सिडनी, 6 जनवरी(वी एन आई)एक तरफ दुनिया जहा कुपोषण, भूख और गरीबी भूख की वजह से हड़डियो क़ा ढांचा बन चुके लोगो की समस्या से जूझ रही है, वही यह भी सच है कि दुनिया में करीब 76 फीसद आबादी शरीर मे जरूरत से ज्यादा चर्बी की शिकार है। यह एक नई महामारी बन गई है जो धीरे-धीरे दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले रही है। एक शोध के शोधकर्ताओं के अनुसार ज्यादा वजन और मोटापे से ग्रसित लोगों के अलावा दूसरे लोग अतिरिक्त वसा की श्रेणी में शामिल हो रहे हैं। इसमें सामान्य वजन वाले लोग भी शामिल हैं। अतिरिक्त वसा की श्रेणी में सामान्य वजन वाले लोग भी शामिल हैं। इससे इनमें पुरानी बीमारियों के होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसमें ज्यादा पेट की चर्बी शामिल है। वैसे अतिरिक्त चर्बी की महामारी से प्रतिदिन व्यायाम करने वाले या खेलों में हिस्सा लेने वाले भी नहीं बचे हैं। अतिरिक्त चर्बी को पर्याप्त मात्रा में से ज्यादा शरीर की वसा के रूप में परिभाषित किया गया है। इसका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
आस्ट्रेलिया के मा्फ फिटनेस का कार्यकारी अधिकारी फिलिप माफेटोन ने कहा, पुरानी बीमारियों को बढ़ावा देने, स्वास्थ्य देखभाल के खर्चो के बढ़ने, सभी आयु वर्ग के लोगों और आय पर प्रभाव डालने की वजह से यह वैश्विक चिंता का विषय है।
अध्ययन में कहा गया है कि मोटापे की महामारी बीते तीन से चार दशकों तेजी से बढ़ी है। अध्ययन में बहुत ज्यादा संख्या में लोगों में अस्वास्थ्यकर शारीरिक वसा के होने की बात कही गई है। शोध में यह भी बताया गया है कि विश्व की 9-10 फीसद जनसंख्या वसा की कमी है। शोध में संकेत दिया गया है कि विश्व की 14 फीसद जनसंख्या में वसा का सामान्य स्तर है। शोध का प्रकाशन पत्रिका 'फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ' में किया गया है।