गाजियाबाद, 9 दिसंबर ( वीएनआई) जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर व अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार ने कहा कि आज हम जिस आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं वह आत्मनिर्भर भारत गांवों से ही निर्मित हो सकेगा.प्रोफेसर अरुण कुमार बरिष्ठ पत्रकार नीलम गुप्ता की नवीनतम प्रकाशित पुस्तक ‘गांव के राष्ट्रशिल्पी’ के लोकार्पण समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में सभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा " निर्माण की इस प्रक्रिया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्रामशिल्पी कार्यक्रम और ग्रामशिल्पी भूमिका दोनों पुस्तक ने उसके केन्द्र में ला खड़े किये हैं.
इस मौके पर विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने कहा कि अब गांव भी शहरों जैसे सम्पन्न हो चुके हैं.सड़कों का जाल गांवों तक फैल चुका है। अब गांव विकास की नई राह पर हैं, ऐसे में ग्रामशिल्पी का स्वप्न साकार होता दिखाई देता है. उन्होंने कहा कि तकनीक के बदलते युग ने गांवों की परिभाषा भी बदली है. "सहित्य आज तक" से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पांडेय ने कहा कि अपनी तमाम सीमाओं के बावजूद ग्रामशिल्पी एक हद तक लोकशक्ति को जगाने में कामयाब रहे, इससे पता चलता है कि सौ साल बाद भी गांधी की आत्मा गुजरात विद्यापीठ में जीवंत है और वहां आने वालों को प्रभावित करती है. नीलम गुप्ता की पुस्तक में इस बात का बखूबी उल्लेख किया गया है. ग्राम शिल्पी राधा कृष्ण ने आगरा जिले के एक गांव राटौटी में ग्राम शिल्प के किये जा रहे अपने सामाजिक कार्यों का उल्लेख किया और नौजवानों को गांवों में श्रमदान करने की बात पर जोर दिया. विशिष्ट वक्ता मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने मेवाड़ यूनिवर्सिटी और मेवाड़ गर्ल्स कॉलेज में ग्रामीण युवाओं व युवतियों के लिए किये जा रहे रोजगारपरक एवं शिक्षाप्रद कार्यों को ग्रामशिल्प का अनूठा उदाहरण बताया। साथ ही गांवों से शहरी नौजवानों को जोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि नौजवानों को साथ लेकर गांवों में विकास कार्यक्रम चलाने की आज महती आवश्यकता है। गुजरात विद्यापीठ के पूर्व कुलनायक प्रोफेसर राजेन्द्र खिमाणी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि पढ़े-लिखे युवा गांवों में जाएं और ग्रामशिल्पी बनें। अपने जीवन को सादगीपूर्ण ढंग से जिएं। ग्राम शिल्पी का काम 'अपने काम में पूर्ण श्रद्धा व विश्वास' से ही हो सकता है। उसी से वे टिके भी रह सके। उन्होने आग्रह किया कि लोकभारती द्वारा संचालित ग्राम बंधु कार्यक्रम से भी यहां के नौजवान जुड़ें। उन्होंने नीलम गुप्ता की पुस्तक में ग्रामशिल्पियों के मुद्दे उठाने की सराहना की। नीलम गुप्ता ने पुस्तक लोकार्पण से पूर्व अपनी पुस्तक के बारे में संक्षेप में बताया। उन्होंने बताया कि पुस्तक में महात्मा गांधी के गुजरात विद्यापीठ के ग्रामशिल्पियों के कार्यों का विस्तृत और सूक्ष्म आकलन किया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे नौजवान लोकशक्ति को जगाकर गांवों को आत्मनिर्भरता एवं स्वराज की ओर ले जा सकते हैं। समारोह में सेंटर फार पोलिसी स्टडीज के निदेशक जितेन्द्र बजाज समेत कई वरिष्ठ पत्रकार और मेवाड़ परिवार के सदस्य एवं विद्यार्थी मौजूद थे। प्रभाष परंपरा न्यास की ओर से उषा जोशी की विशेष उपास्थिती रही। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन की कमान अमित पाराशर ने संभाली।प्रभाष परम्परा न्यास और मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स की ओर से लोकार्पण समारोह वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में आयोजित किया गया। वीएनआई
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