नई दिल्ली,30 जुलाई (शोभनाजैन,वीएनआई) उच्चतम न्यायालय मे कल की रात थी एक अभूतपूर्व रात...दिन की कानूनी सरगर्मियो से अलग हट कर,रोज की तरह की खामोशी से भरी रात् नही बल्कि रात् के सन्नाटे मे अदालत के अंदर जिरह, कानूनी दॉव पेंच और फैसले की रात ... इतिहास बन गई कल की यह अभूतपूर्व रात...
कल देर रात उच्चतम् न्यायालय परिसर के दरवाजे समय की सीमाओ से परे याकूब मामले की सुनवाई के लिये दोबारा खोले गये और न्यायालय की अदालत नंबर चार मे खंड पीठ और वकीलो के साथ पूरी अदालत लगी,पूरी कार्यवाही हुई.इस मामले में शीर्ष अदालत की एक पीठ ने आधी रात के बाद 3 बजकर 20 मिनट पर अभूतपूर्व सुनवाई की जो कि तड़के 4 बज कर 58 मिनट तक चली , मामले की खंड द्वारा सुनवाई के बाद फॉसी से बचने की याकूब की आखरी याचिका एक बार फिर से खारिज् किये जाने का फैसला आया और साफ हो गया कि अब याकूब को आ्ज तड़के फॉसी दे दी जायेगी.अदालती कार्यवाही मे इस याचिका के खारिज होने के बाद मुबंई आतंकी हमलो के दोषी याकूब मेमन को आतंकी धमाको के करीब 22 वर्ष के पश्चात लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आज सुबह आखिरकार आज सुबह लगभग साढे छह बजे नागपुर केन्द्रीय जेल मे फॉसी दे दी गयी .
मुम्बई के 1993 के आतंकी बम धमाकों के दोषी याकूब को आज दी गई फॉसी से पहले कल देर रात उच्चतम न्यायालय के अंदर याकूब की तरफ से फॉसी से बचने के लिये कानूनी दॉव पेंच के साथ आखिरी लड़ाई लड़ी गई और घटनाओ से भरी एक रात के रूप मे दर्ज इस रात मे न्यायालय के साथ साथ देर रात कानून की संदर्भ पुस्तके देखने के लिये न्यायालय की लायब्रेरी को भी विशेष तौर पर खोला गया.पूरी रात पत्रकारो के दल भी अदालत मे इस समाचार की रिपोर्टिंग के लिये मौजूद रहे.कानूनी मामलो के जानकारो के अनुसार वैसे तो पहले भी कई मर्तबा किसी न्यायिक मामले मे फौरी असाधारण सुनवाई की स्थिति उत्पन्न होने पर न्यायाधीशो के घर देर रात लगी अदालत मामले की सुनवाई की गई लेकिन याकूब मामले की गंभीरता देखते हुए इस मामले की सुनवाई न्यायालय मे ही करने का फैसला किया गया.
रात लगभग ग्यारह बजे राष्ट्रपति द्वारा याकूब मेमन द्वारा लिखी गई 14 पन्नों वाली दूसरी दया याचिका को खारिज कर दिये जाने के बाद अचानक ऊच्चतम न्यायालय फिर से घटना स्थल का केन्द्र अनायास ही बन गया. इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने याकूब के डेथ वारंट को सही करार देते हुए उसे रद्द करने संबंधी याचिका खारिज कर दी। कोर्ट के इस फैसले के दौरान याकूब ने राष्ट्रपति को दोबारा एक अन्य दया याचिका फैक्स से भिजवाई थी, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के रात दूसरी दया याचिका खारिज करने से पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति से मुलाकात की थी. लगभग डेढ घंटा चली इस मुलाकात मे श्री सिंह ने राष्ट्रपति को सरकार के याकूब को फॉसी दिये जाने राय से अवगत कराया. सूत्रो के अनुसार राष्ट्रपति ने मेमन की याचिका पर गृह मंत्रालय से सलाह मांगी थी. इस अंतिम उपाय पर राष्ट्रपति ने पूछा कि क्या कोई नया आधार बनता है? गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति की सलाह पर विचार किया और कहा कि याकूब की याचिका में कुछ भी नया नहीं है, इस मुलाकात के बाद राष्टपति ने एटोर्नी जनरल सहित अनेक कानूनीविदो से इस बारे मे सलाह मश्विरा किया उसके बाद गृह मंत्रालय की राय के अनुरूप राष्ट्रपति ने दूसरी दया याचिका भी नामंजूर कर दी. गौरतलब है कि वर्ष 1993 मे मुबंई मे कुछ ही समय के अंदर हुए सिलसिलेवार 13 आतंकी धमाको मे 253 बेगुनाह लोग मारे गए, सैकड़ों परिवार बर्बाद हो गए तथा 700 सौ से ज्यादा लोग जख्मी हो गए।
राष्ट्रपति द्वारा दूसरी दया याचिका नामंजूर किये जाने के बाद कल देर रात ग़्यारह बजे के लगभग मेमन के वकीलों ने उसे फांसी के फंदे से बचाने का अंतिम प्रयास किया और प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच एल दत्तू के घर पहुंचे तथा फांसी पर रोक लगवाने के लिए उनके समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए अर्जी पेश की जिसमें कहा गया कि मौत की सजा प्राप्त दोषी को अपनी याचिका खारिज किये जाने को चुनौती देने एवं अन्य उद्देश्यों के वास्ते 14 दिन का समय दिया जाना चाहिए.रात 11:30 बजे के करीब उच्चतम न्यायलय के तीन अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दत्तू के आवास पर पहुंचे न्यायाधीश दत्तू के आवास के बाहर मेमन के वकीलो आनंद ग्रोवर,वृंदा ग्रोवर के साथ वरिष्ठ वकील प्रशांत् भूषण, इंदिरा जय सिंह,युग मोहित चौधरी याकूब के डेथ वारंट पर रोक लगाने संबंधी ताजा याचिका लेकर प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू के आवास पहुंचे थे । विचार विमर्श के बाद देर रात 01:35 बजे न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की खंड पीठ द्वारा देर रात ढाई बजे उच्चतम न्यायालय में मामले की सुनवाई करने का फैसला आया.
उच्चतम न्यायालय की इस तीन सदस्यीय पीठ ने टाडा अदालत के मौत के फरमान को बरकरार रखा जिसमें याकूब को 30 जुलाई को फांसी देने का आदेश दिया था. पीठ ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय की एक पीठ द्वारा उसकी दोष सिद्धि और सजा के खिलाफ दायर सुधारात्मक याचिका को नामंजूर किये जाने में कोई गलती नहीं थी. मेमन के वकीलों की यह पहल पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किये जाने के कुछ ही घंटे बाद हुई. काफी विचार विमर्श के बाद प्रधान न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय पीठ गठित की थी जिसने कल मौत के फरमान को बरकरार रखा था और फांसी पर रोक लगाने से मना कर दिया था.
अदालत कक्ष संख्या 4 में तडके 3 बजकर 20 मिनट पर शुरू हुई सुनवाई चार बजकर 58 मिनट पर पूरी हुई और पीठ के फैसले के साथ ही याकूब को मृत्युदंड निश्चित हो गया. इस मामले में आदेश जारी करने वाली न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, 'मौत के फरमान पर रोक न्याय का मजाक होगा. याचिका खारिज की जाती है.'
ग्रोवर ने कहा कि मौत की सजा का सामना कर रहा दोषी उसकी दया याचिका खारिज होने के बाद विभिन्न उद्देश्यों के लिए 14 दिन की मोहलत का हकदार है. मेमन की याचिका का विरोध करते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने यह दलील दी कि उसकी ताजा याचिका व्यवस्था का दुरुपयोग करने के समान है. रोहतगी ने कहा कि पूरे प्रयास से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उसका मकसद जेल में बने रहने और सजा को कम कराने का है. उन्होंने कहा, 'तीन न्यायाधीशों द्वारा मात्र दस घंटे पहले मौत के फरमान को बरकरार रखने के फैसले को रद्द नहीं किया जा सकता.'
पीठ ने रोहतगी की बात से सहमति जतायी और आदेश जारी करते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा 11 अप्रैल 2014 को उसकी पहली दया याचिका खारिज किये जाने के बाद पर्याप्त मौके दिये गये जिसके बारे में उसे 26 मई 2014 को सूचित किया गया. उन्होंने कहा कि याचिका नामंजूर किये जाने के बाद उस समय उसे उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जा सकती थी. पीठ ने कहा, 'इसके परिणामस्वरुप, यदि हम मौत के फरमान पर रोक लगाते हैं तो यह न्याय के साथ मजाक होगा.' उसने साथ ही कहा, 'हमें रिट याचिका में कोई दम नजर नहीं आता.'
आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ग्रोवर ने कहा कि यह एक 'त्रासद भूल' और 'गलत फैसला' है. टाइगर मेमन का छोटा भाई याकूब विस्फोटों का एक प्रमुख साजिशकर्ता और भगौडे डॉन दाउद इब्राहिम का करीबी सहयोगी था. उच्चतम न्यायालय ने 21 मार्च 2013 को उसकी दोषसिद्धि और मौत की सजा को बरकरार रखते हुए उसे विस्फोटों का 'प्रमुख साजिशकर्ता' करार दिया था. विशेष टाडा अदालत ने 12 सितंबर 2006 को उसे मौत की सजा सुनाई थी. भगोडे अपराधी दाउद इब्राहिम के करीबी सहयोगी और मुंबई बम विस्फोटों के एक मुख्य षड्यंत्रकारी टाइगर मेमन के छोटे भाई याकूब की दोषसिद्धी और उसे सुनाई गई मौत की सजा बरकरार रखते हुए उच्चतम न्यायालय ने 21 मार्च 2013 को उसे विस्फोटों को अंजाम देने वाली ताकत करार दिया था.
याकूब पर विस्फोटों के लिए वित्त व्यवस्था और हर तरह की मदद मुहैया कराने का तथा 13 से 14 आरोपियों को हथियारों और गोलाबारुद के उपयोग के प्रशिक्षण के लिए मुंबई से दुबई होते हुए पाकिस्तान भेजने का आरोप था. उसे 6 अगस्त 1994 को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था. वह काठमांडो से दिल्ली आया था. उसने दावा किया था कि वह पछतावे की वजह से आत्मसमर्पण करने आया था.
मेमन का आज 53वां जन्मदिन भी था. फॉसी से दो घंटे पहले उसका राहत प्राप्त करने का अंतिम प्रयास विफल रहा था. मेमन का शव औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद उसके परिवार को सौंपा गया जो नागपुर में एक होटल में ठहरे हुए थे. याकूब के परिजन उसके शव को लेकर विमान से मुंबई आये. जहा उसे भारे सुरक्षा बंदोबस्त के बीच दक्षिण मुबंई के 'बड़ा कब्रिस्तान' में याकूब को दफनाया जायेगा.वी एन आई