नई दिल्ली, 3 नवंबर (वीएनआई)| केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत के समूचे कृषि मूल्य श्रृंखला में जबरदस्त बदलाव होने जा रहा है और खाद्य प्रसंस्करण भविष्य में देश का एक प्रमुख उद्योग होगा।
जेटली ने यहां वर्ल्ड फूड इंडिया 2017 के उद्घाटन सत्र में कहा, भारत में खेत से रसोईघर तक की श्रृंखला बदलने जा रही है, जैसा कि कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी, बेहतर स्टोरेज सुविधा, अधिक खाद्य प्रसंस्करण और उपभोक्ता की खाद्य अभिरुचियों में बदलाव से अन्य जगहों पर हुआ है। उन्होंने कहा, खाद्य प्रसंस्करण भविष्य में भारत का एक प्रमुख उद्योग होने जा रहा है, और 2017 के उद्यमियों को इस उद्योग के बारे में यह ध्यान रखते हुए विचार करना चाहिए कि 2040 में हम कहां होंगे और 2050 में हम कहां होंगे। अधिकारियों ने यहां बाजार के आकार के संदर्भ में बताया, भारतीय खाद्य बाजार साल 2016 में 193 अरब डॉलर का था, जो साल 2020 तक 540 अरब डॉलर को पार कर सकता है। यह क्षेत्र सालाना 12 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है वित्तमंत्री ने कहा कि देश में खाद्य उत्पादों के लिए विशाल संभावित बाजार है। उन्होंने कहा, "देश में एक खामोश क्रांति चल रही है। यहां तेजी से बढ़ता मध्य वर्ग है और उसके नीचे बढ़ता हुआ आकांक्षी वर्ग है, जो मिलकर उचित क्रय शक्ति का निर्माण कर रहे हैं।"
खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इसकी क्षमता के बारे में कहा कि देश में केवल 10 फीसदी खाद्य उत्पादों को ही प्रसंस्कृत किया जाता है, जिसके कारण काफी ज्यादा बरबादी होती है। उन्होंने कहा, "इस क्षेत्र में स्वचालित रूट के माध्यम से 100 फीसदी एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की अनुमति दी गई है और पिछले एक साल में निवेश में 40 फीसदी की तेजी देखी गई है। उन्होंने कहा, "इसके अलावा खाद्य प्रसंस्करण बैंक के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कई देशों के प्रतिनिधिमंडलों की उपस्थिति में इस आयोजन का उद्घाटन किया। उन्होंने इस मौके पर ध्यान दिलाया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है और चावल, गेहूं, मछली और सब्जियों के मामले में दूसरे स्थान पर है।
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