"क्रोध मुक्त" स्कूल, जहां सिखाया जाता हैं गुस्सें पर काबू रखनें का गुरू मंत्र

By Shobhna Jain | Posted on 23rd Aug 2023 | VNI स्पेशल
altimg

नई दिल्ली, 23 अगस्त, (शोभना जैन, अनुपमा जैन/वीएनआई)  क्रोध मुक्त स्कूल...  स्कूल एंगर फ्री  स्कूल   ...जी हॉ चौंकियं मत, पुरानी दिल्ली  के सदर बाजार ईलाकें  की  बेहद संकरी गलियों से  कंधें से कंधा टकराती भीड से गुजरतें हुयें अचानक आप एक छोटे  से तिलस्मी दरवाजे के बाहर खड़ें  सहायक के संकेत पर रूक जातें है .वह उस दरवाजें को खोल  आपको अंदर आने का आग्रह करता हैं. ये  क्या !   जैसे ही वह छोटा सा दरवाजा खुलता हैं, अंदर हैं थोड़ी सी भूमि पर बसा हैं एक चार मंजिला इमारत का स्कूल जहा बाहर की दुनिया से बेखबर स्कूली बच्चियॉ निर्भय हो भगती कूदती, कक्षाओं में पढती नजर आती हैं,  यानि धीरे धीरे तिलस्म खुलता नजर आता हैं. ये है 125 वर्ष पुराना ज्ञान और शांति का प्रमाण लक्ष्मी देवी जैन हेरीटेज सीनियर सेकेंडरी बालिका  स्कूल. खास बात यह हैं कि यहा पर छात्रायें शिक्षा व अन्य विधाओं  के साथ साथ उस स्थान पर गुस्सा नहीं करने क़ा गुरू मंत्र  भी सीखती हैं. यानी यह जगह कहलाती हैं " एंगर फ्री जोन" तो  ले चलते हैं  आपको इसी  स्कूल में।

               विशेष बात यह हैं कि यहा किसी धर्म विशेष की छात्राएं नहीं पढती हैं बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय समेत सभी धर्मों, सभी वर्गों और गरीब अमीर की दीवारों से मुक्त सुनहरे या यूं कहें आत्म निर्भर बन कर समाज को मजबूत बनाने के सपने को सच करने में जुटी हैं. और इन लड़कियों में से कितनी ही ऐसी हैं, जिन्हें अपने सपनें को पूरा करने के लियें अपने परिवेश में एक कठिन संघर्ष का सामना भी करना पड़ रहा हैं. इन जुझारू लड़कियों को देखना और स्कूल के संचालको द्वारा उन्हें सीमित संसाधनों के बावजूद उन के सपनों में रंग देना  निश्चित तौर पर बेहद प्रेरणास्पद हैं....

                 जैन शिक्षा प्रचारक समिति द्वारा  वर्ष  1900 में एक मंदिर के प्रागड़ मे शुरू किया गया यह स्कूल अब बड़ा घना वृक्ष बन चुका है. दरअसल  यह  सिर्फ एक स्कूल नहीं  एक सोच है, जिस के चलते लगभग  सवा सौ वर्ष पूर्व  स्कूल के न्यासियों ने दोपहर तक घर का काम काज निबटा कर घर चलाने के लियें थोड़ा हिसाब किताब  सीखने, और बुनियादी शिक्षा  सीखने की मंशा से शुरू किया जहा आसपास की  महिलायें आनें लगी और यह संख्या लगातार बढती गई. यह भी कहा जा सकता हैं कि यह स्कूल एक तरह से 'अंग्रेजों के फिनिशिंग स्कूल का भारतीय संस्करण'  जैसा  हैं. एक छोटें से बिरवें की तरह रौंपा गया यह अब एक घना छॉवदार विशाल  दरख्वत बन चुका हैं, जो समाज में चेतना फैला रहा हैं. फिलहाल इस स्कूल में पहली कक्षा से ले कर  लगभग 1,000 छात्राएं पढ़ती हैं.  इस के साथ ही समिति द्वारा  1900 में ही शुरू किया गया  हीरा लाल जैन सीनियर सेकेंडरी स्कूल भी पिछले 123 वर्षों  से  लड़कों को शिक्षा प्रदान कर रहा हैं. 
                  
                    समिति के अध्यक्ष  डॉ शुगन जैन बताते हैं " बालिकाओं को  इस स्कूल में  शिक्षा निशुल्क दी जाती है. समिति बेहद संसाधनों मे दानदाताओं के सहयोग से यहां पर छात्रों के लियें  स्मार्ट  क्लास रूम कम्प्यूटर लेब, मैथ्स, साइंस लेब,  क्राफ्ट रूम जैसे अत्याधुनिक सुविधा सम्पन्न इकाइयॉ  मुहैया कराई गई हैं.डॉ जैन बताते हैं"  पिछले कुछ वर्षों से इस स्कूल  में खास तौर  एक ऐसा क्षेत्र वर्गीकृत किया गया हैं, जहा छात्राओं से अपेक्षा की जाती हैं कि उस क्षेत्र में रहने  या उस से गुजरतें वक्त   गुस्सें  पर काबू रखें.  धीरें धीरें धीरें इस अभ्यास से वह गुस्सें पर काबू करना सीखेगी जो कि मानवीय मूल्यों, प्रेम, करूणा और असहिष्णु समाज के लियें बेहद जरूरी हैं. स्कूल के मध्य में स्थित यह विशेष आश्रय स्थल  जहाँ क्रोध पर काबू पाने की जटिल कला का पोषण किया जाता है, आत्म-खोज की यह यात्रा  शांति, सहिष्णु अस्तित्व का मार्ग है - आज की अशांत दुनिया में एक महत्वपूर्ण कौशल. प्रिंसिपल सीमा भारद्वाज, जो इस बात में दृढ़ विश्वास रखती हैं कि स्कूल की सफलता सिर्फ शैक्षणिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि चरित्र विकास में मापी जाती है, एक ऐसा माहौल तैयार करती है जहां समर्पित शिक्षक इन युवा दिमागों के भविष्य को आकार देते हैं।

                 सुश्री भारद्वाज  एवं  पूर्व प्रिंसीपल मंजु जी बताती हैं" स्कूल  की पढाई का स्तर और परिणाम ,स्कूल की लोकप्रियता का पैमाना जा सकता हैं, यहा प्रवेश की इच्चुक काफी छात्राओं  को ना कहनी पड़ती हैं. स्कूल की शिक्षिकायो की टीम को  भी इसका  काफी श्रेय जाता हैं."

                 अमेरिका स्थित भारतीय मूल के जैन मतावलंबियों के प्रमुख संगठन "जैना'  के पूर्व अध्यक्ष, टेनोक्रेट और शिक्षाविद और इस समिति से गहरे तौर पर जुड़ें  डॉ सुलेख जैन के अनुसार  समिति अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को यहा अहिंसा के प्रशिक्षण के लिये आमंत्रित करती रही है इसी तरह भारतीय विद्वान भी  वहां के विश्वविद्यालयों में अध्यापन के लिये जाते रहते हैं. ये संस्थायें विशेष तौर पर अमेरिका और कनाडा के जानें मानें विश्वविद्यालयों में  जैन धर्म के मानवीय मूल्यों  पर आधारित सिद्धांत  के बारे में  जैन ती र्थंकरों के नाम से प्रतिष्ठित "पीठ चेयर" स्थापित करती रही हैं, जहा पर जानें मानें  विद्वान शोध कार्य भी  अहिंसक पद्धति से शोध कार्य करते हैं. उन्होंने कहा कि इस पीठों के स्थापना का मकसद हैं कि  अहिंसा, प्रेम, सहिष्णुता और करुणा के शाश्वत मानवीय मूल्यों की मह्ता  दुनिया एक बार फिर से अहमियत जानें जिस से  दुनिया एक बेहतर दुनिया बन सकें, यानि सीमाओं और महासागरों को पार करते हुए, जैन परंपरा से अहिंसा और करुणा का संदेश अमेरिका और कनाडा के विद्वानों तक पहुंचता है पश्चिमी देशों में स्थित इन विश्वविद्यालयों में स्थापित प्रतिष्ठित "पीठ अध्यक्ष" अनुसंधान के लिए माध्यम बन जाते हैं, प्रेम, सहिष्णुता और सहानुभूति के शाश्वत मूल्यों को बढ़ावा देते हैं - ऐसे गुण जो आज की बिखराव भरी दुनिया को सुधारने की शक्ति रखते हैं।

डॉ जैन ने इन विषयों पर अनेक पुस्तकें भी लिखी है. इसी तरह  समिति द्वारा चलाया जा रहे  ऐसे ही एक छोटे से  दरवाजे के पीछे स्थित हीरा लाल जैन  सीनियर सेकेंडरी स्कूल फॉर बॉयज भी  एक ऐसा ही प्रकाश स्तंभ हैं, जो इसी सपने को ले कर आगें बढ़ रहा हैं.स्कूल के प्रिंसिपल डॉ निर्मल कुमार जैन के अनुसार ये स्कूल भी  छात्रों को एक जिम्मेदार नागरिक बनाने के अपनी जिम्मेदारी निभा रहा हैं. स्कूल का परीक्षा परिणाम इस का उदाहरण है. देश विदेश में भारत का गौरव बने अनेक भारत वंशी इसी  स्कूल  से पढ़कर निकले हैं.अपनी इंजीनियरिंग कौशल की वजह से देश विदेश में नाम कमा चुके  डॉ सुलेख ने इसी विद्यालय से  स्कूली  शिक्षा ग्रहण की.  डॉ शुगन जैन के पुरखों ने ही विद्यालयों की स्थापना की.आज  डॉ जैन चार्टर्ड एकाउंटेंट अपनी कुशाग्रता की वजह से  एकाउंटेंट जगत में एक बेहद प्रतिष्ठित नाम हैं. स्कूल से शिक्षित अधिकतर छात्र इन दोनों स्कूलों के संचालन में बहुत योगदान दे रहे हैं, लेकिन स्कूल की विस्तार योजनाओं के लियें समाज और सरकार के और अधि सहयोग की जरूरत हैं

                   स्कूल की वर्तमान प्रबंधन समिति के अध्यक्ष पदम चंद जैन,उपाध्यक्ष शांति प्रसाद जैन सचिव डॉ शुगन जैन, इस  स्कूल के कार्यक्रमों से जुड़ी असिटेंट प्रोफेसर डो पलख जैन और कोषाध्यक्ष सुबोध जैन ने बताया कि इन प्रयासों मे जैन समुदाय के अनेक दातार मदद दे रहे हैं लेकिन इस विद्द्यालय को ले कर जो आवश्यक जरूरते  हैं, वे वह चाह कर भी पूरा नही कर पा रहे हैं. जरूरत हैं सरकार और औद्योगिक घराने, कॉर्पोरेट जगत इस तरह के प्रयासों मे हाथ बंटाएं ताकि आपसी साझेदारी से छात्रों का बेहतर भविष्य बनाया जा सकें.और अन्ततः प्रेम, करूणा  जैसे मानवीय़ मुल्यों पर आधारित समाज के निर्माण में  जिम्मेवार नागरिक बनायें जा सकें। समाप्त।


Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Thought of the Day
Posted on 30th Mar 2025
Thought of the Day
Posted on 29th Mar 2025

Connect with Social

प्रचलित खबरें

Thought of the Day:
Posted on 12th Dec 2024
© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india