नई दिल्ली, 18 मई। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने गुरुवार को एक अवैध कारखाने में बंधुआ बनाकर काम पर रखे गए नौ बच्चों को मुक्ति दिलाई।
इन बच्चों को बिहार से तस्करी कर लाया गया था। सत्यार्थी ने गुरुवार को आईएएनएस को यह जानकारी दी।
सत्यार्थी ने अपने संगठन 'बचपन बचाओ आंदोलन' के साथ पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में छापेमारी की और सात से 15 वर्ष की आयुवर्ग के नौ बच्चों को छुड़ाया।
मुक्त कराए गए सभी बच्चे बिहार के कटिहार के रहने वाले हैं और उन्हें यहां दो कमरों में बंद रखा गया था। इन बच्चों से कारखाने में पश्चिमी देशों के बाजारों के लिए क्रिसमस के उपहार बनाने का काम लिया जाता था।
सत्यार्थी ने कहा, "ये बच्चे एक कारखाने में क्रिसमस के लिए सजावटी सामान बनाते थे।"
वर्ष 2014 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद सत्यार्थी ने दूसरी बार किसी छापेमारी में खुद हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा कि बच्चे जहां काम करते थे, वह एक संकरी गली में थी।
सत्यार्थी ने कहा कि वह खुद छापेमारी में इसलिए गए, क्योंकि बच्चों को वहां बंधुआ बनाकर रखने का पता लगाने वाले संगठन के कार्यकर्ताओं को कुछ स्थानीय लोगों ने पहचान लिया था।
उन्होंने कहा, "मैं उन पर बच्चों को छुड़ाने की जिम्मेदारी इसलिए नहीं छोड़ना चाहता था, क्योंकि उन पर हमला हो सकता था।"
सत्यार्थी ने कहा, "छापा पड़ने के साथ ही वहां बड़ी संख्या में लोग जुट गए और मुझसे हाथ मिलाने लगे। सभी ने मेरा स्वागत किया। हम आसानी से बच्चों को छुड़ाने में सफल रहे, हमारी महिला कार्यकर्ताएं कारखाने में घुसीं और बच्चों को अपने साथ ले आईं।"
मुक्त कराए गए बच्चों के पुनर्वास के लिए बचपन बचाओ आंदोलन संगठन द्वारा संचालित केंद्र ले जाया गया। कारखाने पर ताला लगा दिया गया है और फरार मालिक के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी गई है।--आईएएनएस