आँधी के झूले पर झूलो।
आग बबूला बनकर फूलो
कुरबानी करने को झूमो
लाल सबेरे का मुँह चूमो
ऐ इंसानो ओस न चाटो
अपने हाथों पर्वत काटो
पथ की नदियाँ खींच निकालो
जीवन पीकर प्यास बुझा लो
रोटी तुमको राम न देगा
वेद तुम्हारा काम न देगा
जो रोटी का युद्ध करेगा
वह रोटी को आप वरेगा।।
- गजानन माधव मुक्ति बोध