न्यूयॉर्क/कैलिफोर्निया 26 सितंबर (अनुपमा जैन, वीएनआई) संयुक्त राष्ट्र सुधारो पर फौरी ध्यान दिये जाने के एजेंडा के साथ पीएम मोदी आज भारत की तरफ से आयोजित की जा रही समूह की बैठक की मेजबानी करेंगे. जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और ब्राजील की राष्ट्रपति डिलमा रॉसेफ इस सम्मेलन में शामिल हैं. इस बैठक मे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों पर विचार किया जायेगा. जी- 4 राष्ट्रों के समूह की बैठक में भारत के अलावा जर्मनी, जापान और ब्राजील के नेता भी शामिल होंगे. ये देश भी भारत के साथ साथ सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की दावेदारी कर रहे हैं. भारत पुरज़ोर कोशिश कर रहा है कि कि इस मुद्दे पर जोर-शोर से मांग उठाई जाए. गौरतलब है कि इस मुद्दे पर इस समूह की 10 साल के बाद बैठक हो रही है.इससे पहले वर्ष 2004 मे जी- 4 शिखर सम्मेलन हुआ था|
जी-4 की बैठक सम्पन्न होने के बाद मोदी कैलीफोर्निया के लिए रवाना हो जाएंगे जहां वो 27 सितंबर तक रहेंगे, इस दौरान कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. मोदी कैलिफोर्निया में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के सीईओ टिम कुक और गूगल के नए सीईओ सुंदर पिचाई से भी मुलाकात करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी फेसबुक हेडक्वार्टर के टाउनहाल में एक सेमिनार में भी सम्मिलित होंगे, मोदी सैन होजे में 27 सितंबर को भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे. कैलिफोर्निया के बाद मोदी फिर से 28 सितंबर को न्यूयॉर्क लौटेंगे. यहां पीएम ओबामा की ओर से बुलाए गए संयुक्त राष्ट्र शांति शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे.
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की 70वीं वषर्गांठ पर सतत विकास सम्मेलन, 2015 को संबोधित करते हुए सुरक्षा परिषद में सुधार और इसका प्रतिनिधित्व व्यापक करने की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि इसकी विश्वसनीयता और औचित्य बनाए रखने के लिए ऐसा करना जरूरी है.
पीएम मोदी ने कहा, 'सुरक्षा परिषद समेत संयुक्त राष्ट्र में सुधार अनिवार्य है, ताकि इसकी विश्वसनीयता और औचित्य बना रहे सके. साथ ही व्यापक प्रतिनिधित्व के द्वारा हम अपने उद्देश्यों की प्राप्ति अधिक प्रभावी रूप से कर सकेंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि 70 साल पहले जब एक भयानक विश्व युद्ध का अंत हुआ था तब इस संगठन के रूप में नई आशा ने जन्म लिया था. आज हम फिर मानवता की नई दिशा तय करने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं.'
प्रधानमंत्री ने कहा 'हम सभी गरीबी से मुक्त विश्व का सपना देख रहे हैं। हम ऐसे विश्व का निर्माण चाहते हैं जहां सभी सुरक्षित महसूस कर सके और सुखी जीवन जी सकें। महात्मा गांधी ने भी एक बार कहा था कि हम उस दुनिया के लिए सोचें जिसे हम नहीं देख पाएंगे।'प्रधानमंत्री ने कहा कि 70 साल पहले जब एक भयानक विश्व युद्ध का अंत हुआ था तब इस संगठन के रूप में नई आशा ने जन्म लिया था। आज हम फिर मानवता की नई दिशा तय करने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। 'मैं इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए महासचिव को हृदय से बधाई देता हूं', मोदी ने कहा कि आज भी जैसा कि हम देख रहे हैं कि दूरी के कारण चुनौतियों से छुटकारा नहीं है। सुदूर देशों में चल रहे संघर्ष और अभाव की छाया से भी वह उठ खड़ी हो सकती है , हमारे निर्धारित लक्ष्यों में गरीबी उन्मूलन सबसे उपर है क्योंकि आज दुनिया में 1.3 अरब लोग गरीबी की दयनीय जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे सामने प्रश्न केवल यह नहीं है कि गरीबों को आवश्यक्ताओं को कैसे पूरा किया जाए, और न ही यह केवल गरीबों के अस्तित्व और सम्मान तक ही सीमित प्रश्न है, साथ ही यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी मात्र है, ऐसा मानने का भी प्रश्न नहीं है। अगर हम सबका साझा संकल्प है कि विश्व शांतिपूर्ण हो, व्यवस्था न्यायपूर्ण हो और विकास सतत हो, तो गरीबी के रहते यह कभी भी संभव नहीं होगा। इसलिए गरीबी को मिटाना यह हम सबका परम दायित्व है।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरूआत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इस विचार से शुरू की, ‘‘आधुनिक महानायक महात्मा गांधी ने कहा था कि हम सब उस भावी विश्व के लिए भी चिंता करें जिसे हम नहीं देख पाएंगे।’’ साथ ही उन्होंने जनसंघ के चिंतक और भाजपा की विचारधारा के जनक माने जाने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जिक्र करते हुए कहा कि ‘भारत के महान विचारक’ के विचारों का केंद्र अंत्योदय रहा और संयुक्त राष्ट्र का एजेंडा 2030 में भी अंत्योदय की महक आती है।
जलवायु परिवर्तन पर उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम जलवायु परिवर्तन की चिंता करते हैं तो कहीं न कहीं हमारे निजी सुख को सुरक्षित करने की बू आती है, लेकिन यदि हम जलवायु न्याय की बात करते हैं तो गरीबों को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने का एक संवेदनशीन संकल्प उभर कर सामने आता है।’’उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में उन समाधानों पर बल देने की आवश्यकता है जिनसे हम अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल हो सके। हमें एक वैश्विक जनभागीदार का निर्माण करना होगा जिसके बल पर प्रौद्योगिकी नवोन्मेष और वित्त का उपयोग करते हुए हम स्वच्छ और नवीकरणीय उर्जा को सर्व सुलभ बना सके।
प्रधानमंत्री के अनुसार, हम भारत के लोगों के लिए ये संतोष का विषय है कि भारत ने विकास का जो मार्ग चुना है, उसके और संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित सतत विकास लक्ष्यों के बीच बहुत सारी समानताएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत आजाद हुआ तब से गरीबी से मुक्ति पाने का सपना हम सबने संजोया है। हमने गरीबों को सशक्त बनाकर गरीबी को पराजीत करने का मार्ग चुना है। शिक्षा एवं कौशल विकास की हमारी प्राथमिकताएं हैं। गरीब को शिक्षा मिले और उसके हाथ में हुनर हो, यह हमारा प्रयास है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता हूं जहां धरती को मां कहते और मानते हैं। हमारे वेद उद्घोष करते हैं, ‘ये धरती हमारी माता है और हम सब इसके पुत्र हैं।’ संयुक्त राष्ट्र के मंच से उन्होंने अपनी सरकार की कुछ महत्वाकांक्षी और उद्देश्यपूर्ण योजनाओं को गिनाया जिनमें अगले सात वर्ष में 175 गिगावाट नवीकरणीय उर्जा की क्षमता विकसित करना, बड़ी मात्रा में वृक्षारोपण करना, कोयले पर विशेष कर लगाना, शहरों एवं नदियों की सफाई करना, कचरे को संसाधन में बदला शामिल है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने निर्धारित समयसीमा में वित्तीय समावेशिता पर मिशनमोड में काम करते हुए गरीबों के 18 करोड़ नए खाते खोले और इसे गरीबों का सबसे बड़ा सशक्तिकरण पहल बताया। उन्होंने कहा कि भारत में बहुत कम लोगों के पास पेंशन की सुविधा है और इसलिए गरीबों तक पेंशन की सुविधा पहुंचाने के लिए पेंशन योजनाओं के विस्तार का काम भी किया गया है।
उन्होंने दावा किया कि आज गरीब से गरीब व्यक्ति में गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने की उमंग जगी है और नागरिकों के मन में सपने सच होने का विश्वास पैदा हुआ है।