प्रधानमंत्री मोदी ने लालकिले से सुनाई कविता, अंबर से ऊंचा जाना है

By Shobhna Jain | Posted on 15th Aug 2018 | देश
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नई दिल्ली, 15 अगस्त, (वीएनआई) देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने आज लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर सरकार की तमाम योजनाओं को गिनाया और कई बड़े ऐलान किए। 

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 82 मिनट के भाषण में विपक्ष पर कई हमले किए और बताया कि कैसे 2013 की तुलना में पिछले चार साल में उनकी सरकार ने विकास को नई रफ्तार दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा कि बलात्कार पीड़िताओं के दर्द को भी बांटा और इस दौरान कहा कि बलात्कार पीड़ादायक है, लेकिन बलात्कार की शिकार पीड़ा जितनी उस बेटी को होती है, उससे लाखों गुना पीड़ा हमे होनी चाहिए। यह राक्षसी मनोवृत्ति से देश को मुक्त बनाना होगा। कानून अपना काम कर रहा है। पिछले दिनों में एमपी में पांच दिनों में बलात्कारियों को सजा सुनाई गई है, कुछ ऐसे ही राजस्थान में पांच दिन के भीतर फांसी की सजा सुनाई गई। जितना इन खबरों को प्रचारित किया जाएगा, उतना ही राक्षसी वृत्ति की मानसिकता पर चोट पहुंचाएगी। अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने एक कविता सुनाकर अपने भाषण को विराम दिया।

अपने मन में एक लक्ष्य लिए
मंजिल अपनी प्रत्यक्ष लिए
हम तोड़ रहे हैं जंजीरे
हम बदल रहे हैं तस्वीरें
यह नवयुग है
यह नवभारत है 
खुद लिखेंगे अपनी तकदीर
हम बदल रहे हैं अपनी तस्वीर
हम निकल पड़े हैं प्रण करके
अपना तनमन अर्पण करके
जिद है, एक सूर्य उगाना है
अंबर से उंचा जाना है
एक भारत नया बनाना है।


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