नई दिल्ली 13 अक्टूबर (वीएनआई) आज यानि 13 अक्टूबर मंगलवार से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो रहा है, वैसे तो साल में दो बार नवरात्र आते है, एक तो चैत्र मास में और दूसरा आश्विन मास में होता है। इस बार 13 अक्टूबर से नवरात्र शुरु हो रहे है। जो कि 21 अक्टूबर तक चलेगें। 22 अक्टूबर को दशमी है।
इस पर मां दुर्गा का आगमन को घोड़े पर पर हो रहा है प्रकांड पंडितों के अनुसार देवी का आगमन राजनीतिक रुप से राज्य में उथल-पुथल मचा सकता है पर मां दुर्गा लोगो को विकास और खशहाली का आशीर्वाद लेकर ही जाएंगी इसमे कोई संदेह नही, ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार नवरात्र नौ दिन का होगा, नवरात्रि के प्रथम दिन ही देवी की पूजा के लिए कलश स्थापित किए जाएंगे कलश के बिना आप की पूजा पूर्ण नही होती है। हिंदू धर्म के अनुसार कलश को मंगलमूर्ति गणेश का स्वरूप माना जाता है। इसलिए इसका पूजा सबसे पहले की जाती है उसके बाद से खी नवरात्र की पूजा प्रारंभ हो जाएगी लेकिन आज यानि 13 अक्टूबर मंगलवार को चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग एक साथ पड़ रहे हैं ऐसे संयोग में सुबह कलश स्थापना का कोई योग नहीं है। 12 अक्टूबर को सुबह 5:35 तक अमावस्या तिथि रहेगी, लेकिन उसके बाद 13 अक्टूबर के सूर्योदय के साथ आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि लग जायेगी। 13 अक्टूबर को कलश स्थापना सिर्फ अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजे से लेकर 12:45 तक हो सकती है। आज यानि मंगलवार को माता का आगमन घोड़े की सवारी पर हो रहा है और प्रस्थान डोली अर्थात मानव कंधों से होगा तो अत्यंत शुभ माना जाता है
नवरात्र यानि की दुर्गा पूजा के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। नवरात्र पूजन के प्रथम दिन मां शैलपुत्री जी का पूजन होता है। माँ शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होतीं हैं। इनका नाम शैलपुत्री हिमालय की पुत्री होने के कारण पड़ा। नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर नौ रूपों की पूजा-उपासना बहुत ही विधि विधान से की जाती है। इन रूपों के पीछे तात्विक अवधारणाओं का परिज्ञान, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विकास के लिए अतिआवश्यक है।
वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्
आज देशभर में मां के जयकारों के साथ भोर से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है.गौरतलब है आश्विन मास में शुक्लपक्ष कि प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर नौ दिन तक चलने वाला नवरात्र शारदीय नवरात्र कहलाता है. नव का शाब्दिक अर्थ नौ है. इसके अतिरिक्त इसे नव अर्थात नया भी कहा जा सकता है. शारदीय नवरात्रों में दिन छोटे होने लगते है. मौसम में परिवर्तन प्रारम्भ हो जाता है. प्रकृ्ति सर्दी की चादर में सिकुडने लगती है. ऋतु के परिवर्तन का प्रभाव जनों को प्रभावित न करे, इसलिये प्राचीन काल से ही इस दिन से नौ दिनों के उपवास का विधान है.