कोलकाता/लखनऊ, 11 मार्च, (वीएनआई) बीते रविवार को लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होने के बाद मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।
गौरतलब है तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में वोटिंग की तारीखें रमजान के महीने में पड़ रही हैं। ऐसे में मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाते हुए इन तारीखों में बदलाव की मांग की है। बताया जा रहा है 5 मई को रमजान मुबारक का चांद दिख सकता है 6 से रमजान का मुबारक महीना शुरू होगा।
कोलकाता के मेयर और तृणमूल कांग्रेस नेता फिरहाद हाकिम ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है और हम उसका सम्मान करते हैं। टीएमसी नेता ने कहा कि तीनों राज्यों यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यकों की आबादी बहुत ज्यादा है। मुस्लिम रोजा रखेंगे और अपना वोट भी डालेंगे यह बात चुनाव आयोग को ध्यान में रखनी चाहिए। फरहाद हाकिम ने आरोप लगाया कि बीजेपी चाहती है कि अल्पसंख्यक अपना वोट न डाल पाएं लेकिन हम चिंतित नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर इस्लामिक स्कॉलर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने भी चुनावों की इन तारीखों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से निवेदन किया है कि इन तारीखों को रमजान से पहले या फिर ईद के बाद रखा जाए। जिससे ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम वोट डालने निकलें और उन्हें कोई परेशानी न हो।
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