नई दिल्ली 9 मार्च (शोभना जैन,वीएनआई) प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी अगले सप्ताह 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे. खास बात यह है कि भारत वंशी बहुल आबादी वाले मॉरीशस ने अपना राष्ट्रीय दिवस अपने पुरखो की जन्म भू्मि के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े महात्मा गांधी के मशहूर डांडी मार्च की शुरूआत वाले दिन यानि 12 मार्च रखा है.हिंद महासागर इस के छोटे से खूबसूरत द्वीप के प्रधान मंत्री रह चुके श्री नवीन चन्द्र रामगुलाम के अनुसारं मॉरिशस् ने अपना राष्ट्रीय दिवस 12 मार्च को इसलिये चुना क्योंकि 1930 मे इसी दिन महात्मा गांधी ने\' डांडी मार्च\' की शुरूआत की थी.प्रधान मंत्री मोदी ने भी आज ट्वीट कर कहा कि आगामी 12 मार्च को उन्हे मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस पर वहां के लोगो के साथ मौजूद हो कर प्रसन्नता है, प्रधान मंत्री की कल से शुरू होने वाली हिंद महासागर के तीन मित्र देशो सेशल्स, मॉरीशस व श्रीलंका की यात्रा का मॉरीशस दूसरा पड़ाव होगा .भौगोलिक, ऐतिहासिक और संस्कृति नजदीकी वाले इन हिंदमहासगरीय देशो की प्रधान मंत्री की इस यात्रा को बहुत अहम माना जा रहा है. प्रधान मंत्री मोदी 11-12 मार्च को मॉरीशस यात्रा पर वहा रहेंगे.
मॉरीशस मे भारतीय मूल की आबादी लगभग 70 प्रतिशत है. रोजी रोटी की तलाश मे भारत से सैकड़ो मील दूर एक अजनबी देश मे गन्ने के खेतो से ले कर हर जगह दिन रात मजदूरी करने पहुंचे भारत के ग़िरमिटिया मजदूरो के पहले जत्थे का दो नवंबर 1834 को वहा के सागर तट पर समुद्री जहाज से उतरने का जो सिलसिला शुरू हुआ, उसके बाद इस तट पर लगभग 180 वर्षों तक ढाई लाख भारतीयो- बिहार,पूर्वी उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट सहित कुछ भारतीय राज्यों से उतरने का तांता सा लग गया और शुरू हुई पराए देश में दर्द और संघर्ष की कहानियाँ. 1968 मे मॉरीशस जब ब्रिटिश उपनिवेशवादी शासन से मुक्त हुआ तो भारतवंशी बहु्ल लोगो ने अपने नये देश की आत्मा को अपने पुरखो के देश भारत के स्वाधीनता आंदोलन की भावना से जोड़ते हुए इस ्दिवस को भारत के डांडी मार्च के शुरू होने की तारीख यानि 12 मार्च पर रखा. वर्ष 2013 मे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी राष्ट्रीय दिवस समारोह मे मुख्य अतिथी बने थे. गौरतलब है कि राजग सरकार मे तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी ने भी वर्ष 2000 मे मॉरिशस की यात्रा की थी. प्रधान मंत्री मोदी वहा के प्रधान मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ के साथ मॉरीशस के साथ भारत के \'विशेष और अनूठे रि्श्ते\' को और मजबूत करने पर व्यापक चर्चा करेंगे. वे वहा भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे. भारतीय प्रधान मंत्री की 2005 के बाद यह पहली बार मॉ्रिशस यात्रा होगी. तब तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिह मॉरीशस गये थे. गत नंवंबर मे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी मॉरीशस गयी थी.गौरतलब है कि गत मई में हुए मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में मॉरिशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीन चन्द्र रामगुलाम भी प्रधानमंत्री मोदी के न्योते पर समारोह मे शामिल हुए थे।
विदेश सचिव एस. जय शंकर के साथ प्रधान मंत्री की इस यात्रा की आज यहा जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय मे अतिरिक्त सचिव नवतेज सरना ने यहा संवाददाताओ को बताया कि प्रधान मंत्री इस दौरान वहां की संसद को भी संबोधित करेंगे,मॉरिशस के गश्ती जलपोत बाराकुडा के जलावतरण कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.इस दौरान वे प्रधान मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ के साथ पृथक मुलाकात के अलावा शिष्ट मंडल स्तर की वार्ता करेंगे जिसमे दोनो देशो के बीच सांस्कृतिक रिश्तों के अलावा आर्थिक रिश्ते बढाने विशेष तौर पर वहा के बड़े \'ई\' क्षेत्र की पृष्ठ भूमि मे समुद्री मार्ग से व्यापार बढाने, समुद्री संपर्क मार्ग के साथ रक्षा, समुद्री सुरक्षा, पेट्रोलियम हब आदि मुद्दो पर खास तौर पर चर्चा की जायेगी.प्रधान मंत्री मोदी इस दौरान वहा के राष्ट्रपति कैलाश प्रयाग , विपक्ष के नेता पॉल बरर्नगर व अन्य नेताओ से भी मुलाकात करेंगे. प्रधान मंत्री इस दौरान वहा भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित स्वागत समारोह मे हिस्सा लेने के अलावा राजधानी पोर्ट लुई के मशहूर \'गंगा तालाब\' के अलावा \'अप्रवासी घाट\' भी जायेंगे् जहा दो नवंबर 1834 को इस सागर तट पर पहले भारतीय मजदूरो का जत्था उतरा था और शुरू हुई थी बाद मे उन्ही भारतवंशियों ने अपने अनथक परिश्रम से वहा की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, देश की प्रगति के स्तंभ बने और अपनी मजबूत पहचान बना कर वहा राजनीति सहित नीति निर्माण के शीर्ष पदो पर पहुंचे.
गौरतलब है कि इस अप्रवासी घाट की वो \'सोलह सीढ़ियां\' एक स्मृति स्थल के रूप में इस घाट पर संजो कर रखी गई हैं। उल्लेखनीय यह भी है कि यूनेस्को ने इस घाट को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया है।,विदेश मंत्रालय के अनुसार प्रधान मंत्री की भारत के समुद्रीय पड़ोसी देशो के साथ रिश्ते और प्रगाढ बनाने के मकसद् से हो रही तीनो देशो की यात्रा हिंद महासागर क्षेत्र मे भारत के रिशते और मजबूत करने की भारत की प्रबल इच्छा का सूचक है.वी एन आई