रहने के कारण इनका एक नाम अर्पणा भी पड़ा। इनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। सभी देव, ऋषि, मुनि उनकी सराहना करने लगे। अंत में ब्रह्माजी ने आकाशवाणी के द्वारा कहा हे देवी आज तक ऐसी कठिन तपस्या किसी ने नहीं की। इसलिए भगवान शिव तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे।
मां जगदम्बा का यह दूसरा रूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार की वृद्धि होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है और मनुष्य का मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता। मां सबके भण्डार भरती है।
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने का मंत्र बहुत ही आसान है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में द्वितीय दिन इसका जाप करना चाहिए।
मंत्र इस प्रकार है:
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
No comments found. Be a first comment here!