राज समढियाला गांवः यहां थूकना मना है

By Shobhna Jain | Posted on 13th Oct 2015 | देश
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नई दिल्ली 13 अक्टूबर (वीएनआई) गुजरात का एक गांव जो्कि इतना सफाई पसंद है यहां पर कोई भी व्यक्ति सड़क पर थूक नहीं सकता, कूड़ा नहीं फैला सकता, अगर गलती सड़क पर थूक दिया या कूड़ा फैला दिया तो उस पर 51 रुपए का जुर्माना ठोक दिया जाता है यही नहीं इस गांव में यदि चुनाव हो रहे हो तो किसी प्रत्याशी द्वारा चुनाव प्रचार पर पाबंदी है कोई भी प्रत्याशी यहां पर चुनाव प्रचार नहीं कर सकता जिससे कि मतदाता पर किसी ्प्रकार का दबाव न डाला जा सके पर हैरत की बात यह है कि यहां पर चुनाव मे वोट डालना आवश्यक है यदि किसी व्यक्ति ने वोट नहीं डाला तो उस पर 51 रुपए का जुर्माना लगा दिया जाता है यह गांव है गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित राजसमढियाला गांव, जो राजकोट शहर से मात्र 22 किमी की दूरी पर स्थित है।\ इस गांव की एक खासियत और है है कि यहां पर नाइट क्रिकेट खेला जाता है और इसकी लिए पूरा का पूरा एक स्टेडियम ही बना डाला है इस गांव की सालाना कमाई है करीब पांच करोड़ रुपए। इस गांव के ज्यादा लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन खेती ही है। कपास और मूंगफली प्रमुख फसलें हैं। गांव में 350 परिवार हैं जिनके कुल सदस्यों की संख्या है करीब 1800। छोटे-मोटे शहरों की लाइफस्टाइल को मात देने वाले राजसमढियाला गांव की कई ऐसी खासियत हैं जिसके बाद शहर में रहने वाले भी इनके ्सामने खुद को छोटा समझें, 2003 में ही इस गांव की सारी सड़कें कंक्रीट की बन गईं। 350 परिवारों के गांव में करीब 30 कारें हैं तो, 400 मोटरसाइकिल। गांव में अब कोई परिवार गरीबी रेखा के नीचे नहीं है। इस गांव की गरीबी रेखा भी सरकारी गरीबी रेखा से इतना ऊपर है कि वो अमीर है। सरकारी गरीबी रेखा साल के साढ़े बारह हजार कमाने वालों की है। जबकि, राजकोट के इस गांव में एक लाख से कम कमाने वाला परिवार गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है। गांव के विकास की इतनी मजबूत बुनियाद और उस पर बुलंद इमारत बनाई आजीवन गांव के सरपंच रहे स्वर्गीय देवसिंह ककड़िया को। गांव के प्रधान ने कई बरस पहले ही पानी का महत्व जान लिया था। दस साल पहले गांव के खेतों में पानी की बड़ी दिक्कत थी तो, ककड़िया ने एक आंदोलन सा चलाया, गांव के खेतों में पानी की कमी दूर करने के लिए सैटेलाइट से जमीन का नक्शा तैयार कराया और छोटे तालाब बनाए जिससे पूरे इलाके की जमीनों को खेती के लिए पर्याप्त पानी मिल सके इसी के तहत गांव के आसपास 45 छोटे-छोटे चेक डैम बनाए। अब चेक डैम के पानी से आसपास के करीब 25 गांवों के खेत में भी फसल हरी-भरी है। राजसमढियाला गांव को गुजरात के पहले निर्मल ग्राम का पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के हाथों मिला था। ये पुरस्कार स्वच्छता के लिए मिलता है। िसके अलावा इस गांव को आदर्श गांव का पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है इस गांव के लोग ताला भी नहीं लगाते, इस गांव में पुलिस आती नहीं क्योंकि कभी पुलिस की जरुरत ही नहीं जरुरत ही नहीं महसूस हुई ,गांव का अपना गेस्ट हाउस है। पंचायत भवन खुला हुआ था। राशन की दुकान में तेल के ड्रम खुले में रखे थे। घर तो घर, दोपहर में दुकानदार अपनी दुकान खुली की खुली छोड़कर घर खाना खाने भी आ जाते हैं। ग्राहक दुकान पर आए तो अपनी जरूरत की वस्तु लेकर उसकी कीमत के रुपए दुकान के गल्ले में डालकर चला जाता है। सिर्फ एक घटना को छोड़ दें तो यहां आज तक कभी भी चोरी की घटना नहीं हुई। इस गांव में हुई चोरी की एकमात्र घटना भी कुछ ऐसी रही थी कि दूसरे ही दिन खुद चोर ही ने पंचायत में अपना अपराध कुबूल कर लिया था और इसका प्रायश्चित करने के लिए उसने मुआवजा भी दिया था।

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