ह्यूस्टन, 9 सितंबर (अनुपमा जैन,वीएनआई) दुनिया के सबसे परोपकारी धनाढ्यो मे सात भारतीय भी है जो चुपचाप अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा परोपकार मे लगा रहे है.मशहूर पत्रिका फोर्ब्स एशिया की ‘हीरोज़ ऑफ फिलेंथ्रेपी’ (परोपकार के नायक) की 9वीं सूची ने परोपकारी कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले 13 एशिया प्रशांत देशों के दानदाता धनाढ्यों की एक सूची तैयार की है जिसमे सात भारतीय है
मददगारो की इस सूची में जिस भारतीय का नाम शीर्ष पर है, केरल में जन्मे और दुबई में रहने वाले उद्योगपति सनी वर्की , जिन्होंने बिल गेट्स और वारेन बफे द्वारा शुरू की गई ‘गिविंग प्लेज’ (संपत्ति का एक हिस्सा कल्याणार्थ देने के संकल्प) की पहल के तहत जून के महीने में अपने 2.25 अरब डॉलर (लगभग 15 हजार करोड़ रुपये) का आधा हिस्सा दान में देने की घोषणा की थी. वर्की दुबई स्थित जीईएमएस कंपनी के संस्थापक हैं. 14 देशों में इस कंपनी के 70 निजी स्कूल है.
इसके बाद इस सूची में आईटी कंपनी इन्फ़ोसिस के चार सह संस्थापकों को शामिल किया गया है.इनमें सेनापथे गोपालकृष्णन, नंदन नीलेकणी और एसडी शिबूलाल के नाम हैं. उऩ्हें स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष तौर पर योगदान के लिए शामिल किया गया है.
इन्फ़ोसिस के एक और सह-संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति के बेटे रोहन का नाम हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस को 52 लाख डॉलर देने के लिए शामिल किया गया है. रोहन ने ये राशि प्राचीन भारतीय साहित्यिक कृतियों को बढ़ावा देने के लिए उपलब्ध कराई है.
इस सूची में लंदन के उद्योगपति भाई- सुरेश रामकृष्णन और महेश रामकृष्णन के नाम भी शामिल हैं.इन दोनों भाईयों ने भारत भर में 4,000 से अधिक लोगों को सिलाई का प्रशिक्षण देने के लिए तीस लाख अमरीकी डालर का गोगदान दिया.इन दान प्राप्तकारों में 2004 की सुनामी पीड़ित और ज़रूरतमंद महिलाएं भी शामिल हैं.वी एन आई.