मन को साफ करता है अध्यात्म

By Shobhna Jain | Posted on 12th Mar 2015 | देश
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मन को साफ करता है अध्यात्म धुमेनाव्रियते वह्निर्यथादर्शो मलेन च। यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम् ।। 3/37 आचार्य सुरक्षित गोस्वामी: आत्मा पहले से ही आजाद, शांत, ज्ञानस्वरूप और प्रेमस्वरूप है, इसमें हम न तो बाहर से प्रेम डाल सकते हैं, न इसमें ज्ञान भर सकते हैं और न ही इसको मुक्त कर सकते हैं। गुरु से मिला ज्ञान केवल आत्मा के ऊपर आए अज्ञान को हटाने के लिए होता है, क्योंकि हम ज़िंदगीभर अपने मन को मैं-मेरा से पैदा हुए काम, क्रोध, लोभ, मोह जैसे विकारों से भर देते हैं। हमारा मन काम के फलों से गंदा हो जाता है, इसलिए आत्मा का प्रकाश और उसकी दिव्यता इसी मन के माध्यम से बाहर की ओर की बहती है। ऐसे में अगर मन रूपी रास्ता ही मैला होगा तो आत्मा का ज्ञान किस तरह बाहर की ओर आएगा। अध्यात्म इसी गंदे मन की सफाई की प्रक्रिया है। यह मन सबसे ज्यादा हमारी कामनाओं की वजह से गंदा होता है, क्योंकि जब तक इच्छाओं का अंत नहीं होता, इस तरह से मन गंदा होकर आत्मा के ज्ञान को ढकता रहेगा। यह कुछ ऐसा ही है जैसे धुआं आग को और धूल आइने को ढक देती है। इसलिए हमारी कोशिश इच्छाओं को काबू में कर मन को साफ़ करने की होनी चाहिए। जैसे-जैसे मन साफ होगा आत्मा के ज्ञान का अनुभव होने लगेगा। जैसे आग धुएं से, आइना धूल से और गर्भ गर्भाशय से ढका रहता है, वैसे ही ज्ञान काम वासनाओं से ढका रहता है। साभारः नवभारत टाइम्स

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