गहराता ग्रीस संकट

By Shobhna Jain | Posted on 3rd Jul 2015 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली 03 जुलाई (अनुपमा जैन, वीएनआई) ग्रीस आर्थिक संकट गहराता जा रहा है.देश मे इस आर्थिक संकट से उबरने के लिये सरकार से फौरी कदम उठाने के लिये हो रहे प्रदर्शनो के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ का कहना है कि ग्रीस को अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए अगले तीन सालों में 55 अरब डॉलर की ज़रूरत होगी. आईएमएफ ने ग्रीस को कर्ज भुगतान के लिए अधिक समय देने के आग्रह को नकारने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ग्रीस के अनुरोध को स्वीकार करने से देश का संकट समाप्त नहीं होगा। आईएमएफ के मुताबिक, 30 से अधिक साल पहले आईएमएफ ने कम आय वाले देशों के ऋण की समयसीमा में देरी के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था, लेकिन प्रत्येक मामले में देरी से तत्काल वित्तीय जरूरतों और मूलभूत आर्थिक समस्याों में मदद नहीं मिली। आईएमएफ की प्राथमिकता इस मुश्किल भरे समय में ग्रीस के लोगों की मदद करना है। इसके साथ ही आईएमएफ़ ने ग्रीस की अर्थव्यस्था की विकास दर के अनुमान को भी 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया हैआईएमएफ़ का सुझाव था कि भविष्य में ग्रीस को क़र्ज़ चुकाने के लिए अधिक वक़्त मिले और क़र्ज़-दर कम हो. गौरतलब है कि आईएमएफ़ की यह रिपोर्ट ग्रीस में इसी मामले पर आगामी पॉच जुलाई देश मे इस आर्थिक संकट को होने वाले जनमत संग्रह के पहले आई है. इससे पूर्व ग्रीस के वित्त मंत्री यानिस वारोफाकिस ने एक बयान जारी कर नागरिकों से कहा था कि ग्रीस कर्ज संकट पर यूरो समूह की चर्चा बेनतीजा रहने के बाद जनमत संग्रह में अंतर्राष्ट्रीय कर्जदाताओं के प्रस्तावों के खिलाफ मत देना न्यायाोचित होगा। हालांकि ग्रीस के क़र्ज़दाता चाहते हैं कि ग्रीस टैक्स बढ़ाए और ख़र्चों में भारी कटौती करे पर प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने नागरिकों से जनमत संग्रह में इन प्रस्तावों के ख़िलाफ़ मत देने के लिए कहा है,उनका कहना है कि इस प्रस्ताव को नकारने से ही बेहतर प्रस्ताव मिलेगा. उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कर्ज की किश्त चुकाने की समय सीमा गत मंगलवार आधी रात को समाप्त हो गई। सोमवार से ग्रीस में बैंकों पर ताले लगा दिए गए। इसके साथ ही पूंजी नियंत्रण भी लगा दिया गया। ्गौरतलब कि ग्रीस को गत जून के अंत तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को डेढ़ अरब डॉलर से ज़्यादा की राशि चुकानी थी जो नही चुकाई गयी, अब ग्रीस के दिवालिया होने और यूरोज़ोन से बाहर होने की आशंका बढ गयी है. यूरोज़ोन के वित्त मंत्रियों के समूह के मुखिया का कहना है कि जनमत संग्रह में \'ना\' के बाद ग्रीस को कोई आसान राह नहीं मिलेगी.उन्होंने प्रधानमत्री एलेक्सिस सिप्रास के सुझाव को भी ग़लत बताया है.उधर फ्रांस के वित्त मंत्री मिशेल सैपिन ने भी ग्रीस मामले में चेतावनी देते हुए कहा कि रविवार के जनमत संग्रह में ग्रीस के नागरिक यदि तीन कर्जदाता यूरोपीय संघ, यूरोपीय केंद्रीय बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रस्ताव को स्वीकार करने के विरुद्ध मतदान करेंगे, तो उससे ग्रीस अन्ततः यूरोजोन के 19 देशों के समूह से बाहर हो जाएगा। ग्रीस संकट के मद्देनज़र अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ्भी इटली के प्रधानमंत्री मत्तेयो रेनजी चर्चा की, जिसमें दोनों नेताओं में ग्रीस संकट का निदान करने के लिए सुधार और वित्तीयन पर सहमति बनी है। व्हाइट हाउस से जारी बयान में बताया गया है कि ओबामा और इटली के प्रधानमंत्री के बीच टेलीफोन पर हुई वार्ता में दोनों नेताओं में मिलकर काम करने और ग्रीस को सुधार और वित्तीयन के पथ पर वापस लाने के लिए सहमति बनी। इसी बीच ग्रीस के आर्थिक संकट का भारतीय शेयर बाजार मे हो रही अस्थाई उथल पुथल के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि िसका असर भारत पर सीमित रूप से होगा । उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का उधार नहीं चुका पाने वाले ग्रीस के संकट का असर पर भारत पर अधिक नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने कहा कि ग्रीस मुद्दे के कारण मुद्रा विनिमय दर प्रभावित हो सकती है। ग्रीस में कुछ अधिक बुरा होने पर विदेश से भारत में होने वाला निवेश प्रभावित हो सकता है, उधर अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मिले खराब संकेतों के बावजूद घरेलू बाजारों में अच्छी बढ़त देखने को मिल रही है। सुबह सेंसेक्स और निफ्टी में 0.25 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है, वहीं मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी अच्छी खरीदारी देखने को मिली। सीएनएक्स मिडकैप इंडेक्स करीब 0.5 फीसदी की बढ़त के साथ 13375 के स्तर पर पहुंच गया था। वहीं बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स भी 0.5 फीसदी की मजबूती के साथ 11350 के ऊपर निकल गया ्था । अगर हम ग्रीस पर चढे कर्ज को देखे तो उस पर जर्मनी का कर्ज 75.63 अरब डॉलर, फ़्रांस - 48.57 अरब डॉलर, इटली - 42.58 अरब डॉलर, स्पेन - 27.72 अरब डॉलर, आईएमएफ़ - 23.73 अरब डॉलर, ईसीबी - 20.07 अरब डॉलर, नीदरलैंड्स - 14.86 अरब डॉलर, अमरीका - 12.53 अरब डॉलर, ब्रिटेन - 11.98 अरब डॉलर, बेल्जियम - 8.32 अरब डॉलर, ऑस्ट्रिया - 6.54 अरब डॉलर, फ़िनलैंड - 4.10 अरब डॉलर का कर्ज बकाया है.

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