नई दिल्ली, 16 मार्च (वीएनआई) दक्षेस देशों से कोरोन वायरस से एकजुटता से निबटनें की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर पाकिस्तान ने इस महामारी से मिल कर निबटने की बजाय हमेशा की तरह कश्मीर राग फिर से अलापा हैं. भारत की इस पहल पाकिस्तान ने कश्मीर के बारे में ‘‘अवांछित'' बयान देकर एक मानवीय मुद्दे का ‘‘राजनीतिकरण'' करने का प्रयास किया, जो इस तरह के मुद्दों से निपटने में उसके रवैये को प्रदर्शित करता है. वीडियो कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य इस खतरनाक वायरस से एकजुट होकर निपटने का संदेश देना था, लेकिन पाकिस्तान ने इस मौके का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए किया और कहा कि कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर में सभी तरह की पाबंदी तत्काल हटा लेनी चाहिए. सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने ‘‘अशिष्ट'' बनने का चयन किया और वीडियो कॉन्फ्रेंस का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया.
पाकिस्तान ने स्वास्थ्य विषयों पर प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष सलाहकार एवं स्वास्थय मंत्री जफर मिर्जा को अपने प्रतिनिधि बतौर भेजा. एक सरकारी सूत्र ने कहा, ‘‘मुद्दे को उठाना अवांछित था और संदर्भ से परे था. पाकिस्तान ने एक मानवीय मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया.'' सूत्रों ने कहा कि भारत वीडियो कॉन्फ्रेंस से पाकिस्तान को अलग रख सकता था लेकिन यह एक मानवीय मुद्दा था, इसलिए इस पड़ोसी देश को आमंत्रित किया गया. सूत्र ने कहा, ‘‘प्रत्येक नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान का जवाब दिया लेकिन पाकिस्तान ने अपने स्वास्थ्य मंत्री को भेजने का चयन किया, जो उसमें गंभीरता की कमी को दर्शाता है.''
सूत्रों ने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी शर्मा ओली ऐसे दिन इसमें शामिल हुए, जब उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी लेकिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने इससे दूर रहने का फैसला किया. सूत्रों ने कहा कि जब पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया, तब किसी भी देश ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. बैठक अन्य सभी छह देशों के शीर्ष नेता शामिल हुए.इस मे श्री ओली के अलाव बंगलादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना, भूटान के प्रधान मंत्री लोत्तें शेरिंग, माल्दीव के राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मद सोली,श्री लंका के राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षें और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी.्वी एन आई
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