नयी दिल्ली/हेरात,4 जून (शोभनाजैन/वीएनआई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच देशों अफगानिस्तान, कतर, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और मेक्सिको की यात्रा के पहले चरण मे काबुल पहुंच गये है. श्री मोदी की छह दिनों की व्यस्त यात्रा का मुख्य एजेंडा इन देशों के साथ भारत के व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा सहयोग को विस्तार देना तथा संबंधों को नयी गति प्रदान करना है.इस यात्रा का सबसे अहम पहलू यह है कि प्रधान मंत्री इस दौरे मे 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के दावे के लिए स्विट्जरलैंड, अमरीका और मेक्सिको का सहयोग मांग सकते हैं. ये तीनो ही इस प्रतिष्ठित समूह के मुख्य सदस्य हैं.
अपनी विदेश यात्रा के पहले पडाव में प्रधानमंत्री मोदी का आज सुबह अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में पहुंचने पर हार्दिक स्वागत किया गया.यहां पर उन्होंने हेरात प्रांत में अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ भारत की मदद से निर्मित अफगान-भारत मित्रता सेतु का सलमा बांध का उद्घाटन किया है। विकास स्वरूप ने ये बात ट्वीट के जरिये कही।
पहले इसे सलमा बांध के नाम से जाना जाता था. दोनों नेता अफगानिस्तान में मौजूदा हालात सहित कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे.बाद मे प्रधान मंत्री को अफगानिस्तान के सर्वो्च्च नागरिक सम्मान अमीर अमानुल्ला खान पुरस्कार प्रदान किया गया
अफगानिस्तान से श्री मोदी कल ही कतर जाएंगे और फिर वहां से रविवार को दो दिन के लिए स्विट्जरलैंड जाएंगे.
एनएसजी में भारत की सदस्यता की दावेदारी के बारे में विदेश सचिव ने जयशंकर ने कहा है कि भारत इस प्रतिष्ठित समूह का सदस्य बनने के लिए कई वर्षों से कोशिश करता आ रहा है और इसको लेकर काफी प्रगति हुई है. विदेश सचिव ने कहा, ‘ हमने इस वारे मे बहुत अधिक प्रगति की है और इस कारण हम कुछ दिन पहले एनएसजी की सदस्यता के लिए औपचारिक रूप से आवेदन कर सके हैं. हम इस मुद्दे को लेकर एनएसजी के सदस्यों के साथ संपर्क में है और तीनो देश इस समूह के महत्वपूर्ण सदस्य है तथा ऐसे में निश्चित तौर पर यह मुद्दा बातचीत में आएगा.' भारत ने गत 12 मई को एनएसजी की सदस्यता के लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया.
प्रधानमंत्री के यात्रा कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कल यहा विदेश सचिव जयशंकर ने कहा, ‘हम दोहरे कराधान से बचाव की संधि डीटीएए के तहत स्विस सरकार के साथ संपर्क में हैं और हमने इसको लेकर कुछ चर्चा की है तथा निकट भविष्य में हमारी कुछ योजना है. दोनों देशों के बीच कर डाटा पर सूचना आदान प्रदान को लेकर हमें स्विस प्रशासन से सहयोग मिला है.' उन्होंने कहा, ‘उम्मीद करते हैं कि स्विट्जरलैंड के साथ सूचना के ऑटोमैटिक आदान-प्रदान को लेकर जल्द से जल्द संपर्क स्थापित होगा तथा इस बारे में स्विस कर अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है.यह पूछे जाने कि प्रधानमंत्री मोदी स्विस नेताओं के साथ बातचीत के दौरान ्क्या कालेधन का मुद्दा उठाएंगे तो विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे पर दोनों देश संपर्क में हैं.
अपनी विदेश यात्रा के पहले पडाव के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी का आज सुबह अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में पहुंचने पर हार्दिक स्वागत किया गया.यहा वे अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ अफगान-भारत मित्रता सेतु का भी उद्घाटन करेंगे. पहले इसे सलमा बांध के नाम से जाना जाता था. दोनों नेता अफगानिस्तान में मौजूदा हालात सहित कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
अफगानिस्तान से श्री मोदी कल ही कतर जाएंगे और फिर वहां से रविवार को दो दिन के लिए स्विट्जरलैंड जाएंगे.
स्विट्जरलैंड से प्रधानमंत्री छह जून को वाशिंगटन जाएंगे जहां उनका काफी व्यस्त कार्यक्रम है. वह अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित भी करने वाले हैं. ऐसा करने वाले वह पांचवें भारतीय प्रधानमंत्री होंगे. वह छह जून को ‘अरलिंगटन नेशनल सिमिटरी' में श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इसके बाद वह कई अमेरिकी 'थिंकटैंक' के प्रमुखों से मुलाकात करेंगे. वह प्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम में भी शिकरत करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी सात जून को अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के साथ द्विपक्षीय मुद्दों के संपूर्ण परिप्रेक्ष्य में बातचीत करेंगे. बातचीत के बाद मोदी के लिए ओबामा ने एक भोज का आयोजन भी किया है. आठ जून को मोदी अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे और बाद में उनके लिए स्पीकर ने दोपहर के भोज का आयोजन किया है. मोदी के लिए अमेरिकी प्रतिनिधि सभा और सीनेट की विदेश मामलों की समितियों एवं इंडिया कॉकस भी एक स्वागत कार्यक्रम का आयोजन करेंगे. मोदी राष्ट्रपति के गेस्टहाउस ‘ब्लेयर हाउस' में ठहरेंगे.
विदेश सचिव जयशंकर ने कहा, ‘अमेरिका का दौरा एक तरह से संबंधों को मजबूत करने के लिए है. श्री मोदी और श्री ओबामा द्विपक्षीय संबंधों को और आगे ले जाने के लिए काम कर रहे है .' यात्रा के कार्यक्रम मे आखिरी समय पर स्विट्जरलैंड और मैक्सिको की यात्रा के कार्यक्रम को जोडे जाने के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि इसी साल परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन से इतर स्विस राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मोदी के बीच हुई मुलाकात में इस यात्रा का विचार आया. उन्होंने कहा कि मैक्सिको की यात्रा के बारे में पिछले साल सितंबर से विचार किया जा रहा था. मोदी आठ जून मैक्सिको पहुंचेंगे जहां वह राष्ट्रपति एनरिक पेना नीतो के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत बातचीत करेंगे जिसमें एनएसजी में भारत की सदस्यता की दावेदारी का विषय भी शामिल होगा.
विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने को एनएसजी की उसकी सदस्यता के प्रयास से नहीं जोडना चाहिए. विदेश सचिव ने कहा कि भारत ने परमाणु क्षेत्र से संबंधित अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है. उन्होंने कहा, ‘हमारा बहुत शानदार रिकॉर्ड रहा है जिससे विश्व सहज है. एनएसजी ने पहले ही हमारे लिए एक अपवाद किया है. एक तरह से 2008 में हमारी विश्वसनीयता की परख हो चुकी है जब इसको लेकर फैसला किया गया था. 2008 में हमने अपने परमाणु कार्यक्रम को असैन्य और रणनीतिक पक्ष के तौर पर अलग अलग करने का वादा किया था. हमने अतिरिक्त प्रोटोकॉल को स्वीकारने और लागू करने पर सहमति जताई थी. हमने इसका सच्चाई से पालन किया है.' एनपीटी और एनएसजी के बारे में जयशंकर ने कहा कि इनके उद्देश्य अलग अलग हैं और इसको लेकर कोई भ्रम नहीं है.वी एन आई