नई दिल्ली,९ नवंबर (वी एन आई) पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के फैसले की आज फिर कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इस कदम से ईमानदार हिन्दुस्तानी को 'भारी नुकसान' होगा,इससे करोड़ो भारतीयों का विश्वास और भरोसा सरकार के प्रति टूटा है जो सोचते है सरकार उनकी और उन्के धन की हिफाजत करेगी. उन्होने कहा 'इस फैसले की वजह से ईमानदार हिन्दुस्तानी को 'भारी नुकसान' होगा,जो नगदी मे अपना वेतन कमाता है और बेईमान और काला धन जमा करने वाले केवल 'हल्की-सी चोट के बाद' बच निकलेंगे. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ सिंह के ये विचार आज अंग्रेज़ी दैनिक 'द हिन्दू' में प्रकाशित संपादकीय आलेख ्मे व्यक्त किए हैं.
डॉ सिंह द्वारा लिखित संपादकीय आलेख 'विशालकाय त्रासदी का बनना' में आशंका व्यक्त की गई है कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी और नौकरियों के सृजन में काफी दूर तक प्रभाव पड़ेगा, और आने वाले महीनों में 'बेवजह' कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.
24 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री तथा जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह ने संसद में बोलते हुए नोटबंदी के फैसले को 'संगठित लूट' की संज्ञा दी थी. उनका आज प्रकाशित संपादकीय इन्हीं विचारों को विस्तार से समझाता है.
डॉ सिंह ने लिखा, "बिना सोच-समझे किए गए एक ही फैसले से प्रधानमंत्री ने करोड़ों भारतीयों की आस्था और उस विश्वास को चकनाचूर कर दिया है, जो उन्होंने उनकी और उनके धन की रक्षा करने के लिए भारत सरकार में दर्शाया था...नोटबंदी का फैसला कर अपने मौलिक कर्तव्यों का उपहास उड़ाया है"
पूर्व प्रधानमंत्री के अनुसार, "यह प्रत्यक्ष है कि रातोंरात अचानक लागू की गई नोटबंदी से करोड़ों भारतीय उपभोक्ताओं के विश्वास को ठेस पहुंची है, और इससे गंभीर आर्थिक जटिलताएं पैदा हो सकती हैं... अधिसंख्य भारतीयों की ईमानदारी की कमाई को रातोंरात खत्म कर दिए जाने और अब नए नोटों तक उनकी सीमित पहुंच के घाव मिलकर बहुत गहरे हो गए हैं, और जल्द ही नहीं भर पाएंगे..."
उन्होंने कर चोरी रोकने और आतंकवादियों द्वारा नकली नोटों के इस्तेमाल को खत्म करने की प्रधानमंत्री की मंशा को सम्माननीय बताया और कहा कि उसके लिए खुले दिल से उन्हें समर्थन दिया जाना चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी लिखा कि यह गलतफहमी है कि 'सारी नकदी काला धन है, और सारा काला धन नकदी के रूप में ही है...'
डॉ सिंह ने लिखा कि 90 फीसदी से ज़्यादा भारतीय कामगारों को आज भी नकदी में ही वेतन हासिल होता है. डॉ सिंह ने लिखा, "इसे 'काले धन' के रूप में बदनाम करना और करोड़ों गरीब भारतीयों की ज़िन्दगियों को बेतरतीबी में धकेल देना एक विशालकाय त्रासदी है... ज़्यादातर भारतीय नकदी में कमाते हैं, नकदी में लेनदेन करते हैं, और नकदी में ही बचत भी करते हैं, और सब कुछ जायज़ तरीके से... यह किसी भी संप्रभुता संपन्न देश की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार की आधारभूत ज़िम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों कि ज़िन्दगियों और उनके अधिकारों की रक्षा करे..."