पूर्व वित्तमंत्री सिन्हा ने आर्थिक सुस्ती पर जेटली पर साधा निशाना

By Shobhna Jain | Posted on 27th Sep 2017 | राजनीति
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नई दिल्ली, 27 सितम्बर (वीएनआई)| पूर्व वित्तमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने 'सुपरमैन' वित्तमंत्री अरुण जेटली पर भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत बिगाड़ने और इसके बाद उत्पन्न 'आर्थिक सुस्ती' से कई सेक्टरों की हालत खस्ता होने के लिए निशाना साधा है। 

अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख में सिन्हा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि उन्होंने बहुत करीब से गरीबी को देखा है और उनके वित्तमंत्री भी सभी भारतीयों को गरीबी करीब से दिखाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं। सिन्हा ने कहा है जेटली अपने पूर्व के वित्त मंत्रियों के मुकाबले बहुत भाग्यशाली रहे हैं। उन्होंने वित्त मंत्रालय की बागडोर उस समय हाथों में ली, जब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल कीमत में कमी के कारण उनके पास लाखों-करोड़ों रुपये की धनराशि थी। लेकिन उन्होंने तेल से मिले लाभ को गंवा दिया। उन्होंने कहा कि विरासत में मिली समस्याएं, जैसे बैंकों के एनपीए और रुकी परियोजनाएं निश्चित ही उनके सामने थीं, लेकिन इससे सही ढंग से निपटना चाहिए था। विरासत में मिली समस्या को न सिर्फ बढ़ने दिया गया, बल्कि यह अब और खराब हो गई है। सिन्हा ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दो दशकों में पहली बार निजी निवेश इतना कम हुआ और औद्योगिक उत्पादन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। कृषि की हालत खस्ता हाल है, विनिर्माण उद्योग मंदी के कगार पर है और अन्य सेवा क्षेत्र धीमी गति से आगे बढ़ रहा है, निर्यात पर बुरा असर पड़ा है, एक बाद एक सेक्टर संकट में है।

वाजपेयी सरकार में वित्तमंत्री रहे सिन्हा ने कहा कि गिरती अर्थव्यवस्था में नोटबंदी ने आग में घी डालने का और बुरी तरह लागू किए गए जीएसटी से उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा है और कई इस वजह से बर्बाद हो गए हैं। सिन्हा ने कहा, "इस वजह से लाखों लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी है और बाजार में मुश्किल से ही कोई नौकरी पैदा हो रही है। मौजूदा वित्त वर्ष की पिछली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर गिर कर 5.7 प्रतिशत हो गई, लेकिन पुरानी गणना के अनुसार यह वास्तव में केवल 3.7 प्रतिशत ही है।" उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जीडीपी दर गणना की पुरानी पद्धति वर्ष 2015 में नहीं बदली होती तो यह अभी वास्तव में 3.7 प्रतिशत या इससे कम रहती। उन्होंने सरकार पर आर्थिक वृद्धि दर कम होने को तकनीकी वजह बताने की आलोचना करते हुए भारतीय स्टेट बैंक के हवाले से कहा कि यह आर्थिक सुस्ती अस्थायी या तकनीकी नहीं है, यह फिलहाल बनी रहने वाली है। सिन्हा ने कहा कि आर्थिक गति कम होने की वजहों का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल नहीं है और इससे निपटने के लिए उपाय उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि लेकिन इसके लिए कार्य पूरा करने के लिए समय देने, दिमाग का गंभीरता से उपयोग, मुद्दे को समझने और तब इससे निपटने के लिए योजना बनाने की जरूरत है।

पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि जेटली को वित्त मंत्रालय के अलावा और कई विभागों की जिम्मेदारियां भी दी गईं, जिससे उनपर अतिरिक्त जिम्मेदारियां आईं और शायद उनसे बहुत ज्यादा अपेक्षा की गई। उन्होंने कहा, "मैंने वित्त मंत्रालय का काम संभाला है और मुझे पता है कि वहां कितना कठिन परिश्रम करना पड़ता है। वित्त मंत्रालय में 24 घंटे सातों दिन काम करना पड़ता है, जिसे जेटली जैसे सुपरमैन भी पूरा नहीं कर सकते हैं। सिन्हा ने कहा कि उन्होंने महसूस किया कि 'अगर मैं अब भी नहीं बोलूंगा तो यह मेरे राष्ट्रीय कर्तव्यों के साथ अन्याय होगा।' उन्होंने कहा कि मैं इस बात से भी सहमत हूं कि भाजपा में बड़ी संख्या में लोग इस बात को कहना चाहते हैं, लेकिन वे डर की वजह से कुछ नहीं बोल रहें हैं। सिन्हा ने कहा है, "जीएसटी के अंतर्गत एकत्रित 95000 करोड़ रुपये में इनपुट क्रेडिट डिमांड 65,000 करोड़ रुपये है। सरकार ने आयकर विभाग को बड़ी संख्या में दावा करने वाले को पकड़ने को कहा है। उन्होंने कहा, "वित्तीय प्रवाह की समस्या कई कंपनियों, खासकर छोटे और मध्यम उद्योग (एसएमई) सेक्टर की समस्या है। लेकिन फिलहाल वित्त मंत्रालय का काम करने का यही तरीका है। सिन्हा ने कहा कि हम जब विपक्ष में थे तो हमने 'छापे मारी' का विरोध किया था, लेकिन आज तो यह जैसे व्यवस्था का हिस्सा बन गई है।


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