जल जो \'जहर था,अब है \'जीवनदायी\' : एकअनूठी पहल

By Shobhna Jain | Posted on 5th Apr 2015 | VNI स्पेशल
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मधुसुदन कांटी,उत्तर चौबीस परगना(कोलकता),5 अप्रैल ( अनुपमाजैन,वीएनआई) राजधानी कलकता और भारत बंगलादेश सीमा से सटा और शहर के कंक्रीट जंगल से हट कर एक हरा भरा सा गाँव, नारियल,ताड के लंबे दरख्त, जगह जगह पानी से भरे पोखर, ताल,तलैया. सब कुछ आंखो को भरमा सा देने वाला,अचानक गॉव के बीचो बीच बने एक पोखर के सामने आते है तीन लोग, तीनो प्रौढ से लगते,जिनके बदन पर काले काले चकत्ते है, त्वचा की बीमारी सी,दुबले पतले बीमार से. खास बात यह है कि इस पोखर के पानी के पास ये सब मुस्कराते हुए खड़े है, इसका पानी अब इन्हे डरता नही बल्कि इनके लिये अब यह \' जीवन दाई\'बन गया है जबकि महज नौ माह पूर्व यह पानी बहुत कुछ र्पौराणिक कथाओ वाले उस सरोवर\'के किस्सो सा था जि्सको पीने से पात्र बीमार पड़ जाते थे और मर तक जाते थे. यही पानी बरसो बरस से पीने से इनकी यह हालत हुई तब इस का पानी आर्सेनिक \'प्रदूषण\' या\'जहर\' भरा हुआ करता था. तीनो अपने \'व्यथित\'शरीर की पीड़ा दिखा रहे है, उनमे से एक स्वपन दास बंगला मे मुस्कराते हुए कहते है\'दीदी अब तो मै ठीक हो रहा हूं, पीड़ा कम हो रही है.\'पोखर मे लगा एक छोटा संयंत्र दिखाता हुआ कहता है \'इसकी वजह से अब हमे वो खराब पानी पीने को नही मिलता है, जिसे पीने से हम सब, हमारे बच्चे सब बीमार सब पड़ गये.\' स्वैच्छिक संगठन सुलभ इंटरनेशनल ने गाँव के मधुसूदनकाटी कृषक कल्याण समिति (एमकेकेएस) और एक फ़्रांसीसी ग़ैर सरकारी संगठन \'1001 फाउटेंन्स’ ्के साथ मिल कर यहां गत नंवबर मे सुलभ सेफ ड्रिंकिंग वॉटर प्रोजेक्ट (एसएसडीडब्‍ल्‍यूपी) शुरू किये जाने की एक अनूठी पहल शुरू की है, जिसके तहत आर्सेनिक दूषण वाले इस् पोखर सहित तीन अन्य स्थानो मे पानी के शुद्धीकरण के संयंत्र लगाये गये. उत्तर 24 परगना जिले के अलावा यह संयंत्र नादिया जिले के मायापुर और मुर्शिदाबाद जिले में लगा्ये गये है.सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक तथा अधयक्ष बिंदेश्वर पाठक बताते है, \'हम फिलहाल महज पचास पैसे प्रति लीटर की दर से ग्रामींणो को पेयजल उपलब्ध करवा रहे हैं. यह मिनरल वॉटर की तरह तो नहीं है लेकिन यह दुनिया में सबसे सस्ता सुरक्षित पेयजल है.\'बीस लाख रुपये की लागत से गांव में उपरोक्त तीनो साझीदारो ने मिल कर निहायत ही आसान और सस्ती तकनीक से यह वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है. यहां से हर दिन 8,000 लीटर पानी साफ होता है. यूवी तकनीक से साफ किए गए पानी को \'सुलभ जल\' नाम से 20 लीटर की बोतल में 10 रुपये प्रति बोतल की दर से भरकर घर-घर पहुंचाया जाता है.\' खास बात यह है कि देश में अलग-अलग ब्रांड का बोतलबंद पानी जहा 15 से 20 रुपये प्रति लीटर की दर से मिलता है. ऐसे में महज पचास पैसे में साफ बोतलबंद पानी उपलब्ध करवाना एक अनूठी पहल है. यह पानी ऑगन वाड़ी कार्यक्रताओ और अन्य साधनो से गॉव वालो के घरो को मुहैया कराया जाता है. उनका कहना है\' धीरे धीरे इस काम के लिये गाँव के युवाओ को प्रक्षिशण दे कर उन्हे बेंको से ऋण के जरिये यह काम उन्हे सौंप दिया जायेगा, ताकि वे स्वयं यह काम संभाल सके \' उन्होने कहा\' मेरा सपना है और इसकी पहल हमने कर दी है अब गॉवो के युवा सभी को सुरक्षित जल उपलब्ध कराने को आंदोलन बनाये, देश भर के युवा अपने अपने ईलाको मे प्रदूषण मुक्त जल को इस बेहद सस्ती और आसन तकनीक से खुद शुद्ध कर अपनो को साफ पानी देने का सपना आसानी से पूरा कर सकते है\'. मधुसूदनकाटी में ऐसे रोग ग्रस्त लोगों का इलाज करने वाले डाक्टर सुबल चन्‍द्र सरकार ने बताया कि इस परियोजना के शुरू होने के बाद चर्मरोग,फेंफड़े, दिल, लीवर दस्त, पेट की दूसरी बीमारियों और स्त्रीरोग के मरीज़ो की संख्या में भारी कमी आई है.समिति के प्रमुख बताते है इसी कारण चार लोगो की मौत भी हो चुकी है, गॉव मे रहने वाली सुप्रिया घोष बताती हैं, “पहले हम लोगों को गहरे ट्यूबवेल का फिल्टर किया हुआ पानी मिलता था. यह शुरू में कुछ दिन तो ठीक चला, पर बाद में उसके इस्तेमाल से लोगों की सेहत ख़राब होने लगी. राज्य के दक्षिणी इलाक़ों के 37 ब्लॉकों में रहने वाले दूसरे लोगों के पोखर मे लगा एक छोटा संयंत्रस कोई चारा नहीं था. उनके इलाक़े के पानी में आर्सेनिक मिला होने के कारण वह पीने लायक नहीं है. इस क्षेत्र के कम से कम आठ लाख लोग इस तरह का दूषित पानी पीने को मज़बूर हैं.गॉव के ही अन्य निवासी भुवन मंडल का भी कहना है\' बरसो बरस से यह पानी पीने के बाद अब हमे लग रहा है कि हम और हमारे बच्चो को कम से कम पानी तो पीने लायक मिल सकेगा.\' इसी जिले के मंतोष विशवास बताते हैं,\'ये सभी बीमारियां आर्सेनिक मिला पानी पीने से होती हैं. इनका इलाज दवा नहीं बल्कि साफ़ पानी का सेवन ही है.\'एक अन्य ग्रामीण बताते है \'इस समस्या से निपटने के लिये पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रभावित इलाकों में करोड़ों रूपयों ख़र्च कर आर्सेनिक दूर करने वाले संयंत्र लगाए. पर हालत जस की तस हैं.उन्हे उम्मीद है कि अब इस तकनीक को अपनाने से जिंदगी आसान हो सकेगी, खास तौर पर जब सुलभ उन्हे इस काम के लिये खुद ्बनाने के लिये तैयार कर रहा है. एक ग्रामीण के अनुसार \'तालाब के उपरी सतह मे पानी में आर्सेनिक नहीं होता है और यदि होता है तो उसकी मात्रा निहायत ही कम होती है, लेकिन नीचे भूमिगत पानी मे आर्सेनिक का स्तर काफी होता है. अार्सनिक से आस पास के आठ लाख लोग प्रभावित है.गौरतलब है कि निकटवर्ती बंगलादेश की ढाई से लेकर चार करोड़ से अधिक आबादी को भी आर्सेनिक प्रदूषित पानी पीना पड़ता है,जो कि विश्व स्वास्थय संगठन के मान्य मानको से बीस गुना ज्यादा है भारत मे यह मानक 0.05 प्रतिशत है लेकिन इस गॉव तथा देश भर मे अर्सेनिक दूषण वाले ईलाको मे कई गुना ज्यादा है. \'पश्चिम बंगाल मे भी बड़ी आबादी उन इलाकों में रहती है जहां का पानी आर्सेनिक से बुरी तरह दूषित है.\' पश्चिम बंगाल के तीन जिलों में साफ पानी पहुंचाने की योजना सफल होने के साथ ही सुलभ इंटरनेशनल इसे देश के बाकी हिस्सों में भी ले जाने की भी सोच रहा है. अगला पड़ाव बिहार, केरल और तमिलनाडु होगा. लेकिन साथ ही डॉ पाठक कहते है \' हम शुरूआत कर देते आगे बढ़ाने का काम तो स्थानीय लोगो को ही करना होगा, मुझे पूरी उम्मीद है कि इसे सभी स्थान पर लोग एक आंदोलन का रूप देंगे\'मैला ढोने वाले कर्मियो को इस अमानवीय कुप्रथा से मुक्ति दिला कर समाज की मुख्य धारा मे शामिल करना, सफेद धोतियो की उम्र कैद भोग रही विधवाओ के जीवन को सम्मान दे कर उनके जीवन मे सतरंगे रंगो, और एसी ही अनेक जन कल्याण से जुड़ी मुहिम के बाद अब क्या साफ पानी पीने को तरसते लोगो की प्यास बुझाने की एक नयी मुहिम ? जबाव मे डॉ पाठक सिर्फ मुस्करा देते है युनीसेफ के आंकड़ो के अनुसार दुनिया भर मे 70 से अधिक देशो मे 14 करोड़ से अधिक की आबादी आर्सेनिक मिले दूषित पानी पीने से प्रभावित है, और इनमे से ज्यादातर एशिया मे रहते है,इससे बच्चो मे अपंगता तक का खतरा रहता है ए्वं वयस्को को त्वचा से सम्बद्ध विभिन्न रोगो से ले कर कैंसर जैसे रोगो यहा तक कि मौत का भी तक खतरा रहता है. सबसे बड़ी बात यह है कि इससे होने वाली बीमारियो का ईलाज नही है, सिर्फ इस पानी का सेवन रोकना होगा गॉव से लौटते वक्त जीवन दायी बन चुके पोखर के पास बच्चे खेल रहे है, पुरूषो के चेहरो पर मुस्कान है, महिलाये ग्रुप मे खड़ी खिलखिला रही है. गॉव का ही एक बच्चा प्रमीत सरकार रवीन्द्र नाथ टेगोर की एक कविता सुनाने के बाद हिंदी मे कहता है\' मै डॉक्टर बनूंगा. डॉ पाठक उसके सिर पर हाथ फेर कर आशीर्वाद देते हुए कहते है\'पढाए पूरी करने मे अगर कोई परेशानी आड़े आये तो बताना\'वापसी मे यह पोखर इतना खूबसूरत और अपना सा क्यों लग रहा है, यही सोच रही हु मै... वी एन आई

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