नई दिल्ली, 10 दिसंबर (शोभनाजैन/वीएनआई) राज्यसभा में आज वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने "आरसीईपी समझौता वार्ता" से सरकार के हटने को लेकर कॉग्रेस सद्स्यों के तीखे आरोप प्रत्यारोपों के बीच कहा कि इस समझौते से भारत अंतिम क्षणों में नहीं निकला बल्कि भारत की चिंताओं की अनदेखी होने की वजह से इस समझौतें से काफी सोच समझ के बाद हटा. श्री गोयल ने कॉग्रेस के श्री जयराम रमेश की इस टिप्पणी पर की कि सरकार ने अंतिम क्षणों में "पॉज बटन" क्यों दबाया, श्री गोयल ने कहा कि तत्कालीन यू पी ए सरकार को समझौते के स्वरूप को देखते ही शुरू में ही "पॉज बटन" दबा दिया जाना चाहिये था.
श्री गोयल आज राज्य सभा में आसियान सहित अन्य देशों के साथ होने वाले 16 सदस्यीय क्षेत्रीय आर्थिक साझीदारी-आर सी ई पी समझौते से हटने को सही ठहराते हुए इस बात से इंकार किया कि सरकार की नीति में अचानक बदलाव आया, उन्होंने कहा कि काफी विचार विमर्श के साथ यह फैसला लिया गया.गौरतलब हैं कि गत चार नंवबर को बेंकॉक में आर सी ई पी शिखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने आर सी ई पी समझौते में शामिल नही होने की घोषणा करते हुए कहा कि वार्ता में भारत की चिंताओं की अनदेखी की गई. इस समझौता वार्ता में भारत 2012 से हिस्सा ले रहा था.
श्री गोयल ने कॉग्रेस सदस्यों के आरोपों के बीच कहा कि दर असल यू पी ए सरकार को इस ्समझौते की वार्ता में शामिल ही नही होना चाहिये था. उन्होंने कहा कि आर सी ई पी वार्ता में सर्विस सेक्टर की अनदेखी से भारत चिंतित था,साथ ही कुछ आर सी ई पी देशों के साथ नॉन टेरीफ बेरियर्स और सब्सिडी चिंता का विषय रही.उन्होंने कहा कि 15 आर सी ई पी देशों में से 12 के साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता एफ टी ए जरूर हैं, लेकिन इन के साथ भारत का व्यापार घाटा हैं.उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन यू पी ए सरकार ने समझौता वार्ता में विशेष तौर पर देश की कंपनी के हितों पर पूरी तरह से ध्यान नही दिया. उन्होंने कहा कि इन देशों के आथ भारत के व्यापार के ऑकड़ों को देखे तो पता चलता हैं कि भारत का व्यापार घाटा काफी बढा हैं आसियान देशों के साथ 2010-11 सेलेकर 2018-19 तक चार गुना बढ गया यानि यह 5.0 अरब डॉलर से बढ कर 21.8 अरब डॉलर हो गया.
श्री गोयल ने कहा कि ्पिछली सरकारों द्वारा आसियान देशों के साथ किये गये व्यापार समझौतों की भी उन की सरकार समीक्षा करेंगी क्योंकि इन से व्यापार संतुलन बढा हैं.उन्होंने कहाकि इन देशों से भारत का आयात भारत के निर्यात से कही ज्यादा बढा हैं.विपक्ष के आरोपों के जबाव में उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता हैं कि इन समझौतों की असमानताओं को दूर किया जायें और यह सरकार की प्राथमिकता हैं ताकि निर्यात बढे और घरेलू उद्द्योग और कृ्षि क्षेत्र को लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि भारत अन्य देशों के साथ “समान साझीदार ्तथT लेन देन की भावना" के साथ काम करेगा. उन्हों कहा कि भारत दक्षिण कोरिया और जापान जैसे एफ टी ए सहयोगियों के साथ इस बाबत अपनी चिंताओं के समाधान के लिये बातचीत कर रहा हैं. वीएनआई
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