नई दिल्ली, 17 मार्च (वीएनआई)मध्यप्रदेश में चल रहे राजनैतिक रस्साकसी के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल को खत लिख कर कहा है कि प्रदेश के "बंदी" बनाए गए 16 कांग्रेसी विधायकों को स्वतंत्र होने दीजिए और पांच-सात दिन खुले वातावरण में बिना किसी डर-दबाव अथवा प्रभाव के उनके घर पर रहने दीजिए ताकि वे स्वतंत्र मन से अपना निर्णय ले सकें.इस पत्र में भाजपा पर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने लिखा है, " मैं बार-बार अपने पत्रों के माध्यम से एवं आपसे व्यक्तिगत रूप से मिलकर उस असाधारण स्थिति के बारे में अवगत करवाता रहा हूं कि जब कांग्रेस के 16 विधायकों को बेंगलुरू में भाजपा के नेताओं द्वारा अपने साथ चार्टर्ड हवाई जहाज में ले जाकर कर्नाटक पुलिस की मदद से होटल/रिसॉर्ट में बंदी जैसी स्थिति में रखा गया है, जहां उनसे कोई मिल नहीं सकता, बात नहीं कर सकता तथा भोपाल आने से रोका जा रहा है, जबकि भाजपा के नेता उनके पास आ-जा रहे हैं और उनके मन-मस्तिष्क पर प्रलोभन, डर, दबाव डालकर प्रभाव डाल रहे हैं और झूठे बयान मीडिया में दिलवा रहे हैं.'
कमलनाथ ने राज्यपाल लाल जी टंडन को लिखे पत्र में कहा, "मैं पुनः आश्वस्त करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के बंदी बनाए गए 16 कांग्रेसी विधायकों को स्वतंत्र होने दीजिए और पांच-सात दिन खुले वातावरण में बिना किसी डर-दबाव अथवा प्रभाव के उनके घर पर रहने दीजिए ताकि वे स्वतंत्र मन से अपना निर्णय ले सकें. आपका यह मानना कि दिनांक 17 मार्च 2020 तक मध्यप्रदेश विधानसभा में, मैं फ्लोर टेस्ट करवाऊं और अपना बहुमत सिद्ध करूं अन्यथा यह माना जाएगा कि मुझे वास्तव में विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है, पूर्णतः आधारहीन होने से असंवैधानिक होगा." मुख्यमंत्री ने खत लिखते हुए खेद जताया कि संसदीय परंपराओं का पालन नहीं करने की उनकी मंशा नहीं थी. कमलनाथ ने राज्यपाल को लिखे खत में कहा है, 'मैंने अपने 40 साल के लंबे राजनैतिक जीवन में हमेशा सम्मान और मर्यादा का पालन किया है. आपके पत्र दिनांक 16 मार्च 2020 को पढ़ने के बाद मैं दुखी हूं कि आपने मेरे ऊपर संसदीय मर्यादाओं का पालन न करने का आरोप लगाया है. मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी, फिर भी यदि आपको ऐसा लगा है तो, मैं खेद व्यक्त करता हूं.'
साथ ही उन्होंने कहा कि 'आपने अपने पत्र में यह तो लिखा है कि, सदन की कार्यवाही दिनांक आगामी २६ मार्च तक स्थगित हो गई परन्तु स्थगन के कारणों का संभवतः आपने उल्लेख करना उचित नहीं समझा. जैसा कि आप स्वयं जानते हैं कि, हमारा देश व पूरा विश्व कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एक अंतररराष्ट्रीय महामारी घोषित किया है. भारत सरकार ने इस बारे में एडवाईजरी जारी की है और समारोह अथवा सार्वजनिक स्थान, भीड़ से बचने के निर्देश दिए हैं. इस कारण अध्यक्ष विधानसभा ने सदन की कार्यवाही 26 मार्च 2020 की प्रातः 11 बजे तक स्थगित की है. '
साथ ही सीएम ने लिखा है, 'आपने अपने पत्र मं यह खेद जताया है कि मेरे द्वारा आपने जो समयावधि दी थी उसमें विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करने के बजाय मैंने आपको पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट कराने में आनाकानी की है. मैं आपके ध्यान में यह तथ्य लाना चाहूंगा कि पिछले 15 महीनों में मैंने सदन में कई बार अपना बहुमत सिद्ध किया है. अब यदि भाजपा यह आरोप लगा रही है तो मेरे पास बहुमत नहीं है तो वे अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से फ्लोर टेस्ट करा सकते हैं. मेरी जानकारी में आया है कि उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिया है जो विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष लंबित है. विधानसभा नियमावली के अनुसार माननीय अध्यक्ष इस पर नियमानुसार कार्यवाही करेंगे तो अपने आप यह सिद्ध हो जाएगा कि हमारा विधानसभा में बहुमत है'.
इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराने की मांग करने वाली, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर कमलनाथ सरकार से बुधवार यानि कल तक जवाब मांगा है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने ाज कहा कि वह कल सुबह साढ़े 10 बजे के लिए राज्य सरकार और विधानसभा सचिव समेत अन्य को नोटिस जारी करेगी. चौहान और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता समेत भाजपा के नौ अन्य विधायक सोमवार को उच्चतम न्यायालय पहुंचे थे. उच्चतम न्यायालय अब इस मामले में कल यानि बुधवार को सुनवाई करेगा.
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को 16 मार्च को सदन में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था. पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने अपनी याचिका में कहा है कि कमलनाथ सरकार के पास सत्ता में बने रहने का ‘कोई नैतिक, कानूनी, लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार' नहीं रह गया है.
कल तेजी से घटें राजनैतिक घटनाक्रम में चौहान