महाराष्ट्र में सम्मान के लिए हत्या के दोषियों को मृत्युदंड

By Shobhna Jain | Posted on 20th Jan 2018 | देश
altimg

नासिक (महाराष्ट्र), 20 जनवरी (वीएनआई)| महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में 2013 में सम्मान के लिए तीन दलित युवकों की हुई हत्या के मामले में स्थानीय अदालत ने सभी छह दोषियों को मृत्युदंड सुनाया है। 

नासिक जिला सत्र अदालत के न्यायाधीश राजेंद्र कुमार आर.वैष्णव ने 15 जनवरी को सात में से छह आरोपियों को सचिन एस.घारू और दो अन्य की बर्बर तरीके से हत्या करने के लिए मृत्युदंड सुनाया है। विशेष सरकारी वकील उज्‍जवल निकम ने कहा कि प्रत्येक दोषी को 20,000 रुपये का जुर्माना भरने का भी निर्देश दिया गया है और सरकार को पीड़ितों के परिवारों को यह मुआवजा देने का निर्देश दिया गया है। हालांकि, मुआवजे की कुछ राशि पहले ही पीड़ित परिवारों को दी जा चुकी है। इस मामले में जिन लोगों को मृत्युदंड सुनाया गया है, उनमें पोपट वी.दरांडाले, गणेश पी.दरांडाले, प्रकाश वी.दरांडाले, रमेश वी.दरांडाले, अशोक नवगिरे और संदीप कुरहे शामिल हैं। सचिन घारू सहित तीन दलित युवकों को पोपट वी.दरांडाले ने सोनई गांव में मौत के घाट उतार दिया था। सचिन (24) सोनई गांव की ऊंची जाति की दरांडाले परिवार की मराठा लड़की से प्यार करता था। इस प्रेमी जोड़े ने परिवार की इच्छा के विरुद्ध शादी करने की योजना बनाई थी। दोषियों में लड़की के पिता पोपट वी.दरांडाले, उनके भाई गणेश, अन्य संबंधी और दोस्त शामिल हैं। इन सभी छह दोषियों को हत्या, आपराधिक षडयंत्र रचने सहित विभिन्न अपराधों के लिए मृत्युदंड सुनाया गया है। मामले के एक सहआरोपी अशोक आर.फाल्के को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। घारू के अलावा उसके दोस्त संदीप थानवर (25) और राहुल कंधारे (20) की भी हत्या कर उनके शवों को फेंक दिया गया था।

जांच रपट के मुताबिक, घारू, थानवर और कंधारे मेहतर जाति के थे और सोनई से लगभग 30 किलोमीटर दूर नेवासा में तिरुमति पवन प्रतिष्ठान हाईस्कूल और जूनियर कॉलेज में काम करते थे। लड़की के प्रेम प्रसंग की जानकारी मिलने पर उसके परिवार ने तीनों दलित युवकों को नववर्ष के मौके पर सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए अपने घर पर बुलाया। लड़की के परिवार ने पहले घारू की हत्या की। उन्होंने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया और शरीर के टुकड़े कर टैंक के अंदर डाल दिए। इसके बाद उन्होंने थानवर और कंधारे पर कुल्हाड़ी से हमला किया। उन्होंने दोनों के शव गांव से बाहर ले जाकर एक सूखे कुएं में डाल दिया। तीनों युवकों के गायब होने के बाद उनके परिवारों की शिकायत पर पुलिस ने तलाशी शुरू की और घारू के शव के टुकड़े टैंक से बरामद किए गए और इसके 72 घंटे बाद अन्य दो युवकों के शव भी बरामद कर लिए गए। सुनवाई के दौरान कुल 54 गवाहों की गवाहियां हुईं, जो लगभग पांच वर्षो तक चली। इस दौरान निकम ने कहा कि यह एक जघन्यतम अपराध है, क्योंकि हत्या काफी क्रूर तरीके से की गई थी, जबकि बचाव पक्ष के वकील एस.एस.अदास ने माफी की अपील की। न्यायाधीश वैष्णव ने फैसले के दौरान कहा कि जिस तरह से दोषियों ने तीनों युवकों की हत्या की, लगता है कि वे (दोषी) दूसरों की भावनाओं को समझना भूल गए थे। न्यायाधीश वैष्णव ने कहा, "ऐसे लोगों को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है और इन्हें मृत्युदंड देना ही समाज को बचाने का एकमात्र उपाय है।"

सम्बंधित खबरें

Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Connect with Social

प्रचलित खबरें

© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india